सबसे बहुमुखी पोशाक है साड़ी : संजय गर्ग
हैदराबाद, फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) हैदराबाद चैप्टर द्वारा विश्व साड़ी दिवस की पूर्व संध्या पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। बंजारा हिल्स स्थित होटल लीला में आयोजित साड़ी- छह गज की सतत विरासत विषयक कार्यक्रम में रॉ मैंगो ब्रांड के संस्थापक संजय गर्ग ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए कहा कि यह परिधान आधुनिक सौंदर्यशास्र को अपनाते हुए भारत की समफद्ध परंपराओं का प्रतीक है।
संजय गर्ग ने एफएलओ हैदराबाद की अध्यक्ष प्रिया गजदार के साथ विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि सांस्कृतिक गौरव की पहचान साड़ी का फैशन कभी समाप्त नहीं होगा। पांच हजार वर्ष से अधिक की समृद्धि विरासत रखने वाली साड़ी दुनिया का सबसे पुराना बिना सिला हुआ परिधान है। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रेशम और सूती से बनी साड़ियां आधुनिक सामग्रियों में विकसित हुई हैं। साड़ी एक ऐसा लचीला परिधान है जिसे एथनिक, वेस्टर्न वियर तथा किसी भी अन्य चीज के साथ मिक्स एंड मैच किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों से फैशन की दुनिया में एक आकर्षक ट्रेंड उभरता हुआ देखा गया है। पारंपरिक भारतीय साड़ियों को पश्चिमी तत्वों के साथ मिलाकर स्टाइलिश और अनोखे आउटफिट तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व और पश्चिम के इस अनोखे मिश्रण ने फैशन की एक नई श्रेणी यानी इंडो-वेस्टर्न को जन्म दिया। आज पश्चिमी परिधानों के साथ मिक्स एंड मैच साड़ियों की खोज करते हुए शानदार, समकालीन लुक को अपनाया जा रहा है।
संजय गर्ग ने साड़ी की लोकप्रियता पर कहा कि हमारे देश में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज कई जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय मेहमानों ने साड़ी पहनी थी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिला राजनेताओं द्वारा पहनी जाने वाली सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय पोशाक साड़ी ही है। दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे देश में शहरी युवा महिलाएं अक्सर साड़ी पहनना पसंद नहीं करती हैं। उनके लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, कार्यालय का काम, दोपहिया वाहन चलाना आदि दैनिक गतिविधियों को मैनेज करना आधुनिक जीवनशैली के लिए इसे कम व्यावहारिक बनाता है। युवा पीढ़ी को साड़ी की ओर आकर्षित करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि साड़ी को 150 से अधिक स्टाइल में पहना जा सकता है। यह किसी भी दूसरे परिधान की तरह ही फैशनेबल हो सकती है। साड़ी सबसे बहुमुखी पोशाक है। किसी भी उम्र की महिलाएं इसे पहनकर आकर्षक दिख सकती हैं।
अवसर प्रिया गजदार ने कहा कि साड़ी के रूप में इस प्राचीन परंपरा को जीवित रखना केवल एक परिधान या शिल्प को बचाने या भारत की आध्यात्मिक, कलात्मक और सांस्वफढतिक विरासत का सम्मान करने के बारे में नहीं है, वरन यह ग्रामीण कारीगरों तथा बुनकरों को सशक्त बनाने के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि टिकाऊ भविष्य के लिए अतीत को वर्तमान के साथ जोड़ना होगा।