राष्ट्रपति ने पारंपरिक समारोह में दिये राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

नई दिल्ली, दो ओलंपिक पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर और शतरंज विश्व चैम्पियन डी. गुकेश ने चमक बिखेरी, लेकिन जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक समारोह में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रदान किए, तो सबसे ज्यादा तालियाँ पैरा एथलीटों को मिली। मनु और गुकेश के साथ भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता ऊँचीकूद के खिलाड़ी प्रवीण कुमार को भी देश का सर्वेच्च खेल सम्मान प्रदान किया गया।

बाईस वर्ष की भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली खिलाड़ी बनी, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।

समारोह के बाद भाकर ने पीटीआई वीडियो से कहा कि सब्र का फल मीा होता है। मेरा यही मानना है। खेलरत्न देश के सबसे प्रतिष्ित पुरस्कारों में से है। मैं उन सभी की शुक्रगुजार हूँ, जिन्होंने मेरा साथ दिया। हरमनप्रीत टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य थे। पेरिस ओलंपिक में वह टीम के कप्तान भी थे। दूसरी ओर बायें पैर में विकार के साथ पैदा हुए प्रवीण ने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता और पेरिस में उसे स्वर्ण में बदला। अारह बरस के गुकेश सबसे युवा विश्व चैम्पियन बने, जिन्होंने पिछले महीने चीन के डिंग लिरेन को हराया। वह विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। वह पिछले साल सितंबर में शतरंज ओलंपियाड में भारत की खिताबी जीत में भी सूत्रधार थे। इस बार 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिये गए, जिनमें से 17 पैरा एथलीट हैं। अर्जुन पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों में पेरिस ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान अमन सेहरावत, निशानेबाज स्वप्निल कुसाले, सरबजोत सिंह और पुरुष हॉकी टीम के सदस्य जरमनप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह, संजय और अभिषेक शामिल हैं। इस बार पैरा एथलीटों की संख्या पुरस्कार जीतने वालों में अधिक थी, जिन्होंने पेरिस पैरालम्पिक में सात स्वर्ण और नौ रजत समेत 29 पदक जीते।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अवॉर्ड लेते मनु भाकर, गुकेश, दीप्ति जीवनजी।

राष्ट्रपति मुर्मू कई बार परंपरा से हटकर व्हीलचेयर पर निर्भर कुछ खिलाड़ियों जैसे प्रणव सूरमा के लिए खुद आगे चलकर आईं। सूरमा ने क्लब थ्रो में पैरालम्पिक में रजत पदक जीता था, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया। समारोह में सबसे भावुक पल था, जब भारत के पहले पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर बैसाखियों के सहारे अर्जुन पुरस्कार (लाइफटाइम) लेने राष्ट्रपति तक पहुँचे। अस्सी बरस के युद्ध नायक पेटकर को 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कमर के नीचे गोली लगी थी। वह मूल रूप से मुक्केबाज थे, लेकिन बाद में पैरा तैराक बन गए। उन्होंने 1972 पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था। वह पुरस्कार लेने आये तो तालियाँ तब तक बजती रही जब तक वह वापिस अपनी सीट पर आकर नहीं बै गए। उनके लिए तालियाँ बजाने वालों में अभिनेता कार्तिक आर्यन भी थे, जिन्होंने उन पर बनी फिल्म चंदू चैम्पियन में मुख्य भूमिका निभाई थी। खेलमंत्री मनसुख मांडविया, संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू , खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी भी इस मौके पर मौजूद थीं। खेलरत्न पुरस्कार के साथ 25 लाख रुपये नकद जबकि अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार के साथ 15 लाख रुपये दिये जाते हैं। इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों में निशानेबाजी कोच दीपाली देशपांडे शामिल हैं, जो कुसाले की कोच हैं। उनके अलावा भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व मैनेजर अलबर्टे कोलासो को भी सम्मान के लिए चुना गया। अर्जुन पुरसकार पिछले चार साल में शानदार प्रदर्शन करने के साथ नेतृत्व क्षमता, खेल भावना और अनुशासन का प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। इसमें ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप का प्रदर्शन खास तौर पर ध्यान में रखा जाता है।(भाषा)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button