जुबली हिल्स हाउसिंग सोसाइटी को झटका, नये सदस्यों की भर्ती की अनुमति नहीं- अदालत

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जुबली हिल्स को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी को झटका देते हुए अंतरिम आदेश जारी किया। अंतरिम आदेश के तहत सोसाइटी नए सदस्यों की भर्ती नहीं कर सकती है और एक निजी वेंचर के साथ मिलकर रियल इस्टेट व्यापार भी नहीं कर सकती है। अदालत ने इन कार्यों पर तुरन्त रोक लगा दी।

गंडीपेट मंचीरेवुला में सोसाइटी ने जुबली हिल्स-4 के नाम से रियल इस्टेट व्यापार के सिलसिले में एक समझौता किया था। अदालत ने इस समझौते के तहत भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करने के उच्च न्यायालय ने आदेश दिए। इस आदेश के साथ मामले की सुनवाई 14 नवंबर तक स्थगित कर दी गयी और बताया कि अगली सुनवाई तक दिए गए आदेश अमल में रहेंगे। इसके साथ ही अदालत ने प्रतिवादी कृषि, सहकारी विभाग के मुख्य सचिव, को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार, जुबली हिल्स को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड को नोटिस जारी पूर्ण विवरण के साथ प्रतियाचिका दायर करने के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टी. माधवी देवी ने आदेश दिए।

प्रमुख उद्योगपति ज्योति प्रसाद कोनराजू ने जुबली हिल्स सोसाइटी में अवैध क्रियाकलापों को लेकर संबंधित अधिकारियों से शिकायत करने पर भी कार्रवाई न किए जाने के कारण आज उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि जुबली हिल्स सोसाइटी संबंधित नियमों का उल्लंघन करते हुए अपनी मनमर्जी चला रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वाई. रामाराव ने बताया कि स्पेशल कैडर उप-रजिस्ट्रार (जाँच अधिकारी) द्वारा जाँच-पड़ताल कर दी गई रिपोर्ट को भी सोसाइटी ने ठंढे बस्ते में डाल दिया। उन्होंने बताया कि सोसाइटी में नए सदस्यों की भर्ती प्रक्रिया भी अनुचित है। सोसाइटी अधिनियम की धारा 19 के अनुसार, सोसाइटी के पास जमीन होने पर ही नए सदस्यों की भर्ती के लिए प्रक्रिया की जानी चाहिए। सोसाइटी द्वारा मंचीरेवुला में जुबली हिल्स फेस-4 के तहत रियल इस्टेट का व्यापार करना भी अवैध है।

एक निजी वेंचर से समझौता कर पाँच लाख रुपये के भुगतान पर प्लॉट बुक करने की शर्त रखना भी अनुचित है। लगभग 1,800 सदस्य प्लॉट के लिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सोसाइटी ने ज़िलाधीश को जानकारी दिए बिना निजी वेंचर के साथ समझौता कर रियल इस्टेट का व्यापार कर रही है। सोसाइटी के पदाधिकारी रियल इस्टेट व्यापार के लिए सोसाइटी का उपयोग कर रहे हैं। सोसाइटी के इस अवैध क्रियाकलापों के खिलाफ 24 सितंबर और 9 अक्तूबर को शिकायत की गई, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। तेलंगाना को-ऑपरेटिव सोसाइटी अधिनियम 1964 की धारा 51 के अनुसार जाँच-पड़ताल करने के बजाय रजिस्ट्रार इस मामले में मूकदर्शक बने हुए हैं। इस पर सरकारी अधिवक्ता ने हस्तक्षेप कर बताया कि 24 सितंबर को शिकायत प्राप्त हुई, लेकिन यह शिकायत याचिकाकर्ता ने नहीं दी। 9 अक्तूबर को याचिकाकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर रजिस्ट्रार समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले पर प्रतियाचाका दायर करने के लिए अदालत से समय देने का आग्रह किया। अदालत ने समय देते हुए मामले की सुनवाई 14 नवंबर तक स्थगित कर दी, लेकिन बताया कि आज जारी किए गए अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक अमल में रहेंगे।

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