भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार है रक्षाबंधन : डॉ. सुप्रभाजी म.सा.

हैदराबाद, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ, रामकोट के तत्वावधान में डॉ. सुप्रभाजी म.सा. सुधा, डॉ. उदितप्रभाजी म.सा. ऊषा, डॉ. हेमप्रभाजी म.सा. हिमांशु, डॉ. इमितप्रभाजी म.सा., उन्नतिप्रभाजी म.सा., निलेशप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा-6 के सान्निध्य में जिनवाणी की सरिता प्रवाहित हो रही है।

आज यहाँ संघ के सहप्रचार मंत्री तीर्थ कुमार सिंघवी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, डॉ. सुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि भारतीय संस्कृति में अनेक पर्व मनाए जाते हैं। इसी कड़ी में राखी का त्यौहार महत्वपूर्ण है। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन बहन भाई को रक्षा बंधन पर राखी बांधती है और तन, मन, धन से परिपूर्ण होने की शुभकामना देतीं हैं। भाई भी बहन के लिए विपरीत परिस्थित में साथ एवं सहयोग का आश्वासन देता है। राखी में सबसे बड़ी राखी जिनवाणी की बतायी। डॉ. हेमप्रभाजी म सा. ने रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाओं का उल्लेख किया।

धर्म सभा का संचालन करते हुए संघ के अध्यक्ष किशोर कुमार मुथा ने बताया कि इक्यावन दिवसीय नवकार महामंत्र का जाप निरंतर अग्रसर है। महासती उमरावकंवरजी म.सा. के 102वें जन्मोत्सव कार्पाम के तहत कल, मंगलवार को नमोत्थुणं का जाप, सामूहिक एकासन तप एवं तुलादान रहेगा। इसकी राशि जीवदया में खर्च की जाएगी। संघ के सहमंत्री नरेंद्र धोका ने धन्यवाद ज्ञापित किया। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ, रामकोट में आयोजित प्रवचन सभा का दृश्य।

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