संयम सजग महासती साध्वी चंदनबाला

जब भगवान महावीर ने चतुर्विध संघ की स्थापना की थी तब संघ में श्रमण-वृंद से श्रमणी-वृंद की संख्या अधिक थी। इसी कड़ी में प्रथम साध्वी चंदनबाला के बाद कई महान साध्वियाँ हुईं। इसी परंपरा में जैन शासन के श्रमण संघ की गुरूणी मातृ हृदय श्री चंदनबाला म.सा. का नाम सदैव स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। इनका जन्म विक्रम संवत् 1994 मिगसर सुदी 10 को राजस्थान के उदयपुर में श्री मोहनलाल की पत्नी सोहन बाई की रत्न-कुक्षी से हुआ।

बालिका का जीवन धार्मिक संस्कारों से पल्लवित हुआ। मात्र 15 वर्ष की अल्प आयु में उनके मन में वैराग्य के अंकुर फूटे। विक्रम संवत् 2009 चैत्र वदी पंचम को गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि महाराज की शिष्या चंद्रिका ने भगवती दीक्षा अंगीकार की। तत्पश्चात इन्हें चंदनबाला नाम का संबोधन दिया गया। चंदनबाला ने जैन धर्म की नवीं कक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने अनेक धार्मिक पुस्तकें लिखीं।

Ad

इन्हें ‘उच्च संयम जीवन पालन कर्ता’, ‘जिन शासन गौरव’, ‘मधुर व्याख्याता’, ‘तत्व चिंतामणि’, ‘जप साधक’, ‘संयम सजग’ आदि विभूषणों से अलंकृत किया गया। इन्होंने अपने 71 वर्ष के संयम पर्याय में मारवाड़, राजस्थान, मालवा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि क्षेत्रों में स्पर्शना व चातुर्मासिक धर्म आराधनाएं करवाईं। ‘अहिंसा परमो धर्म’ व ‘जीव दया’ के महत्व के लिए उदयपुर में उमरणा गांव में महावीर जैन गौशाला की स्थापना करवाई।

-जसराज जैन धोका

अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।

Ad

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button