श्री जैन सेवा संघ का सामूहिक क्षमापना सम्मेलन संपन्न
हैदराबाद, श्री जैन सेवा संघ हैदराबाद के तत्वावधान में सामूहिक क्षमापना सम्मेलन उत्साह के साथ आज लोअर टैंकबंड स्थित भाग्यनगर गौसेवा सदन के सभागार में आयोजित किया गया। आचार्य भक्तिरत्नसूरीजी म.सा. आदि ठाणा, राष्ट्र संत ललितप्रभजी म.सा., चन्द्रयशजी म.सा. आदि ठाणा, राजेशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा, सुलोचनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, सुधाकंवरजी म.सा. आदि ठाणा, भावरत्नाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, साध्वी चारूदर्शनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, विशालमालाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, साध्वी डॉ. गवेषषणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, साध्वी राजमतीजी म.सा. आदि ठाणा, स्मिताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, नम्रताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, कनकप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा, निवृत्तिश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, जयश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, सुमगंलप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा, मंगलज्योतिजी म.सा. आदि ठाणा, प्रियास्नेहांजनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, रिद्धिश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, करिश्माश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, सौभाग्यमतिजी म.सा. आदि ठाणा, प्रियामरसाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा एवं सौम्याश्रीजी म.सा. आदि ठाणा के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में सभी ने एक दूसरे से मिच्छामि दुक्कड़म किया।
राष्ट्र संत ललितप्रभजी म.सा. ने कहा कि अभिनंदनसागरजी म.सा. ने अभी आपके शहर में जैन इंटरनेशनल स्कूल खोला है। जैन समाज के हर तबके को इससे जुड़ना चाहिए। हर जगह ऐसे विद्यालयों की स्थापना करें, जहाँ संस्कारों का भी बीजारोपण हो। जैनियों की दो बातें जबरदस्त है नंबर एक सीए करो ना करो, एमबीए करो ना करो, पर जैनियों की एक पढ़ाई एमडी यानी मिच्छामि दुक्कड़म जरूर करो। दूसरी पारिवारिक प्रेम में एक उपवास करते हैं, पर पारणे करवाने वाले सारे प्रेमपूर्वक तैयार रहते हैं। ऐसा प्रेम आपको भारत में कहीं नहीं मिलेगा। यह जैनियों की खासियत है।
पर्युषण का संदेश: क्षमा और प्रेम से जीवन निर्मल
पर्युषण पर्व का मूलत अर्थ है मन के सारे प्रदूषण को मिटाना, प्रदूषण मिट जाए तो पर्युषण मनाना सार्थक हो जाता है। दूर तीर्थयात्रा करने की जरूरत नहीं, घर में भाई या अन्य किसी से बैर है, तो घर की पाँच सीढ़ी चढ़ कर उसे गले लगकर सॉरी कह दें, तो आपको हैदराबाद में बैठे ही पालीताणा तीर्थ की यात्रा का फल मिल जाएगा। दो सेकंड के शब्द सॉरी और तीन सेकंड के शब्द मिच्छामि दुक्कड़म से आपके पूरे साल भर के रिश्तों को मजबूती मिल जाती है। केवल सॉरी से ही समाधान निकल आता है।
