हैदराबाद, आदिनाथ भवन, कोरा में आचार्य प्रवर पार्श्वचंद्रजी म.सा. के सान्निध्य में आयोजित प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव डॉ. पद्मचंद्रजी म.सा. ने कहा कि आगार धर्म एवं अणगार धर्म की नींव अहिंसा है। अणगार धर्म के अंतर्गत मुनि छ काय जीवों को सर्व रूप से अभयदान देते हैं। परंतु जो गृहस्थ संसार के व्यवहार में जीता है, वह पूर्ण रूप से धर्म का पालन नहीं कर पाता। उसके लिए तीर्थकंर भगवान ने आगार धर्म के अंदर निर्लिप्त रहते हुए मर्यादित जीवन जीने का उपदेश दिया।
मुनिश्री ने कहा कि हिंसा के दो भेद हैं आरंभजना हिंसा एवं संकल्पना हिंसा। संसार के व्यवहार में जीने के लिए एकेन्द्रिय जीव यानि पृथ्वीकाय, अपकाय, नेउकाय, रायुकाय, वनस्पतिकाय का आरंभ तो होता है, किंतु वहाँ हिंसा का भाव नहीं अपितु पंचेन्द्रिय जीवों की रक्षा की भावना होती है। अहिंसा व्रत में साधक संकल्पना हिंसा का त्याग करता है। किसी भी जीव को आकुट्टी की बुद्धि से, निरपराधी को मारने की बुद्धि से मारने का प्रत्याख्यान ग्रहण करता है। साधक जो गृहस्थ धर्म का पालन करता है, वह आरंभजना हिंसा में विवेक रखता है, इसमें कोई प्लानिंग नहीं होती। संकल्पजा हिंसा के अंतर्गत निकाचित कर्मों का बंध होता है, जिससे भव भ्रमण बढ़ जाता है। संकल्प पूर्वक की गई हिंसा में क्रूर परिणाम होते हैं, जो दुर्गति में ले जाते हैं। मुनिश्री के प्रवचनों से प्रेरित होकर प्रवचन सभा में उपस्थित श्रोतागणों ने आगार धर्म के तहत सर्वप्रथम अहिंसा व्रत को अंगीकार किया।
चेन्नई से पधारे प्रवीण खटोड़, दीपक, विशाल एवं मुकेश कोठारी, बेंगलुरू के श्री श्रेयांस पारणा समिति के सदस्य जे.के. महावीर चोरड़िया, मीठाला लोढ़ा, रमेश सियाल, महेंद्र मेहता, भंवरलाल चोरड़िया, रोशनलाल नाहर, महावीर श्रीश्रीमाल, कोमलचंद धोका, महेंद्र चोरड़िया, अहमदाबाद के डॉ. केरव शाह एवं उनकी पत्नी का स्वागत-सम्मान किया गया। राजेंद्र सोलंकी ने 21 उपवास के प्रत्याख्यान आचार्यश्री के मुखारविंद से ग्रहण किए, जिनका सम्मान महेंद्र चोरड़िया, बेंगलुरू निवासी एवं महेंद्र लुणावत, हिमायतनगर निवासी ने 9-9 उपवास की बोली लेकर किया। भंवरलाल जयप्रकारश प्रभावती चरिश्मा मखाना परिवार ने चाँदी के सिक्के से सम्मान किया। गौतम प्रसादी के लाभार्थी शांतिलाल महेंद्र कुमार रविंद्र कुमार, विनोद मोक्ष, ऋषभ अरिहंत सोलंकी परिवार रहे। दीपिका बोहरा ने 30 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। प्रवचन के पश्चात रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन डॉ. सुयशनिधिजी एवं सुयोगनिधिजी के सान्निध्य में किया गया। अनेक भाई-बहनों ने जाप द्वारा अभिमंत्रित रक्षा पोटली द्वारा संकल्प का, कर्तव्य का पालन किया। राखी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार आशा कटारिया, द्वितीय पुरस्कार श्वेता रांका, तृतीय पुरस्कार रेखा रांका को प्राप्त हुआ। बेस्ट भाई-बहन जोड़ी में प्रथम स्थान प्रकाश कटारिया एवं चंद्रकांता खरगांधी रहे। श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ, त्रयनगर की ओर से विजेताओं को चाँदी के सिक्के से पुरस्कृत किया गया। मंच का संचालन संघ के अध्यक्ष डॉ. पारसमल रांका ने किया।
आदिनाथ भवन, कोरा में आयोजित प्रवचन सभा के दौरान लाभार्थियों व अतिथियों को सम्मानित किए जाने का दृश्य।