फलें-फूलें स्टार्ट-अप, अनुकूल माहौल बनाएँ राज्य : मोदी

नई दिल्ली, माहौल उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने को कहा, जहाँ स्टार्ट-अप फल-फूल सकें और वे नियम सरल हो सके, जिससे अक्सर नागरिकों को परेशानी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि मोटापे को देश में बड़ी चुनौती के तौर पर लिया जाना चाहिए। आधिकारिक बयान के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को शासन मॉडल में इस तरह सुधार करना चाहिए, जिससे नागरिक भागीदारी को बढ़ावा मिले।

मोदी ने कहा कि सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है तथा लोगों को सरकार की विभिन्न पहल के बारे में जानकारी देना भी अहम है। स्वास्थ्य क्षेत्र के संबंध में उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि मोटापे को देश में एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल एक स्वस्थ और तंदुरुस्त भारत ही विकसित भारत बन सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को 2025 के अंत तक तपेदिक मुक्त बनाया जा सकता है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी पांडुलिपियां भारत का खजाना हैं और राज्यों को इसे डिजिटल बनाने के वास्ते प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए कदम उाने चाहिए।

मोदी ने कहा कि सम्मेलन का एक बड़ा लाभ यह है कि टीम इंडिया खुले मन से चर्चा के लिए एक साथ आई है और विकसित भारत के लिए मिलकर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टार्ट-अप शुरू होने की सराहना करते हुए राज्यों से ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित करने और ऐसा वातावरण प्रदान करने की दिशा में काम करने को कहा, जहां स्टार्ट-अप फल-फूल सकें। मोदी ने राज्यों से ई-कचरे के पुनर्चक्रण के लिए व्यवहार्यता की अवधारणाएं तलाशने को कहा। उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि समाज में डेटा और प्रौद्योगिकी की वृद्धि के साथ ही डिजिटल कचरा और भी बढ़ेगा।

आकांक्षी जिलों और प्रखंडों के कार्यक्रम के बारे में मोदी ने कहा कि इन प्रखंड और जिलों में तैनात सक्षम प्राधिकारी जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक-आर्थिक लाभ भी बहुत होगा। मोदी ने अधिकारियों को मानव संसाधन विकास के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि शहरों को आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने शहरी शासन, जल और पर्यावरण प्रबंधन में विशेषज्ञता के लिए संस्थानों के विकास पर जोर दिया।

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