म.सा. ने कहा कि जीवन भर याद रखना जो काम रुमाल से निपट जाए, उसके लिए कभी भी रिवॉल्वर का प्रयोग मत करना। जो व्यक्ति जीवन में इस बात का बोध रखता है कि जो काम क्षमापना से निपट जाए या जो काम हाथ जोड़ने से निपट जाए, वही जीत दिलायेगा। हाथ उठाकर एक आदमी 10 लोगों को नहीं जीत सकता है, पर हाथ जोड़कर लाखों लोगों के दिलों को जीत सकता है। एक बार कोने में बैठकर आत्मचिंतन कर लें कि क्षमापना केवल समारोह, केवल चढ़ावे, पूजा पाठ, आराधना तक सीमित न रहे। लोगों ने पर्व में खूब आराधना तपस्या कर मन को, भाव दशाओं को निर्मल किया।
पर्युषण: क्रोध से बोध और सहनशक्ति का संदेश
पर्युषण पर्व की आराधना का मूल उद्देश्य व्यक्ति के मन के प्रदूषण को मिटाना है। केवल इतना सा देख लो कि पिछले साल आपकी पाँच लोगों से बोलचाल बंद थी, आज यह संख्या तीन हुई है, तो सही है, पर सात बढ़ा लिये तो जीवन में परेशानी है। एक बात याद रखना, दुनिया में एक ही व्यक्ति है जो हमें सुधार सकता है, वह हम स्वयं हैं। जिंदगी जीने के दो तरीके हैं या तो क्रोध में जियो या बोध में जियो। जिसके पास शक्ति होती है, उसे लोग सिकंदर कहते हैं और जिसके पास सहनशक्ति होती है उसे लोग तीर्थंकर कहते हैं। यह क्षमापना शक्ति का प्रदर्शन नहीं, सहनशक्ति का प्रदर्शन है।
क्रोध से निकलकर बोध में आने के पर्व का नाम पर्युषण है। यह अगले साल फिर आएगा, महाराज बदलेंगे, तारीखें बदलेंगी, वर्ष बदलेगा, पर आप लोग भी वैसे ही रहेंगे पहले भी वैसे ही थे कल भी वैसे ही रहेंगे तो क्या लाभ। आत्मचिंतन करने की बात यह है कि हम अपने अंतर्मन को कितना निर्मल और सरल कर पाए। श्री जैन सेवा संघ का हम अभिनंदन करते हैं, जिसने अध्यक्ष योगेश सिंघी के कार्यकाल में खूब विकास किया है, प्रगति की, नई ऊँचाइयाँ छुईं, नए विकल्प, नए प्रकल्प, नई योजनाएँ आगे बढ़ रही हैं।
संघ के हर सदस्य का फर्ज़ होता है कि वह सहयोगी बने। आज के सामूहिक समापन समारोह ने चतुर्विद संघ को एकजुट किया है। वर्तमान में कीमत एकजुटता की होती है, टुकड़े-टुकड़े की नहीं। जयश्रीजी म.सा. ने कहा कि लोग क्षमायाचना अपने परिवार से ही माँगते हैं, जबकि दुश्मनों और बैरियों से तो आप क्षमा माँग ही नहीं सकते चाहे कितना भी सुन लें, क्या फर्क पड़ने वाला है। हर वर्ष यही समय आता है क्षमायाचना का, जगह वही है, मंच वही है, लेकिन संत बदल जाते हैं।
क्षमायाचना पर्व: बैर मिटाकर मैत्री का संदेश
प्रतिवर्ष क्षमा याचना का आयोजन होता है, लेकिन हम सभी परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। सच्चे मन से बैरी से क्षमायाचना नहीं की, तो यह हमेशा पर्व अधूरा ही रहेगा। म.सा. ने कहा कि आगामी 5 अक्तूबर को यहाँ भव्य 1008 सह-जोड़े का आयोजन होगा। आप सभी इसमें अवश्य भाग लें। अभिनंदनचन्द्रजी म.सा. ने कहा कि संवत्सरी पर्व गया है और जैनों में यह पर्व क्षमा याचना के रूप में मनाया जाता है।
यह पर्व दिल में बैर को दूर करने तथा आपसी मैत्री बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। जीवन में अब तक जो दिल में दरारें थीं, उनको हटाने और स्वभाव को निर्मल और मैत्रेय बनाएँ। पर्युषण पर्व की साधना ही तप त्याग और क्षमा को धारण करने की प्रेरणा देती है। गवेषणाश्रीजी म. सा. ने कहा कि आठ दिन धर्म की आराधना की और 84 लाख जीव योनि से क्षमा माँगी। क्षमा फेविकोल के समान है, जो दो दिल को जोड़ती है।
