शहरी योजनाओं में जनभागीदारी की पहल को सुनिश्चित कर रहा श्रीनगर
हैदराबाद/श्रीनगर, शहरी योजनाओं और बजट आवंटन में नागरिकों की भागीदारी अनिवार्य है। ब्लॉक और वार्ड स्तर पर नागरिकों को पता होता है कि वह किन समस्याओं से गुज़र रहे हैं और किस तरह की आधारभूत संरचना उन्हें चाहिए। इस मामले में जम्मू कश्मीर का राजधानी शहर श्रीनगर हैदराबाद जैसे महानगर को भी पीछे छोड़ गया है। भारत सरकार की स्मार्ट सिटी पहल के चलते श्रीनगर ने अब यह सुनिश्चित करना शुरू किया कि वार्षिक बजट का प्रारूप बनने से पहले शहर के नागरिक अपने-अपने क्षेत्र में विकासात्मक योजनाओं के बारे में सुझाव दें और फिर उसमें से चुनी गयी योजनाओं पर पूँजीगत बजट खर्च किया जा सके।
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) हैदराबाद के संयोजन में हैदराबाद के मीडिया प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (एसएससीएल) के मुख्यालय एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) का दौरा किया। आईसीसीसी का कार्यालय हालाँकि आकार में हैदराबाद के पुलिस कमांड कंट्रोल और जीएचएमसी कमांड कंट्रोल से कुछ छोटा है, लेकिन श्रीनगर को नागरिक-अनुकूल स्मार्ट शहर में परिवर्तित करने में महती भूमिका निभा रहा है। उल्लेखनीय है कि यह कार्यालय देश भर में 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने के भारत की भारत सरकार की योजना के अंतर्गत स्थापित किया गया है। आईसीसीसी के महाप्रबंधक शफकत बशीर ने एसएससीएल द्वारा एक उत्तरदायी और कुशल शहरी प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिए जारी पहलों और प्रगति के बारे में बताते हुए कहा कि शहर में इंटरनेट आधारित किसी भी तरह की सार्वजनिक सेवा के लिए 175 किलोमीटर तक फाइबर ऑप्टिक बिछाने का काम पूरा हो चुका है। इसे शहर के प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी कैमरों से भी जोड़ा जा चुका है। सरकार के अन्य विभागों की आवश्यकताओं को भी इससे पूरा किया जा रहा है। विशेष रूप से श्रीनगर नगर निगम की नागरिक सेवाओं से जोड़ने में इससे खासी सफलता मिली है। भविष्य में कई सारी योजनाएँ इसके द्वारा अमल में लायी जा सकती हैं। व्यापक ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क कुशल निगरानी, वास्तविक समय डेटा प्रोसेसिंग और सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। प्रौद्योगिकी संचालित शहरी समाधानों पर एसएससीएल का ध्यान श्रीनगर को डिजिटल बुनियादी ढाँचे और स्मार्ट सिटी संचालन का एक मॉडल बना रहा है।
गौरतलब है कि जिस तरह ग्रेटर हैदराबाद में माई जीएचएमसी ऐप है, उसी तरह का अप्लिकेशन श्रीनगर भी उपयोग में ला रहा है, लेकिन इसमें योजनाओं में नागरिकों की भागीदारी के लिए बजट बनने से कुछ दिन पूर्व जनसामान्य से योजनाएँ आमंत्रित की जाती हैं। इसके बाद प्राथमिकता के अनुसार उसे बजट में शामिल किया जा रहा है। हालाँकि पिछले वर्ष यहाँ पहली बार संपत्ति कर वसूली लागू की गयी थी। इससे पूर्व नगर निगम में संपत्ति कर वसूला नहीं जाता था। आईसीसीसी के अधिकारी के अनुसार, वर्तमान में इस केंद्र के पास शहर का महत्वपूर्ण डेटा मौजूद है। हालाँकि यह संपत्ति कर वसूली में भी सहायक हो सकता है, लेकिन प्रशासन की प्राथमिकता नल, लाइट, सड़क, सीवरेज एवं बाढ़ रोकथाम सहित जन कल्याणकारी एवं विकासात्मक कार्य हैं।
श्रीनगर में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को हर बस की निगरानी आईसीसीसी के माध्यम से वास्तविक समय में की जाती है, ताकि अनुकूलित मार्गों, उत्सर्जन में कमी और सार्वजनिक परिवहन दक्षता में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके। बसें न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि निवासियों और आगंतुकों के लिए बेहतर शहरी गतिशीलता में योगदान देती हैं। हालाँकि बहुत प्रयासों के बावजूद हैदराबाद में आरटीसी बस ड्राइवर को कैमरे की जद में लाने में सफलता नहीं मिल पायी है, लेकिन श्रीनगर के सभी बस चालक सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हैं और बहुत जल्द यात्रियों की संख्या की जानकारी कमांड कंट्रोल में दर्ज की जा सकेगी। इसकी तैयारियाँ चल रही हैं। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में एक वीडियो काफी वायरल हो गया था, जब एक उच्च अधिकारी ने बस चलाते हुए ड्राइवर से संपर्क किया था।
हालाँकि शहर में सार्वजनिक स्तर पर प्रस्तावित 1052 सीसीटीवी कैमरों में से केवल 820 कैमरे ही स्थापित किये जा चुके हैं, लेकिन भविष्य में आवश्यकतानुसार कैमरे स्थापित करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। महत्वपूर्ण चौराहों पर सार्वजनिक सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है। यातायात प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया जा रहा है। कई विभागों के बीच सहज समन्वय की सुविधा उपलब्ध है। ऊर्जा विभाग भी आईसीसीसी की सेवाएँ प्राप्त करने की दिशा में बातचीत कर रहा है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत सबसे बड़ी सफलता जीआईएस के आधार पर मकान नंबर योजना की रही, जिसके अंतर्गत लगभग 80 हज़ार मकानों के नंबर क्यूआर कोड के साथ बनाये गये, लेकिन डीलिमिटेशन के कारण इस परियोजना को अब फिर से दोहराना पड़ेगा। अधिकारी का दावा है कि बहुत जल्द इस कार्य को दोबारा शुरू किया जाएगा।(एफ एम सलीम)