भावों से बनती है जीव की गति : धर्मज्योतिजी
हैदराबाद, मलकपेट स्थित बम्ब सिंघी भवन में जैन श्री संघ मलकपेट के तत्वावधान में चातुर्मासिक धर्मसभा का आयोजन साध्वीरत्ना श्री देवेंद्रप्रभाजी म.सा, साध्वी श्री धर्मज्योतिजी म.सा, नवदीक्षित साध्वी श्री प्रियांशश्रीजी म.सा आदि ठाणा 3 के सानिध्य में किया जा रहा है।
आज यहाँ महिला समिति की सदस्य श्वेता सिंघी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, साध्वीरत्ना श्री देवेंद्रप्रभाजी म.सा ने अपने उद्धबोधन में कहा कि हमें दो शब्दों पर चिंतन करना है और वो हैं सम्प और कुसम्प। सम्प में सम्यक प्रकार से खुशी के वातावरण से कर्मों की रक्षा की जाती है और वहीं कुसम्प में खराब वातावरण, खराब भाव से कर्मों की रक्षा की जाती है। जहाँ सम्प है वहाँ कीमत होती है और जहाँ कुसम्प है वहाँ कीमत घटने लगती है। जिस प्रकार मयूर की शोभा उसके पंख से होती है उसी प्रकार जिस परिवार में सम्प होता है उसकी अलग ही पहचान और शोभा होती है। जहाँ वाद-विवाद होता रहता है, वहां अगर एक भी जीव सम्प के भाव से अपने आप को संभाल लेता है तो उस वाद-विवाद का निपटारा हो जाता है। मानव बुद्धिशाली जीव है। कलह को छोड़ कर कुसम्प से दूर रहना है। जहाँ सम्प है, अपनापन है, प्रेम है वहा कुसम्प कभी आ ही नहीं सकता है।
साध्वी श्री धर्मज्योतिजी म.सा. ने बताया कि आगमों में दो प्रकार की हिंसा बताई गई है- द्रव्य और भाव हिंसा। मानव की आत्मा के ऊपर ाढाध, माया, लोभ जैसे कषाय चोट लगाते हुए घायल करते रहते हैं। इन कसायों के सिपाही हमारे ज्ञान के खजाने पर प्रहार करते हैं तब भाव बिगड़ जाते हैं, श्रद्धा डांवाडोल होती है और ज्ञान का भंडार कम होने लगता है। म.सा. ने कहा कि आज महत्वपूर्ण पर्व रक्षाबंधन है। यह लौकिक पर्व है। हमें यह विचार करना है कि हमें रक्षा किसकी करना है और कैसे करनी है। अगर शुभ कर्म किया है तो शुभ कर्मों का बंध होता है और अशुभ कर्म किये हैं, तो अशुभ कर्मों का बंध होता है। जैन धर्म के अनुसार जैसे भाव होते हैं, वैसी ही हमारी गति होती है। जैन दर्शन के अनुसार श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
श्री जैन यूथ मंडल द्वारा सामूहिक रक्षाबंधन कार्पाम आयोजित किया गया जिसमें करीब 10-12 परिवारों ने हिस्सा लिया। बहनों ने भाइयो की कलाई पर राखी बांधी। सर्वश्रेष्ठ भाई-बहन की जोड़ी, वेशभूषा, आरती थाली व आरती की प्रतियोगिता रखी गयी। प्रतियोगिता के विजेता एवम् भाग लेने वाले सदस्यों को स्नेप ग्रुप (नंदा मरलेचा, प्रीति नाबरिया व सोनल राखेचा) ने पुरस्कार प्रदान किये। प्रतियोगिता में श्वेता सिंघी व योगिता पितलिया को जज बनाया गया। राखी के कार्पाम में सर्वश्रेष्ठ वेशभूषा में प्रथम स्थान पितलिया परिवार व द्वितीय स्थान छाजेड़ परिवार, सर्वश्रेष्ठ आरती में प्रथम स्थान डागा परिवार, द्वितीय स्थान गांधी परिवार, सर्वश्रेष्ठ आरती थाली सजावट में प्रथम स्थान राखेचा परिवार व द्वितीय स्थान नाबरिया परिवार को प्राप्त हुआ।
धर्मसभा का संचालन करते हुए चातुर्मास प्रधान संयोजक पारस डोसी ने धर्मसभा मे पधारे श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत करते हुए देवेंद्रप्रभाजी एवं प्रियांशश्रीजी के केश लोच की सुख साता पूछते हुए उनके चरणों मे वंदन-नमन किया। साथ ही बताया कि गौतमलब्धि तप आज पूर्ण हो गया। उन्होंने सभी तपस्वी के तप एवं पारणे की सुख साता पूछी। महासती श्री शीलकंवरजी म.सा की 113वीं जन्म जयंती के अवसर पर संघ के तत्वावधान में 24 से 26 अगस्त तक भव्य तेला तप महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इसके कूपन महिला मंडल, महिला समिति की सदस्यों से प्राप्त कर सकते हैं। संघ के अध्यक्ष व मंत्री ने धर्मानुरागी श्रावक-श्राविकाओं से विनती की कि सामूहिक तेले तप में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर महान आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धा व भाव प्रस्तुत करें।