क्षमा आदि व्याथि का निराकरण करती है, फिटकरी के समान है, जो भीतर की कर्कशता को तोड़ती है। क्षमा को धारण कितना करते हैं, यह अवलोकन करें। जिसके हाथ में क्षमा का शस्त्र आता है, उसका दुर्जन कुछ नहीं कर सकता। जिसके दिल में क्षमा का दीप जल गया, वह व्यक्ति सब कुछ प्राप्त कर सकता है। माफी माँगने से व्यक्ति का सबसे बड़ा फायदा अहंकार का विसर्जन होगा। जहाँ अहंकार है, वहाँ ममकार है। सहन करने वाला ही क्षमावान होता है।
क्षमापना पर्व: आत्मशुद्धि, मैत्री और समभाव
वाद नहीं, संवाद करें। वाद-विवाद झगड़े का मूल है। संवाद के पीछे समाधान होता है। महावीर की तुलना में एक भी नहीं मिलेगा। महावीर ने कहा दुनिया में कोई बैरी नहीं, यह बात समझेंगे तो सभी को समझ है। म.सा. ने जैन शादियों को नॉनवेज होटल में न रखने, शादी ब्याह में सड़कों पर महिलाओं के नाचने जैसे कार्यों पर रोक लगाने हेतु सभी को प्रेरित किया।प्रियवंदनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि क्षमापना पर्व सभी पर्वों में श्रेष्ठ है। यह हमारी आत्मा के कषायों का विसर्जन करता है।
क्षमापना पर्व राग द्वेष की ऑपरेशन की गलती को ठीक करता है। क्षमापना पर्व आत्मा को शुद्धिकरण एवं पवित्र निर्मल बनाने वाला पर्व है। भगवान महावीर ने भी कहा कि पर्व का आगमन होता है तब क्रोध का विसर्जन क्षमा का सृजन करना, विभाव दशा का विसर्जन कर समभाव का सृजन करना। यह जीवन में नवनीत के लिए आता है। हृदय का मंथन किया तो कषाय का विसर्जन क्षमापना का सृजन हुआ।
पर्व पर चिंतन मनन करें, जिस व्यक्ति के लिए हमने दिल में नो एडमिशन विथ आउट परमिशन का बोर्ड लगाया है, उसे हटाकर वेलकम का बोर्ड लगा हर व्यक्ति के लिए वेलकम का बोर्ड लगाना ही क्षमापना पर्व सिखाता है। मंयकश्रीजी म.सा. ने कहा कि बैर ही बैर को बढ़ाता है। मैत्री जुड़े तो अपने आप बैर शांत हो जाता है। मैत्री ऐसा शस्त्र है, जिसके द्वारा व्यक्ति कर्मों को काट सकता है। मैत्री ऐसा आभूषण है, जिसके द्वारा व्यक्ति गुणों को बढ़ाकर जीवन को सुन्दर आकार दे सकता है। जो व्यक्ति मैत्री का सूत्र सीख लेता है, उसके जीवन की ज्योति जग जाती है।
जैन सेवा संघ की क्षमापना पर्व परंपरा और संकल्प
जहाँ क्षमा का सूत्र आ जाता है, समाज परिवार चाहे व्यक्तिगत हो, अपने आप सोने पर सुहागा हो सकता है। जिन पाँच व्यक्तियों से बैर है, उनके साथ अवश्य मिच्छामि दुक्कड़म करें। केवल कार्यक्रम तक ही सीमित न हो, भावों विचारों पवित्रता के साथ जीवन स्तर को ऊँचा उठाना है। जैन सेवा संघ के अध्यक्ष योगेश सिंघी ने गुरु भगवंत और समाज बंधुओं से क्षमायाचना करते हुए कहा कि जैन सेवा संघ 67 साल से सामूहिक रूप से क्षमापना पर्व मनाता आ रहा है।
जहाँ नगर त्रय में विराजित सभी संप्रदाय के साधु-साध्वियों को एक मंच पर आमंत्रित किया जाता है। उद्देश्य यही है कि जितने भी साधु-संत हैं, उन्हें एक मंच पर लाकर मेल मिलाप करवाना। जैन सेवा संघ आपका है, आपने बनाया है, कोई भी छोटी सी बात होती है, तब जैन सेवा संघ के अध्यक्ष, मंत्री को फोन करते हैं, ये विचारणीय विषय है। संघ द्वारा वर्ष में दो ही कार्यक्रम सामूहिक रूप से किये जाते हैं एक महावीर जन्म कल्याणक एवं दूसरा सामूहिक क्षमापना पर्व।
साधु का फर्ज बनता है कि इस परंपरा को आगे लेकर चले। आप सपोर्ट करेंगे, तो यह परंपरा आने वाले साल भी चलेगी, अन्यथा लुप्त हो जाएगी। उन्होने कहा कि जैन समाज के आत्मगौरव का जो लैंड गवर्नमेंट से लिया था, उसके लिए हमने व्यवस्था भी की, पर कुछ इश्यू आने के कारण छह माह डिले हुए। तीन दिन पहले 19 अगस्त को प्लॉट नंबर 64 वापस हैंडओवर कर दिया गया। 2 सितंबर को काम चालू किया जाएगा।
