भव्यता से मनाया गया सुलक्षणाश्रीजी का अवतरण दिवस
हैदरावाद, राष्ट्र सन्त ललितप्रभसागरजी म.सा., चन्द्रप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा, सुलोचनाश्रीजी म.सा., सुलक्षणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-27, कनकप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-6, भावरत्नाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, बारुदर्शनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, विशालमालाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा एवं प्रियमरसाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा के सान्निध्य में नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक एवं तपोरत्ना साध्वी सुलक्षणाश्रीजी का 75वाँ अवतरण दिवस आज रामकोट स्थित कच्छी भवन में मनाया गया।











अवसर पर सुलक्षणाश्रीजी म.सा. को समत्व सिंधू की पदवी से सम्मानित किया। राष्ट्र संत बंधु की ओर से कांबली बोहराई गई।
कोठी श्री संघ, चरकमान श्री संघ और अवती नगर श्री संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ललितप्रभजी म.सा. ने कहा कि आज एक ओर जहाँ भगवान नेमिनाथजी का जन्म कल्याणक महोत्सव है, वहीं तपस्वी रत्ना सुलक्षणाश्रीजी का 75वाँ अवतरण दिवस है। व्यक्ति न जन्म से महान होता है, न मरण से।
जन्म और मृत्यु के बीच व्यक्ति का एक यशस्वी जीवन होता है, वह जीवन ही व्यक्ति के जन्म और मन को महान करता है। हम दो भाइयों ने एक ही समय दीक्षा ली और साध्वी सुलोचनाश्रीजी एवं सुलक्षणाश्रीजी बहनों ने दीक्षा ली। दोनों ने खूब संघर्ष एवं आत्मविश्वास के साथ जीवन की संयममय यात्रा शुरू की। इस त्यागमय तपोमय जीवन की धारा ने परिणाम दिया 44 से अधिक साध्वियाँ इनके संघ में दीक्षित हैं। हम गौरव पूर्वक साध्वीवर्या के सयंम जीवन की अनुमोदना करते हैं।
राष्ट्र संत ने कहा कि संत का जीवन वैभव में अच्छा नहीं लगता। संत का जीवन हमें त्याग और तपोमय अच्छा लगता है। हमेशा याद रखें कि सिकंदर का वैभव बड़ा महान होता है, पर उसे लाख गुणा त्याग भगवान महावीर का होता है। वैभव से सौ गुणा महान त्याग होता है। हम उनके त्यागमय जीवन की अनुमोदना करते हैं। वैभव सम्मान पा सकता है, पर श्रद्धा हमेश त्याग को मिलती है। वैभव कितना भी बड़ा हो, पर त्याग महान होता है।
संयम और तप से संवरित साध्वी सुलक्षणाश्रीजी का जीवन
संयम जीवन में भी किसी व्यक्ति को नये कर्म का बंधन न चुनना है, तो उसे सयंम का मार्ग चुनना चाहिए। पुराने कर्मों को काटना है, तो तपस्या के मार्ग पर जाना चाहिए। साध्वी सुलक्षणाश्रीजी के जीवन में लक्षण बचपन से ही त्याग से मिल गये। एक आयंबिल कर दूसरे दिन पारणे में खीर व मूंग खाने की सोचते हैं। पूज्यश्री ने कहा कि महापुरुषों का जीवन चरित्र केवल सुनने के लिए नहीं होता। महापुरुषे का चरित्र जीवन निर्माण के लिए होता है।










साध्वीवर्या सुलक्षणाश्रीजी ने हजारों आयंबिल किये। माह में एक बार आयंबिल करने का सौभाग्य जरूर हासिल करें। सुलोचनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि आज के दिन दो भाई महाराज का आशीर्वाद मिला। बचपन से हममें संयम की भावना थी। उसके बाद हम दोनों ही साथ रहे और खेले भी, लेकिन हमारा आपस में लड़ाई-झगड़ा नहीं हुआ। पिता गुमानमल का जीवन भी त्यागमय था।
वह हमेशा शिक्षा देते थे कि जीवन त्यागमय होना चाहिए। माताजी का आशीर्वाद रहा। कभी संयम जीवन के लिए मना नहीं किया। दीक्षा लेने के बाद पूरे समर्पण भाव से सेवा भक्ति की। पहले दोनों ही विचरण करते, उसके दस साल के बाद सभी साध्वी जुड़ीं। सभी का स्नेह भाव वैसा ही बरस रहा है। साध्वी सेवा में रत है। छोटी बहन व परमात्मा का जन्म कल्याणक सौभाग्य से एक ही दिन है।
त्रिलोकीनाथ जन्मकल्याणक संग सुलक्षणाश्रीजी का जन्मोत्सव
कनकप्रभाजी, शशिप्रभाजी म.सा. आदि ने एक हुए यह हैदराबाद संघ का अहोभाग्य है कि खरतरगच्छ के इतने साधु सिकंदराबाद हैदराबाद में है। भाग्य है गुरु देव आचार्य कांतिसागरजी म.सा. का हम पर आशीर्वाद रहा। जब-जब संकट आता है, त्याग कराते थे। सभी एक ही परिवार है। सुलक्षणाश्रीजी म.सा. ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज त्रिलोकी नाथ का जन्म कल्याणक है और उसी दिन मेरा जन्म दिन।
