जाति गणना में हो तेलंगाना मॉडल : कांग्रेस

नई दिल्ली, कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार से जातिवार गणना के प्रत्येक चरण के लिए एक स्पष्ट समय सीमा की घोषणा करने और एससी, एसटी एवं ओबीसी के आरक्षण की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाने की अपनी माँग दोहराई। सीडब्ल्यूसी ने केंद्र से आग्रह किया कि वह जातिगत जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल का अनुसरण करे। इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।

विपक्षी पार्टी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा पारित प्रस्ताव में यह कहा। सीडब्ल्यूसी की अध्यक्षता पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने की और इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा महासचिव जयराम रमेश, के सी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित अन्य शरीक हुए। सीडब्ल्यूसी द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार, लगातार 11 वर्षों तक विरोध और इनकार के बाद, (नरेन्द्र) मोदी सरकार ने कांग्रेस की वह माँग स्वीकार कर ली है, जिसमें आगामी जनगणना में जाति के आधार पर जनसंख्या के आँकड़े जुटाने की बात कही गई थी।

कांग्रेस ने जातिवार गणना और आरक्षण सीमा हटाने की माँग की

इन 11 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री ने बार-बार कांग्रेस नेतृत्व पर इस माँग को उठाने को लेकर हमले किए। प्रस्ताव में कहा गया है कि हालाँकि, अब तक सरकार ने यह नहीं बताया है कि वह इस विषय में क्या कदम उाएगी और न ही इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एक व्यापक और अद्यतन जातिवार गणना की माँग की थी।

इसके साथ ही उन्होंने अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत की मनमानी सीमा हटाने की भी माँग की थी। प्रस्ताव में कहा गया है कि राहुल गांधी देशव्यापी जातिवार गणना की पुरजोर और निरंतर माँग करते रहे हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2022 में उदयपुर में आयोजित नव संकल्प शिविर में इस बात पर जोर दिया था कि अगर सरकारी नीतियों को हाशिये पर मौजूद समाजों की वास्तविक जिंदगी को प्रतिबिंबित करना है, तो जातिगत आँकड़े जुटाना अत्यावश्यक है।

पार्टी ने कहा, यह माँग 2023 के रायपुर अधिवेशन में भी दोहराई गई थी और कांग्रेस के 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्रों में इसे केंद्र बिंदु में रखा गया। संसद में, देशभर के भाषणों में, दो भारत जोड़ो यात्राओं के दौरान और कल आयोजित प्रेस वार्ता में भी राहुल गांधी ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि जातिवार गणना सामाजिक न्याय को सुदृढ़ करने के लिए अनिवार्य है। पार्टी ने कहा कि उनका यह कहना रहा है कि आरक्षण, कल्याण और समावेशन की नीतियाँ पुराने अनुमानों या मनमानी सीमाओं पर नहीं, बल्कि ठोस तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।

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कांग्रेस ने शैक्षिक न्याय के लिए अनुच्छेद 15(5) लागू करने की माँग

कांग्रेस ने संविधान के अनुच्छेद 15 (5) को तत्काल क्रियान्वित करने की भी माँग की, जो निजी शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, दलितों और आदिवासियों को आरक्षण देने का प्रावधान करेगा। प्रस्ताव के अनुसार, यह माँग कांग्रेस के घोषणा-पत्र में स्पष्ट रूप से की गई थी और राहुल गांधी द्वारा इसे शैक्षिक न्याय की दिशा में एक जरूरी और लंबित कदम के रूप में दोहराया गया। पार्टी ने कहा कि आज जब उच्च शिक्षा में निजी संस्थानों की भूमिका दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वंचित समुदायों को इन संस्थानों से बाहर रखना असमानता को और बढ़ाता है।

सीडब्ल्यूसी ने प्रस्ताव में कहा, अनुच्छेद 15 (5) केवल एक संवैधानिक प्रावधान नहीं है, यह सामाजिक न्याय की एक अनिवार्यता है। कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ओबीसी, ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग), दलित और आदिवासी समुदायों को सार्वजनिक व निजी, दोनों ही संस्थानों में समान रूप से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सीडब्ल्यूसी ने यह भी कहा कि तेलंगाना द्वारा अपनाया गया मॉडल एक प्रभावशाली और समावेशी ढाँचा प्रस्तुत करता है, जिसे केंद्र को अवश्य अपनाना चाहिए।

इसने उल्लेख किया कि तेलंगाना में, जाति सर्वेक्षण की रूपरेखा एक सलाहकार और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की गई थी, जिसमें नागरिक संस्थाओं, सामाजिक वैज्ञानिकों और समुदाय के नेताओं की सक्रिय भागीदारी थी। सीडब्ल्यूसी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिवार गणना के लिए इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाए। प्रस्ताव में कहा गया है, हम इस दिशा में एक विश्वसनीय, वैज्ञानिक और सहभागी मॉडल तैयार करने में केंद्र को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं – ऐसा मॉडल जो परामर्श, जवाबदेही और समावेशन के मूल्यों को प्रतिबिंबित करता हो। (भाषा)

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