हैदराबाद, जनवाड़ा स्थित पूर्णानंद केंद्र में पूर्णानंद स्वामीजी का अवतरण दिवस, अन्नकूट व वन भोजन का आयोजन सद्गुरु रमेशजी और गुरु माँ के सान्निध्य में किया गया। गोवर्धन पूजा के रहस्य को प्रकट करते हुए सद्गुरु रमेशजी ने कहा कि यह प्रकृति के पंच भूतों की पूजा का प्रतीक है। धरती, आकाश, जल, अग्नि और वायु के योग से पहाड़ों का निर्माण होता है तथा पहाड़ केवल पत्थर नहीं, बल्कि चेतन स्वरूप हैं।
पूजा से पूर्व बरसाने और ब्रज के निवासी इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए प्रतिवर्ष उनकी पूजा करते थे, जबकि हमें पूजा श्रद्धा, भावना, समर्पण, प्रेम और आभार प्रकट करने के उद्देश्य से करनी चाहिए। जब सब बृजवासियों ने पर्वत में भी परमात्मा के दर्शन किए और दृढ़ विश्वास के साथ पुरुषार्थ किया कि वह उनकी रक्षा करेगा, तो स्वयं भगवान उनकी रक्षा के लिए प्रकट हो गए और उन्होंने सभी श्रद्धालुओं की रक्षा कर उन्हें इंद्र के भय मुक्त किया।
सद्गुरु रमेशजी ने बताया आध्यात्मिक ऊँचाई का रहस्य
स्वामीजी के अवतरण दिवस की विशेष आरती के बाद उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री प्रदर्शित की गयी। रमेशजी और गुरु माँ ने स्वामीजी के साथ बिताए हुए समय को आभार प्रकट करते हुए याद किया। उन्होंने कहा कि यदि हमारा लक्ष्य सही है, तो गुरु हमें वह सब दे देते हैं, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। सांसारिकता में कितना भी आगे बढ़ जाने पर हम आध्यात्मिक ऊँचाइयों को नहीं पा सकते, लेकिन यदि हम आध्यात्मिक रूप से उठे हुए हैं, तो हमें संसार में सब कुछ स्वत: ही मिल जाता है।
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गुरु माँ ने कहा कि गुरु की क्रियाओं की आलोचना न करते हुए उनके ज्ञान को व्यवहार में उतारने पर ही हमारा उद्धार होगा। इसके लिए सेवा तथा पूर्ण समर्पण बहुत जरूरी है। अवसर पर शास्त्राय नृत्य, भजन, सत्संग और अन्नकूट वन भोजनं का उपस्थित श्रद्धालुओं ने लाभ उठाया।
