फोन टैपिंग करने का राज्य को अधिकार
हैदराबाद, केंद्र सरकार ने तेलंगाना उच्च न्यायालय को बताया कि कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार को भी फोन टैपिंग करने का अधिकार है। तेलंगाना राज्य सरकार द्वारा फोन टैपिंग करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक नहीं है। इसके संबंध में आज केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उच्च न्यायालय को अवगत करवाया गया। विगत सरकार के शासन में फोन टैपिंग के मामले को लेकर पुलिस द्वारा दायर प्रतियाचिका में केंद्र सरकार को प्रस्तावित नहीं किया गया, इसका भी केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उल्लेख किया गया। बताया गया कि तेलंगाना में फोन टैपिंग के मामले को लेकर केंद्र सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया। कम से कम इसकी केंद्र सरकार को जानकारी तक नहीं दी गई। पूर्व सरकार के शासन के दौरान राजनीति के क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वियों, निजी व्यक्तियों के अलावा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के फोन टैप करने संबंधी समाचार-पत्रों में प्रकाशित समाचार को स्वयं संज्ञान के तहत याचिका के रूप में लेते हुए उच्च न्यायालय में इसकी सुनवाई की जा रही है।
इस मामले पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आलोक अरधे और जस्टिस टी. विनोद कुमार की खण्डपीठ ने आज पुनः सुनवाई की। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नरसिम्हा शर्मा ने दलील दी। केंद्रीय दूरसंचार अधिनियम 23 जून, 2021 से अमल में लाया जा रहा है। इससे संबंधित नियमों का निर्धारण नहीं किया गया, इसीलिए वर्तमान समय में टेलीग्राफ संबंधी नियमों को ही अमल में लाया जा रहा है। नए अधिनियम के अनुसार, बिना अनुमति के गैर-कानूनी रूप से टैपिंग करने पर तीन वर्ष कारावास की सजा अथवा दो करोड़ रुपये का जुर्माना अथवा दोनों को अमल में लाने का प्रावधान है। अनाधिकृत फोन टैपिंग करने पर तीन वर्ष जेल की सजा, दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना टेलीग्राम नियमों के अनुसार अमल में लाने का प्रावधान है। किन परिस्थितियों में फोन टैपिंग की जा सकती है, इसे भी टेलीग्राफ अधिनियम में बताया गया है। इसके आधार पर केंद्र व राज्य सरकार को फोन टैप करने का विशेष अधिकार प्राप्त है।
फोन टैपिंग क्यों की जा रही है, इसके कारणों को रिकॉर्ड में बताया जाना चाहिए। इसकी समीक्षा करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की अलग-अलग रूप से रिव्यू कमेटी होती है। यह कमेटी फोन टैप करने के कारणों को सत्यापित करती है। फोन टैपिंग करने के आदेश की समयावधि 60 दिन तक रहती है। इसके बाद इसे विस्तार देने की सुविधा भी है। अधिकतम 180 दिन तक की अनुमति दी जाती है। इससे संबंधित रिकॉर्ड 6 माह के भीतर नष्ट किए जाने चाहिए। यह जानकारी केंद्र सरकार द्वारा दायर प्रतियाचिका में दी गई। यह प्रतियाचिका मंगलवार को ही दायर की गई। इस मामले पर राज्य सरकार की ओर से भी प्रतियाचिका दायर की गई। प्रतियाचिका में बताया गया कि पूर्व सरकार ने अपने अनुकूल फोन टैपिंग करवाने हेतु पूर्व डीएसपी प्रणीत राव समेत अन्य आरोपियों को नियुक्त किया, जिन्होंने नियमों के विरुद्ध फोन टैपिंग को अंजाम दिया। इस मामले के सभी आरोपियों ने व्यक्तिगत एजेंडे के साथ विगत सरकार को सहयोग देने के लिए ही मनमाने ढंग से अधिकारों का उपयोग किया और कई अवैध क्रियाकलापों को अंजाम दिया। इतना ही नहीं, बिना अनुमति के फोन टैपिंग संबंधी उपकरण और रिकॉर्ड आदि ध्वस्त कर दिए गए।
उच्च न्यायालय में आज गृह विभाग के विशेष सचिव रवि गुप्ता ने पूर्ण विवरण के साथ प्रतियाचिका दायर की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 के दौरान डी. रमेश की शिकायत के अनुसार प्रणीत कुमार उर्फ प्रणीत राव ने एसआईबी में दो कमरों को अपने अधीन में लेकर 17 सिस्टम, इंटरनेट की विशेष लाइन स्थापित कर फोन टैपिंग को अंजाम दिया। इसके संबंध में कुछ लोगों के प्रोफाइल तैयार कर गुप्त रूप से अनाधिकृत व गैर-कानूनी तरीके से समीक्षा की।