बढ़ाई गई सीटों पर भर्ती के लिए अनुमति

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने आज निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में एआईसीटीई और जेएनटीयू की मंजूरी से बढ़ाई गई सीटों पर भर्ती को अनुमति दे दी, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि इन सीटों पर कोई कैपिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि अधिकारियों ने अदालत के आदेशों को लागू न करके अदालत की अवमानना की है और सजा के संबंध में उनकी दलीलें सुनी जाएंगी। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव बुर्रा वेंकटेशम, तकनीकी शिक्षा विभाग के आयुक्त ए. श्रीदेव सेना, उच्च शिक्षा विभाग के संयोजक श्रीराम वेंकटेश और टीजीईएपीएसईटी के संयोजक डॉ. बी. डीन कुमार को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

केएमआर एजुकेशन सोसाइटी एमएलआर ने निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में एआईसीटीई और जेएनटीयू द्वारा अनुमोदित कंप्यूटर साइंस और अन्य पाठ्यक्रमों में सीटें बढ़ाने और उन्हें बदलने के लिए मैपअप काउंसिलिंग आयोजित करने के लिए गत 9 सितंबर को दिए गए आदेशों का पालन न करने के कारण अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों समेत अदालत की अवमानना की याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं पर आज उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आलोक अरधे, जस्टिस जे. श्रीनिवास राव की खण्डपीठ ने पुन एक बार सुनवाई की। सरकार की ओर से महाधिवक्ता ए. सुदर्शन रेड्डी और विशेष अधिवक्ता एस. राहुल रेड्डी ने अपनी दलील रखी। दलील रखने के साथ ही उन्होंने बताया कि प्रतियाचिका भी दायर की गई और प्रतियाचिका पर सुनवाई के लिए समय देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में भी एक समीक्षा याचिका दायर की गई है और जान-बूझकर आदेशों का उल्लंघन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि काउंसिलिंग पहले ही पूरी हो चुकी है और इस स्तर पर दुबारा काउंसिलिंग आयोजित करना मुश्किल है। इससे मेरिट विद्यार्थियों को ऩुकसान होगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डी. प्रकाश रेड्डी और निरंजन रेड्डी ने दलील देते हुए कहा कि कोर्ट की अवमानना अधिनियम के तहत 6 महीने क़ैद और ज़ुर्माना लगाया जा सकता है। इस पर खण्डपीठ ने हस्तक्षेप कर कहा कि सरकारी अधिवक्ता अदालत के आदेश को लागू न करने को कैसे उचित ठहरा सकते हैं और यह भी कहा जा रहा है कि वे अदालत की अवमानना का सामना करने के लिए तैयार हैं और अदालत के आदेशों का पालन करने के लिए भी सहमत नहीं है। जब कोई गलती हो जाती है, उसे लोग जारी नहीं रख सकते। इससे स्पष्ट हो रहा है कि यहाँ पर मूल रूप से अदालत की अवमानना की गई है और कितनी सज़ा दी जानी चाहिए, इस पर बहस सुनना बढ़ी हुई सीटों को अनुमति न देने जैसा होगा। क्योंकि कॉलेज किसी अन्य राजनीतिक दल के है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सीट रिप्लेसमेंट प्रक्रिया इस माह की 23 तारीख को समाप्त हो जाएगी और इसके बाद कॉलेज के पक्ष में आदेश देने पर कोई फायदा नहीं होगा। इसीलिए बढ़ाई गई सीटों पर भर्ती की अनुमदि दी जा रही है। इसके साथ ही कैपिटेशन शुल्क न वसूलने के आदेश दिए गए।

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