रेपो यथावत -आरबीआई ने दिया नीतिगत दर में कटौती का संकेत
मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 10वीं बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालाँकि केंद्रीय बैंक ने अपेक्षाकृत आक्रामक रुख को बदलकर तटस्थ कर दिया।
रुख में बदलाव का मतलब है कि आरबीआई मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि पर नजर रखते हुए जरूरत के हिसाब नीतिगत दर को बढ़ा या घटा सकता है। यह एक संकेत है कि मौद्रिक नीति समिति की अगली बैक में नीतिगत दर में कटौती को लेकर संभवत: कदम उाया जा सकता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पुनर्गित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार को शुरू हुई पहली बैक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया है। समिति के छह सदस्यें में से पांच ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया। रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए इसका उपयोग करता है। इस दर के यथावत रहने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।
हालाँकि समिति ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कुछ संकेत के बीच आम सहमति से उदार रुख को वापस लेने के रुख को बदलकर तटस्थ करने का निर्णय किया। यह जून, 2019 के बाद पहला मौका है जब रुख में बदलाव किया गया है। इससे पहले, नीतिगत दर में फरवरी, 2023 में बदलाव किया गया था। उस समय इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था।
दास ने कहा कि समिति ने रुख में बदलाव किया है। लेकिन उसका आर्थिक वृद्धि का समर्थन करते हुए मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप लाने पर पूरा ध्यान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनें में खाद्य मुद्रास्फीति कम हो सकती है। वही ऐसा लगता है कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति निचले स्तर से ऊपर आ रही है। मुख्य मुद्रास्फीति से खाद्य और ऊर्जा लागत को बाहर रखा जाता है।
दास ने कहा कि निजी खपत और निवेश में वृद्धि के साथ देश का आर्थिक वृद्धि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने सितंबर में आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि इस महीने इसमें खासकर तुलनात्मक आधार के कारण तेजी आ सकती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025) के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। साथ ही जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के अनुमान को भी 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखा। दास ने कहा कि मौजूदा और अपेक्षित मुद्रास्फीति-वृद्धि संतुलन ने मौद्रिक नीति रुख में बदलाव के लिए परिस्थिति तैयार की हैं। (भाषा)