तेलंगाना उच्च न्यायालय ने दिये गेटेड कम्युनिटी पर नकेल के निर्देश
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गेटेड कम्युनिटी के संचालन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और आवश्यकता पड़ने पर एक ऐप तैयार करने के नगर पुलिस आयुक्त को आदेश दिए। इसके साथ ही गेटेड कम्युनिटी में असामाजिक व अवैध क्रियाकलाप होने पर इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी पुलिस को आदेश दिए। अदालत ने बताया कि उत्कृष्ट जीवन शैली, प्रशांत वातावरण, उत्कृष्ट मूलभूत सुविधाएँ, व्यायामशाला, खेल मैदान, बाग-बगीचे आदि के चलते लोगों में गेटेड कम्युनिटी के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है, लेकिन गेटेड कम्युनिटी के संचालन के संबंध में कोई विशेष अधिनियम नहीं है। इस कारण वर्तमान समय में गेटेड कम्युनिटी समेत प्लॉट असोसिएशन तेलंगाना अपार्टमेंट अधिनियम के तहत इसे संचालित किया जा रहा है। सेलडीड के साथ असोसिएशन में सदस्यता अनिवार्य है। इस प्रकार की कम्युनिटी में अंतर्गत मतभेद और अवैध क्रियाकलापों के प्रति कोई ध्यान नहीं दे रहा है, क्योंकि गेटेड कम्युनिटी में रहने वाले अधिकांश लोग धनिक वर्ग से संबंधित होते हैं। इस कारण अधिकारियों व पुलिस पर इनका अधिक वर्चस्व होता है। इसीलिए तेजी से बढ़ रही गेटेड कम्युनिटी के क्रियाकलापों को संचालित करने के लिए सरकार की ओर से दिशा-निर्देशों का निर्धारण किया जाना चाहिए।
हैदराबाद के केपीएचबी स्थित इन्दू फार्च्यून फील्ड विल्ला कम्युनिटी में अवैध रूप से जुआ खेलने, शराब पीने, अन्य नशीली पदार्थों का सेवन करने के अलावा लैंगिक प्रताड़ना के मामलों के खिलाफ शिकायत करने पर भी पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने को चुनौती देते हुए वहाँ के निवासी सी.एच. हरिगोविंद खोराना रेड्डी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में बताया कि शिकायत करने पर पुलिस कम्युनिटी परिसर पहुँची और यह कहकर लौट गई कि यहाँ कुछ नहीं हुआ है। कम्युनिटी के सुरक्षाकर्मी पुलिस के आने से पहले ही वहाँ के असोसिएशन के प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी दे रहे हैं, जिस कारण सारे सबूत मिटाए जा रहे हैं। याचिका में बताया गया कि एक बार इन्दू फार्च्यून से 15 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसीलिए कम्युनिटी द्वारा यह कहना गलत है कि यहाँ कुछ गलत नहीं हो रहा है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस बी. विजयसेन रेड्डी ने बताया कि कम्युनिटी और प्लॉट्स में विभिन्न जाति, धर्म और वर्ग के लोग रहते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं है, लेकिन शांति भंग करने, मतभेदों को लेकर झगड़ा होने, जुआ घर चलाने, अनाधिकृत रूप से शराब का सेवन करने जैसी आपराधिक क्रियाकलाप होते हैं, तो यह तेलंगाना सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट और सहकारिता संघ अधिनियम के तहत नहीं आते हैं। विल्ला और अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में कुछ लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज करने का आग्रह करते हुए अदालत में कुछ याचिकाएँ दायर हुई है।