हैदराबाद, भगवान जब जीव पर करुणा करते हैं तो कथा दे देते हैं। भगवान की करुणा के ही फल से सत्संग का लाभ मिलता है। सत्संग बहुत दुर्लभ है। कथा मिलना सुलभ नहीं है। इसके लिए अनेक जन्मों के पुण्य का संचय करना होता है। उक्त उद्गार काचीगुड़ा स्थित श्री श्याम मंदिर में विष्णुदास राजगोपाल बाहेती द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिवस कथा की महिमा बताते हुए कथा व्यास श्रीश्री 1008 राजगुरु स्वामी बद्री प्रपन्नाचार्यजी महाराज ने दिये।
महाराज ने कहा कि भक्तों को पूरी कथा में से कोई एक बात चुनने के लिए भी पूरी कथा सुननी होगी, क्योंकि कथा का एक प्रसंग ही जीवन में कल्याणकारी हो जाता है। यह समय बहुत ही मंगलमय है जिसे हम भगवान के चरणों में व्यतीत कर रहे हैं। सारा जीवन संसार के भाव में डूबा रहता है। मानव देह प्राप्त करने के बाद भी धर्म नहीं करते हैं, बस संसार के प्रपंच में पड़े रहते हैं।
मनुष्य जीवन का महत्व और भक्ति से कल्याण का संदेश
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखते समय कहा कि जो पुराणो में, आगमों में लिखा गया है उसे पढ़कर हिन्दी में अनुवाद किया है। श्रीमद् भागवत में कहा है मानव देह बहुत दुर्लभ है जो हमें सुलभसे प्राप्त हुई है। भगवान ने करुणा की तो मनुष्य बनाकर एक मौका दिया ताकि धर्म कर इंद्रियों पर विजय पा सकें। इसके विपरीत मनुष्य जन्म के बाद भी भगवान के चरणों की भक्ति कर अपने जीवन के कल्याण के लिए कुछ नहीं करते हैं, तो हमारा जीवन निंदनीय है। जो इस मनुष्य देह के बाद भी भवसागर से पार होने के लिए कुछ उपाय नहीं करता है, वह नरक में जाता है।
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महाराज ने कहा कि मनुष्य मृत्यु के बाद आत्माहन गति यानि आत्महत्या करने वाले लोक में भेजा जाएगा। जो लोग मृत्यु लोक में आकर आत्महत्या करते हैं उनके लिए अलग लोक है जिसे असुरिया लोक कहा जाता है। वहाँ केवल अंधकार ही होता है। जो पूरी तरह संसार की आसक्ति में ही रहता है, उसका कल्याण नहीं होता है। महाराज ने रुक्मिणी विवाह, महारास एवं उद्धव चरित की कथा का महात्म्य बताया। अवसर पर विष्णुदास राजगोपाल बाहेती परिवार व भक्तगण उपस्थित थे।