दानदाताओं का आभार और क्षमायाचना
उन्होंने सभी दानदाताओं का का आभार व्यक्त किया। महामंत्री अशोक मुथा ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने वाले सभी दानवीर भामाशाह परिवार, जिसमें सभा मंडप की सजावट में सहयोग प्रदान करने वाले परिवार, पंडाल लाभार्थी, प्रवेश द्वार लाभार्थी, दीप प्रज्ज्वलनकर्ता लाभार्थी, प्रवेश द्वार लाभार्थी, ध्वजारोहण लाभार्थी, बैनर लाभार्थी, मुख्य सहयोगी, सहयोगी, सह सहयोगी, स्वामी वात्सल्य लाभार्थी परिवार का आभार व्यक्त करते हैं।
श्री जैन सेवा संघ सेवा, त्याग, संगठन में विश्वास करते हुए जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए चातुर्मास की बेला में कार्यक्रम को भव्यता से आयोजित करता है। जीवन की व्यवस्था में हर व्यक्ति उलझा हुआ है। रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने में कभी कभार जाने अनजाने त्रुटियाँ हो जाती हैं, जिसके लिए दिल से क्षमायाचना करते हैं। क्षमा वीरों का भूषण है, जिसे अपनाते हुए अपनी भूलों को स्वीकार कर सभी से क्षमायाचना करें।
उन्होने कहा कि पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों के सहयोग से समाज कार्य में अग्रसर होते हुए विगत ढ़ाई वर्षों में जैन सेवा संघ के तत्वावधान में बहुत ही अच्छे कार्य संपन्न हुए हैं, जिसकी रिपोर्ट रखी गई है। प्रधान संयोजक राकेश सुराणा ने कार्यक्रम में पधारे सभी श्रीसंघ के पदाधिकारियों, दानदाताओं, लाभार्थी परिवारों व समाज बंधुओं का आभार व्यक्त किया।
लाभार्थी परिवारों का सम्मान और सहयोग
कार्यक्रम में स्वामीवात्सल्य लाभार्थी स्व. प्यारेलाल-भंवरीदेवी मुथा के दिव्याशीष से गौतमचंद-सरलादेवी, प्रमोद-रेणु, राजेन्द्र-सुमन, कनिका, कायरा मुथा, प्रवचन हॉल प्रवेश द्वार के लाभार्थी स्व. पुष्पराज भंडारी के दिव्याशीष से मोहिनीदेवी वीणा-वीरेन्द्र, राशि-अक्षय, मोहित एवं समस्त भंडारी परिवार, पंडाल के लाभार्थी अमरचंद कांतिलाल उमेश कुमार सुमित कुमार बागरेचा, केवलचंद अमित कुमार सुमित कुमार रियावाला सेठ मुणोत परिवार, मुख्य प्रवेश द्वार लाभार्थी अमृत कुमार शैलेष कुमार विशाल कुमार आंचलिया, जीवराज चंदनमल विकास दिनेश मुकेश रियांश हिदांश चाणोदिया व माल्यार्पण सदस्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलन लाभार्थी पुष्पा जैनरत्न राजेन्द्र विनोद विक्रम कीमती परिवार, ध्वजारोहण लाभार्थी अमीचंद हीराचंद झोठा परिवार, बैक ड्राप लाभार्थी शिवराज मीठालाल गौतम दर्शन सेहलोत परिवार, मुख्य सहयोगी जवाहरमल योगेश कुमार गौरव जतिन सिंघी, जुगराज अशोक कुमार रितेश कुमार रोहित कुमार बैदमुथा, वर्धमान बैंक, महावीर बैंक के चेयरमैन अशोक कोठारी का सम्मान श्री जैन सेवा संघ के मार्गदर्शक चेयरमैन गौतमचन्द गुगलिया, अध्यक्ष योगेश कुमार सिंघी, उपाध्यक्ष सुभाष पिरोदिया, विनोद संचेती, महामंत्री अशोक कुमार मुथा, सह-मंत्री भरत भंसाली, राजेश गुगलिया, कोषाध्यक्ष महेन्द्र कटारिया, प्रधान संयोजक राकेश सुराणा, नरेन्द्र लुंकड़, प्रवीण पांड्या सहित कार्यकारिणी सदस्यों ने किया।
यह भी पढ़ें… परमात्मा की प्राप्ति के लिए करते रहें प्रयास : आचार्य कौशिकजी
