हैदराबाद, शरद पूर्णिमा और सुपर हार्वेस्ट मून, दोनों के मिलन से 6 अक्तूबर की रात देश भर के आध्यात्मिक और खगोल प्रेमियों के लिए एक अनोखा खगोलीय अनुभव लेकर आएगी। खगोलविदों और संस्कृति प्रेमियों को इस रात चंद्रमा को सामान्य से बड़ा और अधिक चमकीला देखने का अवसर मिलेगा। इस चमक का सांस्कृतिक महत्व भी है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो मानसून के अंत और फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। चंद्रमा को सुपर हार्वेस्ट मून इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह पृथ्वी के सबसे निकट (पेरिगी) पहुँचता है। चंद्रमा 6 अक्त्बर को सूर्यास्त के ठीक बाद उदय होगा।
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हालाँकि इसकी पूर्ण कला 7 अक्तूबर को अलस सुबह विकसित होगी। भारत भर के खगोल प्रेमी बिना किसी विशेष उपकरण के इस शानदार सुपर हार्वेस्ट मून को देख सकते हैं। चंद्रमा का सुनहरा रंग और बढ़ा हुआ आकार नंगी आँखों से दिखाई देगा। उदय होते समय, चंद्रमा अक्सर नारंगी या लाल रंग का दिखाई देता है। शरद पूर्णिमा को पौराणिक कथाओं में वर्ष का एकमात्र ऐसा दिन माना जाता है जब चंद्रमा अपनी सबसे चमकीली चमक बिखेरता है।
