श्री जैन सेवा संघ ने मनाया सामूहिक क्षमापना सम्मेलन
हैदराबाद, श्री जैन सेवा संघ के तत्वावधान में नगर त्रय में विराजित साधु-साध्वियों के सान्निध्य में सामूहिक क्षमापना सम्मेलन लोअर टैंकबंड स्थित भाग्यनगर गौसेवा सदन में भव्यता से संपन्न हुआ।
आज यहाँ श्री जैन सेवा संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसके लाभार्थी पुष्पा जैनरत्न राजेन्द्र विनोद कुमार कीमती परिवार थे। ध्वजारोहण प्रेमराज सुरेन्द्र कुमार ज्योति, अमित कुमार मनीषा, राजवर्धन बांटिया परिवार ने किया। अवसर पर अभिनंदनचंद्र सागरजी म.सा. ने कहा कि एक दूसरे के साथ गांठ लगाना, मन के भीतर बैर की भावना पैदा करना आसान ह। पर मतभेद के संबंधों की दीवार को गिराकर एक-दूसरे के भीतर गांठें खोलना कठिन है। परमात्मा महावीर ने संदेश दिया कि जो दिलों के बीच दरारें पैदा होकर संबंधों के बीच दीवार खड़ी है, उसे गिराना है। मिच्छामि दुक्कड़म कर क्षमापना पर्व मना रहे हैं। इतने दिनों के बाद श्री जैन सेवा संघ के माध्यम से हैदराबाद में विराजित संत संप्रदाय के महात्मा के बीच समागम हुआ। इसी प्रकार सेवा संघ बढ़ते रहे।
लोकेशमुनिजी ने कहा कि वास्तव में क्षमापना पर्व आत्म शुद्धि का विलक्षण पर्व है। यह जाति संप्रदाय, क्षेत्र, पार्टी, सीमा से बंधा नहीं है। यदि गौर करें तो क्षमा शब्द दो शब्दों से क्ष और मा से बना है। वैसे ही मोक्ष को देखें तो वह भी दो शब्द मो और क्ष से बना है। मोक्ष क्षमा में छिपा है मोक्ष का रास्ता क्षमा से होकर गुजरता है। पर्वाधिराज पर्युषण के दिवसों में अंतगढ़ सूत्र का वाचन स्थानकवासी परंपरा में होता है। तप साधना तभी सफल है, जब उसमें क्षमा है। क्षमा नहीं तो सारी साधना बेकार है। शून्य की कीमत एक बढ़ाता है, इसलिए दस धर्म में क्षमा है। अगर समकित के लक्षण को देखें तो क्षमा है। साधु का विशेषण आता है क्षमा क्षमण संत के स्वभाव में क्षमा बसी है।
मोक्षतिलकजी म.सा. ने कहा कि व्यक्ति हमेशा दूसरों की गलती देखता है, अपनी नहीं। वर्तमान में जितना दूसरे समाज ने जैन को नुकसान नहीं पहुँचाया, उससे अधिक जैनों ने किया। हमारे यहाँ पहले क्षमा की बात आती है। प्रतिक्रमण से लगाकर जीवन के हर कार्य में क्षमा करना है। एक संत दूसरे से नहीं मिलना चाहता। जिस क्षमा की बात कर रहे हैं, वह औपचारिक बनकर रह गया है। भगवान महावीर के सिद्धांतों को समझेंगे, तो बोलने की आवश्यकता नहीं होगी। हम कार्यक्रम में अपनी हाजिरी लगाने आते हैं। समाज में कड़क भी रहना है। क्षमापना दिल से करें, औपचारिक नहीं।
पुनीतज्योतिजी म.सा. ने कहा कि हम क्षमा क्यों नहीं माँग सकते। हर वर्ष यही शब्द कहते हैं। सबसे ज्यादा डूबने वाला अहंकार है। संप्रदाय श्रेष्ठ, पंथ श्रेष्ठ, ज्ञान श्रेष्ट है। श्रेष्ठ क्षमा मांगने नहीं देता है। अहंकार सभी कुछ समाप्त कर सकता है। जब तक मेरा शब्द रहेगा, तब तक किसी से क्षमा नहीं माँग सकते। स्थाई रूप से क्षमा माँगनी चाहिए। जो दिल से क्षमा माँगता है, वह कभी रोगी नहीं रहता। बार-बार क्षमा का अभ्यास करना चाहिए। क्षमा माँगने से क्षमावान तो बनता है, लेकिन क्षमतावान भी बनता है। उसके भीतर क्षमता जागृत होती है, ऊर्जा आती है।