सौभाग्यशाली हैं कि त्रिलोकी नाथ के जन्म कल्याणक के साथ मेरा नाम जुड़ गया। त्रिलोकी नाथ की कृपा से जीवन के 74 वर्ष निकल गए और भगवान नेमिनाथजी के उपकार हैं कि गिरनार की 700 यात्रा करवाई। गिरनार शत्रुज्यं सामान्य पर्वत नहीं, बल्कि भगवान का शाश्वत पर्वत है। तीर्थंकर ने साधना आराधन कर नाम रौशन किया। इस शास्वत तीर्थ की यात्रा कर कर्म क्षय कर सकते हैं। राष्ट्र संत चन्द्रप्रभजी म.सा. ने शुभकामनाएँ दीं।
सुलक्षणाश्रीजी का अवतरण व नेमिनाथ जन्मोत्सव
कनकप्रभाजी म.सा. ने सुलक्षणाश्रीजी को बधाई देते हुए कहा कि सभी एक विशेष कार्यक्रम को लेकर उपस्थित हुए हैं। म.सा. के अवतरण दिवस के साथ सोने पर सुहागा परमात्मा नेमिनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव। हम साध्वीश्री के अवतरण दिवस को ऊपरी मन से नहीं, भीतरी मन से मनाएँ। सभी म.सा. के 75वें अवतरण दिवस को यादगार बनाने के लिए छोटे नियम अवश्य लें। अवसर से कोई वंचित न रहे।
अवसर पर दीप प्रज्ज्वलन, गुरु पूजन, पदवी अलंकरण और गुरु मैया के माला की बोलियाँ लगाई गयीं, जिसका लाभार्थी परिवार ने लाभ लिया। दीप प्रज्ज्वलन का लाभ पुखराज पन्नालाल नाहटा परिवार, गुरु पूजन का लाभ प्रकाशचंद प्रशांत श्रीमाल परिवार, पदवी अंलकरण का लाभ धर्मराज राजेश रांका परिवार और गुरु मैया को मालार्पण का लाभ अमरचंद आतिष श्रीश्रीमाल परिवार ने लिया। संघों की ओर से लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन बसंत बाफना ने किया। भगवान नेमिनाथ जन्म कल्याणक एवं सुलक्षणाश्रीजी के 75वें अवतरण दिवस की भाव यात्रा अहमदाबाद के विराज ने करवाई। कार्यक्रम के प्रधान संयोजक प्रशांत श्रीमाल ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजक कोठी श्री संघ, चरकमान श्री संघ और अवंती नगर श्री संघ हैं। कार्यक्रम के संयोजक संतोष लुणावत, दिलीप झाबक, राजीव समदड़िया, गौतम बरलोटा एवं अतीष श्रीश्रीमाल हैं। कार्यक्रम के पश्चात स्वामीवात्सल्य की व्यवस्था का लाभा प्रकाशचंद प्रशांत आदित्य श्रीमाल परिवार ने लिया।
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धार्मिक आयोजन में संघों व समाजजनों की व्यापक सहभागिता
अवसर पर कोठी संघ के अध्यक्ष प्रशांत श्रीमाल, मंत्री शील खिंवसरा, चारकमान संघ के अध्यक्ष अशोक कटारिया, मंत्री प्रवीण नाहटा, आवंती नगर श्रीसंघ के नेमीचंद वाडेरमुथा, बसंत बाफना, धर्मराज रांका, पन्नालाल नाहटा, संतोष लुणावत, अमरचंद श्रीश्रीमाल, महेंद्रचंद चोरड़िया, सुरेश सुराणा, मोतीलाल भलगट, प्रदीप सुराणा, विजय सुराणा, गौतम चोरड़िया, राजेंद्र डुग्गर, जसराज बाफना, गौतम गोलेच्छा, राजस्थानी मूर्ति संघ के योगेश गांधी, राजेंद्र मुथा, सुभाष गोलेच्छा, प्रकाश लूणिया, दिनेश पीरगल, शिवराज सोनी, ललित पीरगल, राकेश सोनी, जीतो के सुशील संचेती, महेश गोलेच्छा, जेआरएफ के प्रशान्त कोचेटा, विक्रम क़ीमती, फीलखाना संघ के मोतीलाल ललवानी व चुन्नीलाल संकलेचा शामिल थे।
कार्यक्रम में रायचंद छाजेड़, प्रशांत श्रीश्रीमाल, रमेश जैन, अशोक कटारिया, प्रवीण नाहटा, दिलीप छाजेड़, गौतम बरलोटा, भावेश बरलोटा, सुभाष साभद्रा, वज़ीरचंद झाबक, योगेश झाबक, सज्जनराज नाहर, विमल नाहर, पवन पांड्या, अशोक नाहर, विमल मुथा, अशोक लुणावत, राजेश पोकरणा, राजीव समदरिया, महेंद्र खांटेड़, डाङ पूजा खांटेड़, डॉ. अनीष पोकरणा, आतिश श्रीश्रीमाल, पदम कोठारी, मनोज सुराणा, शील कुमार, इन्द्रचंद चोरड़िया, सुरेंद्र बांटिया, सुशील कपाड़िया, हेमांग मोमाया, किशोर मुथा, प्रमोद खिंवसरा, प्रेम कोठारी, बाबूलाल संकलेचा, शांतिभाई ममणिया, तेजराज चोपड़ा, गौतमचंद चोपड़ा, प्रकाशचंद चोपड़ा, महावीरचंद चोपड़ा, विजयराज तातेड़, किशोर संचेती, गौतम गुगलिया, योगेश सिंघी, अशोक मुथा व अन्य उपस्थित थे।
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