पांडुरंगापुरम-भद्राचलम-मलकानगिरी परियोजना से लाभांवित होंगे तेलुगू राज्य- अश्विनी वैष्णव

हैदराबाद-केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पांडुरंगापुरम-भद्राचलम- मल्कानगिरी नई लाइन परियोजना से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा।
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई रेलवे लाइन परियोजनाओं को मंजूरी देने के कैबिनेट निर्णय को लेकर वर्चुअल बैठक में कहा आदिवासी बेल्ट के माध्यम से एक नया रेल मार्ग प्रदान करने के लिए इस परियोजना को उच्च प्राथमिकता के साथ आरंभ किया जाएगा। यह परियोजना आसनसोल और वारंगल के बीचयह वैकल्पिक रेलमार्ग के रूप में कार्य करेगी। नई लाइन परियोजना से जुड़े पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा इसमें जूनागढ़-नबरंगपुर-जयपोर-मलकानगिरी-भद्राचलम-पांडुरंगापुरम के बीच कनेक्टिविटी शामिल है। जूनागढ़-नबरंगपुर, मलकानगिरी-भद्राचलम-पांडुरंगापुरम के बीच 290 रूट किलोमीटर की लंबाई वाली नई रेल लाइन परियोजना 7,383 करोड़ रुपये के व्यय के साथ शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों को अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा यह उत्तरी और पूर्वी भारत के लिए एक अतिरिक्त रेल गलियारा होगा। जिससे दक्षिणी भारत में थर्मल पावर प्लांटों को तेजी से कोयला प्राप्त करने में मदद मिलेगी। एल्यूमीनियम और लौह अयस्क उद्योगों को बेहतर कनेक्टिविटी से लाभ होगा। नई लाइन आंध्र और तेलंगाना में कृषि उत्पादों को व्यापक बाजार भी प्रदान करेगी। यह मौजूदा विजयवाड़ा-विशाखापत्तनम-भुवनेश्वर-कोलकाता के तटीय क्षेत्र को नए मार्ग वारंगल-भद्राचलम-मलकानगिरी जयपोर-टिटलागढ़ तक अतिरिक्त रेल मार्ग प्रदान करेगी।
अश्विनी वैष्णव ने कहा यह लाइन कालाहांडी, नबरंगपुर, कोरापुट के आदिवासी जिलों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। उन्होंने कहा रायगढ़ा, मल्कानगिरी जिले अतीत में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे। अब इन जिलों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं। साथ ही शांति बहाल हो रही है। उन्होंने कहा इस नई लाइन कॉरिडोर से ओडिशा और पूर्वी गोदावरी (आंध्र प्रदेश) और भदाद्रि कोठागुडेम (तेलंगाना) का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। यह गलियारा महानदी कोयला क्षेत्र क्षेत्रों से मध्य और दक्षिण भारत में स्थित बिजली संयंत्रों को छोटी कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा। अश्विनी वैष्णव ने कहा नई रेलवे लाइन आपदा प्रबंधन बैकअप रूट के रूप में काम करेगी। यह नई लाइन चक्रवात के दौरान भी ओडिशा के विभिन्न जिलों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी यदि हावड़ा-विजयवाड़ा तटीय मार्ग में मौजूदा मार्गों की कनेक्टिविटी प्रभावित होती है। यह इस क्षेत्र खाद्यान्न, उर्वरक, कृषि उत्पाद और सीमेंट की आसान पहुंच प्रदान करेगा।
अश्विनी वैष्णव ने कहा नई लाइन के शुरू होने से दक्षिणी ओडिशा और बस्तर क्षेत्र से दक्षिण भारत की दूरी 124 किमी कम हो जाएगी। साथ ही यह राजमुंदरी और विशाखापटनम जैसे व्यस्त गलियारों को दरकिनार करते हुए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करेगी। यह परियोजना 1 करोड़ मानव दिवस रोजगार पैदा करते हुए लगभग 267 प्रति किलोग्राम कार्बन फुट प्रिंट कम करेगी। जो 3 करोड़ 80 लाख वृक्षारोपण बराबर है।
अवसर पर दक्षिण मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अरुण कुमार जैन ने तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।