राज्य बोर्ड छात्रों में विदेश शिक्षा को लेकर व्यापक आकांक्षा : लीपस्कॉलर रिपोर्ट
हैदराबाद, विदेश अध्ययन मंच लीपस्कॉलर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करने का लक्ष्य रखने वाले लगभग 57 प्रतिशत भारतीय छात्र राज्य बोर्डों से संबंधित होते हैं। इस कड़ी में हैदराबाद एक प्रमुख शहर है, जहाँ विदेश में अध्ययन की आकांक्षा रखने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वफद्धि देखी गई।
जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, लीपस्कॉलर द्वारा आवेदन-आधारित सर्वेक्षण 2024 जारी किया गया। इसके निष्कर्षों से पता चला है कि राज्य बोर्डों के छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उतने ही उत्सुक रहते हैं, जितने आईसीएसई तथा सीबीएसई बोर्ड आदि के छात्र होते हैं। हैदराबाद विदेश अध्ययन के महत्वाकांक्षी छात्रों के इस समूह में योगदान देने वाले अग्रणी शहरों में से एक है। इस श्रेणी में हैदराबाद के साथ बेंगलुरू, मुंबई, पुणे, विशाखापट्टनम, लखनऊ आदि का नाम शामिल है।
लीपस्कॉलर सर्वेक्षण के निष्कर्ष इस आमधारणा को खारिज करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड के छात्रों के पास विदेश में अध्ययन करने का अनुभव और आकांक्षाएँ होती हैं। यह एक व्यापक और अधिक विविध जनसांख्यिकी को शामिल करने की ओर इशारा करता है। इस प्रवफत्ति में महिलाओं की उल्लेखनीय (34 प्रतिशत) हिस्सेदारी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 2024 में 13.3 लाख भारतीय छात्र विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जबकि 2022 में यह संख्या लगभग 7.5 लाख थी।
लीपस्कॉलर के सह-संस्थापक अर्नव कुमार ने इस संदर्भ में कहा कि विदेश अध्ययन को लेकर भारतीय छात्रों की बढ़ती आकांक्षाओं को देखना वास्तव में प्रेरणादायक है, जो अब पहले से कहीं अधिक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा पर विचार करते हुए अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में उभरते शिक्षा गंतव्यों और विषय क्षेत्रों का पता चला है, जो छात्रों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। कनाडा, यूके, यूएस जैसे शीर्ष गंतव्य शीर्ष विकल्प बने हुए हैं। भारतीय छात्रों के लिए जापान और नीदरलैंड रोमांचक नए विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। अध्ययन विषयों के संदर्भ में स्टेम जबकि पाठ्यक्रम अभी भी लोकप्रिय हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय छात्र मनोविज्ञान, कानून, खेल विज्ञान, वास्तुकला, भवन और योजना, प्रदर्शन कला और सामाजिक विज्ञान सहित कई विषयों की खोज कर रहे हैं।
सर्वेक्षण के अन्य प्रमुख निष्कर्षों के अनुसार, विदेश में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए छात्रों की संख्या स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों से अधिक है। जब किसी नए देश में समायोजित होने की बात आती है, तो संस्वफढति अंतर भारतीय छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में एक के रूप में सामने आता है।