श्रीधर बाबू ने किया नुमाइश का उद्घाटन
हैदराबाद, अखिल भारतीय औद्योगिक प्रदर्शनी समिति द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 45 दिन चलने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन आज आईटी और उद्योग मंत्री व प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष डी. श्रीधर बाबू ने किया। अवसर पर मंत्री पोन्नम प्रभाकर एवं अन्य नेता व प्रदर्शनी समिति के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
श्रीधर बाबू ने गुब्बारे छोड़कर वार्षिक नुमाइश के उद्घाटन की घोषणा की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हर साल हैदराबाद के अलावा राज्यभर के लोगों को नुमाइश का इंतज़ार रहता है। लाखों की संख्या में लोग इसमें भाग लेते हैं और विशेषकर उत्पादकों के लिए अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के उद्देश्य से यह सर्वोत्तम आयोजन होता है। इसमें कई राज्यों के उत्पादक भाग लेते हैं। पिछले वर्ष 25 लाख दर्शकों ने नुमाइश की यात्रा की थी। मंत्री ने कहा कि उस्मानिया स्नातक संघ द्वारा संचालित प्रदर्शनी समिति केवल नुमाइश के आयोजन के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि इसके द्वारा संचालित 20 से अधिक शिक्षण संस्थाओं में लगभग 30 हज़ार विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विशेषकर बालिकाओं को अधिक लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कमला नेहरू पॉलिटेक्निक, वनिता महाविद्यालय, शंकरजी स्कूल, एसपी कॉलेज एवं कस्तूरबा कॉलेज सहित विभिन्न संस्थाओं के उत्तम प्रदर्शन के बारे में बताते हुए कहा कि नुमाइश से होने वाली आय से एक स्वैच्छिक संस्था के रूप में यह सारे शिक्षण संस्थान संचालित किये जा रहे हैं। मंत्री ने कहा कि बालिकाओं के लिए एक इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग लंबे अरसे से चली आ रही है। सरकार अगले वर्ष तक इसकी अनुमति प्रदान करेगी।
मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने नुमाइश के महत्व को रेखांकित करते हुए अपनी स्मृतियाँ ताज़ा की और सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। अवसर पर सांसद अनिल कुमार यादव, पीसीसी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़, पूर्व सांसद हनुमंत राव, प्रदर्शनी समिति के उपाध्यक्ष के. निरंजन, संयुक्त सचिव डी. मोहन, कोषाध्यक्ष प्रभाशंकर एवं प्रभाशंकर उपस्थित थे। प्रदर्शनी समिति के मानद सचिव बी. सुरेंद्र रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नुमाइश के आयोजन का उद्देश्य मुख्य रूप से औद्योगिक विकास, कला और संस्कृति को बढ़ावा देना, लघु और मध्यम उद्योगों को समर्थन देना और शिक्षा में योगदान करना है। इससे होने वाली आय से शैक्षणिक संस्थानों को वित्तपोषित किया जाता है, जहाँ लगभग 10 हज़ार का स्टाफ कार्यरत है। तेलंगाना वन विभाग, हैदराबाद पुलिस, भारतीय जीवन बीमा निगम के अलावा सार्वजनिक और निजी उद्यम भी प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं। प्रदर्शनी में आने वालों को मेट्रो और बस सेवाएँ, निशुल्क पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। महिला सशक्तिकरण को ध्यान में देखते हुए महिलाओं द्वारा संचालित स्टालों को भी प्राथमिकता दी गई है। युवा उद्यमियों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन से जीएसटी, लाइसेंस और अन्य शुल्कों द्वारा सरकार को पिछले वर्ष 9.66 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि वर्ष 2023 में 11.10 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि 8 दशकों से अधिक समय से चली आ रही यह वार्षिक परंपरा सांप्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देती है। पहली प्रदर्शनी 1938 में पब्लिक गार्डन में आयोजित की गई थी और 1946 में इसे वर्तमान प्रदर्शनी मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से अब तक प्रदर्शनी हर साल आयोजित की जा रही है।