आयुर्वेद में स्वास्थ्य के तीन स्तंभ बताये गए हैं- आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। नींद से शरीर को वैसे ही लाभ होते हैं जैसे पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार मिलने से। स्पष्ट है कि शरीर के लिए नींद उतनी ही ज़रूरी है जितना भोजन। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए शयन अनिवार्य है। शयन को पूर्ण विश्राम कहा गया है, क्योंकि नींद में सभी तरह की चिंताओं और दुःख-दर्द से परे हो जाते हैं। मन की गतिविधियां रूक जाती हैं।
नींद प्रकृति की अद्भुत देन है। भोजन की भांति इसका भी कोई विकल्प नहीं है। शयन से खोई हुई ऊर्जा पुन प्राप्त हो जाती है। मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है, अत नींद प्राणियों के लिए एनर्जी रिचार्जर है। यदि किसी व्यक्ति को कुछ दिन सोने को न मिले, तो वह अधमरा-सा हो जाएगा। थके-मांदे व्यक्ति के लिए निद्रा स्वर्ग के समान सुखदायी है। थका-मांदा व्यक्ति निंदिया रानी की गोद में जाकर ऊर्जा और स्फूर्ति लेकर आता है।
नींद की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन और समयपूर्व बुढ़ापा
आयुर्वेद कहता है कि जब काम-काज करते-करते मन थक जाता है और इन्द्रियां भी थकावट के कारण अपने-अपने विषयों से निवृत्त हो जाती हैं, तब नींद आने लगती है। अत नींद आना स्वाभाविक है। अगर नींद न आए तो कुछ गड़बड़ी समझना चाहिए। डिप्रेशन (अवसाद), गहरी सोच, चिंता, मानसिक उलझन और शारीरिक पीड़ा के कारण नींद गायब हो जाती है। उचित अवधि तक नींद नहीं लेने से शारीरिक वृद्धि रूक जाती है। इन्द्रियां निर्बल हो जाती हैं। आलस्य और थकावट आती है।
सिर और शरीर में बराबर दर्द होता रहता है। मिजाज में चिड़चिड़ापन आ जाता है। आंखें धंस जाती हैं। चेहरे की रौनक समाप्त हो जाती है। अल्पायु में बूढ़े होकर मौत के मुंह में जाने की आशंका बनी रहती है। उचित समय तक सोने से शरीर स्वस्थ रहता है। पा की वृद्धि होती है। चेहरे पर रौनक और मासूमियत बनी रहती है। स्वस्थ रहने के लिए सात-आठ घंटे की नींद अनिवार्य है। कमज़ोर व्यक्ति को इससे अधिक समय तक सोना चाहिए। वृद्धों के लिए छह घंटे की नींद पर्याप्त है।
देर रात तक जागने की आदत से बढ़ते हैं कई स्वास्थ्य जोखिम
नगरों और महानगरों में कुछ लोग आधी रात के बाद बिस्तर पर जाते हैं और आठ-नौ बजे दिन तक सोये रहते हैं। देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोये रहने से अनेक रोग पैदा होते हैं। विधाता ने दिन काम के लिए और विश्राम (शयन) के लिए बनाया है, अत विश्राम रात को ही करना चाहिए न कि दिन में। अंग्रेज़ी में एक कहावत है-अरली टु बेड, अरली टु राइज, मेक्स ए मैन हेल्दी वेल्दी एंड वाइज यानी रात को जल्दी सोने वाला और सुबह जल्दी जागने वाला व्यक्ति स्वस्थ, धनी और चतुर बनता है।
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इसका आशय यह है कि जल्दी सोने और जागने से शरीर स्वस्थ रहता है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास रहता है। तंदुरुस्त व्यक्ति ही धनी और चतुर बन सकता है, रोगी और कमज़ोर व्यक्ति नहीं। अगर किसी कारणवश रात को जागना पड़ा हो या पर्याप्त समय तक न सोये हों, तो दिन में ज़रूर सोना चाहिए। रात में ड्यूटी करने वाले दिन को ही रात समझें।
-अनुज स्वर्ण