विशेष सहयोगियों व सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में विशेष सहयोगी अशोक श्रेयांश कमार बरमेचा, कानमल विनोद कुमार अंश संचेती, धनराज सुभाष पिरोदिया, भक्तिराज चंदनमल कैलाश भंडारी, मिश्रीमल गौतमचंद गुगलिया, पारसमल प्रदीप श्रेष्ठ सुराणा, जवाहरमल भरत भंसाली, मदनलाल नवल कुमार रौणक बाफणा, आनंदराज प्रवीण कुमार सोहनराज सुराणा, मोहनलाल कपिल अभिषेक बागरेचा, मूलचंद अनिल सुनील कांवड़िया, जैन कंस्ट्रक्शन्स, योगेश पंकज खरगांधी, केवलचंद विमलचंद मुथा, बाबूलाल माणकचंद मोहित पोकरणा, महेन्द्र नरेन्द्र लुंकड़, नाहरमल राकेश सुराणा, ज्ञानमल मनोज कुमार तातेड़, भीकीदेवी केसरीमल संकलेचा, हस्तीमल शांतिलाल गुन्देचा, अमोलकचंद रमेश दिनेश गांधी व मदनलाल अन्नराज बाफणा सदस्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम में गौतमचन्द पवन चाणोदिया, नेमीचंद मनीष दुग्गड़, मंगलचंद संजय कटारिया, जीवराज विमलचंद नाहर, नवरतनमल मुकेश कुमार गुंदेचा, मंगलचंद अशोक कुमार कटारिया, मनोहरलाल कुशालराज कांकरिया, विक्रम जैन, सहयोगी अन्नराज शिवराज राकेश योगेश रायसोनी, उज्ज्वल कुमार विनोद कुमार मखाणा, मोहनलाल राजेश कुमार पारख, अरविन्द श्रीमाल, जीतो हैदराबाद चैप्टर सह-सहयोगी जीवराज राजेश गुगलिया, जुगराज किशोर प्रतीक मुथा, श्री कोठारी ज्वेलर्स, देवेन्द्र दीपक कीमती, भंवरलाल राजेश भंडारी व मंगलचंद पवन कुमार पांड्या सदस्य उपस्थित थे।
जैन सेवा संघ के पदाधिकारियों व सदस्यों का सहयोग
कार्यक्रम में केवलचंद धर्मेन्द्र समदरिया, मोहनलाल आनंद बोहरा, भंवरलाल पदम बसंत बाफणा, मोतीलाल सुशील भगलट, सुरेन्द्रमल सिद्धार्थ लूणिया, धर्मीचंद अनिल कातरेला, अमरचंद आतीश श्रीश्रीमाला, राजेश जयकुमार साभद्रा, जसवंतराज मोतीलाल बोथरा, सूर्यप्रकाश अरिहंत नाबरिया, लालचंद आशीष भंसाली, भोपाल सिंह नवीन कावड़िया, कांतीलाल धर्मेन्द्र नाहर, सुभाषचंद सुशील संचेती, वजीरचंद त्रिलोक झाबक, मीठालाल रमेशकुमार गांधी ने सहयोग दिया। स्वागत गीत श्री जैन सेवा संघ महिला मंडल, तेरापंथ महिला मंडल के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने प्रस्तुत किया। मंच का संचालन राजेश बलाई व पवन कटारिया ने किया। अवसर पर सकल जैन श्री संघ के पदाधिकारी, सदस्य उपस्थित थे।
अवसर पर श्री जैन सेवा संघ के मार्गदर्शक चेयरमैन गौतमचन्द गुगलिया, अध्यक्ष योगेश कुमार सिंघी, उपाध्यक्ष सुभाष पिरोदिया, विनोद संचेती, महामंत्री अशोक कुमार मुथा, सह-मंत्री भरत भंसाली, राजेश गुगलिया, कोषाध्यक्ष महेन्द्र कटारिया, प्रधान संयोजक राकेश सुराणा, नरेन्द्र लुंकड़, प्रवीण पांड्या, कार्यकारिणी सदस्य आनंद बोहरा, अनिल कातरेला, आशीष साभद्रा, दीपक कीमती, दीपक संचेती, धर्मेन्द्र समदरिया, घेवरचंद कोठारी, कैलाश भण्डारी, किशोरकुमार मुथा, माणकचंद पोकरणा, मोहनलाल बागरेचा, नवल बाफणा, नवीन अलिजार, पदम कोठारी, पारस डोसी, पवन पाण्ड्या, प्रदीप सुराणा, राजेन्द्र बोहरा, राजेन्द्र भंडारी, राजेश साभद्रा, रमेश गांधी, रमेश पितलिया, सज्जनराज भण्डारी, सज्जनराज सिंघवी, सुनील कावड़िया, सुरेश सुराणा, विजय सुराणा, विमल मुथा, विनोद मखाणा, योगेश सोनी, मनोनीत सदस्य रतनचंद सुराणा, सुभाषचंद रांका, नरेन्द्रकुमार लुंकड़ ने सहयोग प्रदान किया।
अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।