विजयलताजी म.सा. ने कहा कि हम विशेष प्रयोजन पर सम्मिलित हुए हैं। तपस्या, सामायिक, दान-पुण्य करें, लेकिन क्षमा धारण न करें तो सारी क्रिया सफल नहीं हो सकती। विशेष रूप से अपनी भूल स्वीकार करें, दूसरों की भूल जाएँ। भूल मन में न रखें। आज हम इसके विपरित चलते हैं। अपनी भूल को स्वीकार करे, तो सुधार होगा, उद्धार भी होगा। किसी ने भूल की है, उसे भूल जाएँ। अपराध किया है, आपको कष्ट पहुँचाया है, तो माफ कर दो। हम विपरित करते हैं। दूसरों की भूल बार-बार दोहराते हैं, लेकिन अपनी भूल को स्वीकार नहीं करते। अपराध करके भी अंजान बनते हैं। क्षमा क्यों माँगू कठोरता का प्रदर्शन होगा। प्रतिक्रमण में 84 लाख योनि से क्षमायाचना की।
शिवमालाजी म.सा. ने कहा कि ऐसा लगता है आज का यह क्षमा पर्व विजय का नहीं बाजारू रह गया है। अंतर आत्मा को धोने का, मन के बिखरे कांटों को दूर करने का पर्व है। न कि ठाट बाट का पर्व। आत्म शुद्धि से क्षमा याचना करें। क्षमा कष्टों को, अशांति को दूर करती है।
सुनृतिकाश्रीजी म.सा. ने कहा कि जिन्दगी के 50 साल बीत चुके है। हर साल हर बार हम वही चीज दोहराते हैं और फिर उसी घटनाक्रम में लग जाते है, जिसकी हमें फिर एक साल बाद क्षमा माँगनी पड़ती है। कितना विचित्र है संसार सोचने पर लगता है ऐसा क्यों होता है। सभी स्वजनों से 84 लाख योनि जीवों से माफी माँगी है। एक साल बीता फिर उसी व्यवहार का अनुसरण करते हैं, ऐसा क्यों होता है। भगवान महावीर कहते हैं कि जब-जब हमें प्रेम और राग के बीच में अंतर दिखना बंद हो जाता है, तब-तब हमसे गलतियाँ होती हैं। वर्षणाजी म.सा. ने कहा कि अनादिकाल से यह जीव चार गति में संसार में परिभ्रमण कर रहा है, उसका मुख्य कारण राग और द्वेष है। राग का संबंध जड़ वस्तु के साथ जुड़ा है। हमारा द्वेष जीवों के प्रति बढ़ता जा रहा है। राग और द्वेष को दूर करने के लिए क्षमापना पर्व बताया गया है। सभी आराधना का मूल है क्षमायाचना। बिना क्षमायाचना का कितना भी जप तप करो, कितनी ही आराधना करो, वह एक आंकड़े के बिना शून्य है। गलतियों को माफ करने का इरेजर है क्षमा। क्षमा ही धर्म है, कर्म है और मर्म है। क्षमा स्वगुण की प्राप्ति है, सहायता और जीवन स्वरूप की विधायका है।
सुलक्ष्णाश्रीजी म.सा. ने कहा कि किसके हृदय में क्षमा का वास होता है। इसी को समझ गये तो सभी कुछ समझ में आ गया। जिसके घर में प्रेम है, उसके पास धन है। जिसके प्रेम है उसके पास है सफलता है। हृदय में क्रोध व गलतियों को माफ करने की हिम्मत है, तो निश्चित रूप से परमात्मा का वास है।
संघ के अध्यक्ष योगेश सिंघी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि क्षमापना पर्व गत कई सालों से मना रहे हैं। यह जाने-अनजाने में किसी को यदि ठेस पहुँची है, तो संघ परिवार की ओर से पदाधिकारियों से क्षमायाचना करते हैं। शासन दीप संस्था की शुरुआत की है। यह समाज की गंभीर समस्या है। जनसंख्या के हिसाब से एक या दो पर ही रुक गये। संघ की ओर से टीम को धन्यवाद योजना को चालू करने के लिए। अर्थ के बिना कोई कार्य नहीं होता। जितने भी लाभार्थी हैं, सभी का संघ आभार व्यक्त करता है। सभी के सहयोग से भवन का नवीनीकरण किया गया है। हम किराया वही रखेंगे। संघ को कमाई का सोर्स नहीं है। जो भी पुराना रेंट संघ समाज के लिए हमेशा उपलब्ध रहेगा। हाल ही में जैन सेवा संघ महिला के चुनाव संपन्न हुए, उन्हें बधाई। उन्होने कहा कि जैन सेवा संघ आत्म गौरव भवन में ट्रस्टी है। प्रॉजेक्ट चेयरमैन गौतम सहलोत ने बताया कि आने वाली महावीर जयंती के पहले कार्य आरंभ हो जाएगा। यह बड़ा प्रॉजेक्ट है, इसलिए सभी सहयोग दें।
संघ के महामंत्री अशोक कुमार मुथा ने क्षमा की विवेचना करते हुए कहा कि अमीरपेट में मुर्गी खाने को बंद करवाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने विभिन्न मंडल के श्रावक-श्रावकियों, तपस्वियों का आभार प्रकट किया।
पूर्व अध्यक्ष एवं शासन दीप संस्था के निर्मल कोठारी ने कहा कि समाज विचित्र परिस्थित से गुजर रहा है, जिसमें तलाक, देरी से शादी आदि बढ़ रहे हैं और जनसंख्या की दर कम हो रही है। समाज के बुद्धिजीवियों ने बताया कि सामाजिक तौर पर जैन समाज की संख्या घट रही है। यही सिलसिला रहा तो आने वाले समय में बहुत ही कम हो जाएगी। आज पूरे देश में पारसी समाज के बाद जैन समाज की जनसंख्या कम होती जा रही है। समस्या के समाधान ने समाज के अग्रणी विचार किया, जिसके चलते शासन दीप का संस्था का गठन किया गया। जनसंख्या को बढ़ाने के लिए युवाओं के साथ बैठकर इस संबंध में बात करेंगे। दिसबंर 2023 के बाद जिनकी तीसरी संतान हुई, उन्हें दो लाख की प्रोत्साहन की राशि एवं भगवान महावीर मेडिकल सहायता दी जाएगी। अवसर पर संस्था की ओर से पवन बम्ब को 2 लाख रुपये की राशि निर्मल सिंघवी, सीए जसराज श्रीश्रीमाल, योगेश खरगांधी, चंपालाल ने भेंट की।
कार्यक्रम में श्री जैन सेवा संघ के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन के लाभार्थी पुष्पा जैनरत्न राजेन्द्र विनोद कुमार कीमती परिवार, ध्वजारोहण के लाभार्थी प्रेमराज सुरेन्द्र कुमार ज्योति, अमित कुमार मनीषा, राजवर्धन बांटिया परिवार, स्वामी वात्सल्य के लाभार्थी कमलादेवी भक्तिराज कविता देवी, कैलाश कुमार, डिंकी रौनक भंडारी परिवार, कार्यक्रम स्थल पंडाल व पैसेज के लाभार्थी स्व.अमरचंद बागरेचा एवं किरण देवी उमेश कुमार दीपिका सुमित कुमार मनीषा बागरेचा परिवार एवं केवलचंद अमित कुमार सुमित कुमार मुणोत परिवार, कार्यक्रम के मुख्य प्रवेश के लाभार्थी अमृत कुमार शैलेश कुमार विशाल कुमार आंचलिया परिवार एवं प्रवेश के लाभार्थी वसंता देवी पोपटलाल किरण कुमार जिग्नेश कुमार समस्त टापरानी परिवार, कार्यक्रम स्थल के मंच के बैक ड्रॉप के लाभार्थी शिवराज मीठालाल गौतम दर्शन सेहलोत परिवार और कार्यक्रम के मुख्य सहयोगी जवाहरमल योगेश कुमार गौरव जतिन सिंघी परिवार, विशेष सहयोगी परिवार का बहुमान किया गया।