विधानसभा में पोन्नम और कमलाकर के बीच नोंकझोंक

हैदराबाद, विधानसभा में चर्चा प्रारंभ करते हुए भारास के पूर्व मंत्री गंगुला कमलाकर ने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते विषाक्त भोजन के कारण 54 विद्यार्थियों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि विषाक्त भोजन के कारण खम्मम निवासी शैलजा नामक छात्रा ने 25 दिन के उपचार के दौरान गत 20 नवंबर को नीम्स अस्पताल में दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि भारास के 10 वर्ष के शासनकाल में शिक्षा की उपेक्षा करने का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन इसके पहले अधिकांश कांग्रेस की ही सरकार रही। इस दौरान कांग्रेस ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारास ने जो कार्य किए, वर्तमान कांग्रेस सरकार इसे जारी भी नहीं रख सक रही है। इस दौरान परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने हस्तक्षेप कर आपत्ति जताई और कहा कि भारास छात्रों की आड़ में राजनीति कर रही है। प्रभाकर और कमलाकर के बीच व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी को लेकर तीकी बहस हुई और दोनों ने एक-दूसरे पर व्यक्तिगत रूप से दोषारोपण किया। सूचना प्रौद्योगिकी व विदाई मामलों के मंत्री डी. श्रीधर बाबू ने भी हस्तक्षेप कर गंगुला कमलाकर के व्यवहार पर आपत्ति जताई, क्योंकि कमलाकर ने प्रभाकर को पहली बार जीतने वाला विधायक बताया और कहा कि उन्हें विधानसभा की कार्यवाही की जानकारी नहीं है। श्रीधर बाबू ने कहा कि नए विधायकों के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था, लेकिन इसमें भारास ने भाग नहीं लिया और उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि प्रभाकर सांसद भी रह चुके हैं। चर्चा जारी रखते हुए कमलाकर ने कहा कि के. चंद्रशेखर राव के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही न केवल गुरुकुल पाठशालाओं, सरकारी विद्यालयों, आवासीय विद्यालयों की संख्या बढ़ी, बल्कि मेडिकल कॉलेज भी बड़े पैमाने पर प्रारंभ किए गए।

भाजपा के विधायक पौडी राकेश रेड्डी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बढ़ाए गए डाइट और कॉस्मोटिक खर्च पर्याप्त नहीं है। इसमें और वृद्धि की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मिड डे मील्स से संबंधित बिलों का भुगतान न किए जाने पर हम कैसे कह सकते हैं कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिलेगा। लम्बे समय से बिलों का भुगतान न करने के कारण उसका प्रभाव भोजन पर पड़ रहा है। उन्होंने इस मामले पर राजनीति न करते हुए तुरन्त बिलों का भुगतान करने पर जोर दिया। विषाक्त भोजन के कारण छात्रा शैलजा की मौत होने पर आर्थिक मुआवजे की माँग की जा रही है, तब क्या हमें किसी विद्यार्थी की मौत होने तक व्यवस्था में सुधार लाने का लिए इंतजार करना पड़ेगा। उन्होंने इस प्रकार की घटनाओं से सबक लेते हुए इनकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई।

चर्चा में भाग लेते हुए एमआईएम विधायक दल के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी डाइट चार्जों को कम बताया। उन्होंने कहा कि तीसरी से सातवीं कक्षा के लिए मासिक स्तर पर एक छात्र को तीन टाइम को भोजन हेतु 1,330 रुपये (प्रतिदिन 44.33 रुपये), 8वीं से 10वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए 1,540 रुपये (प्रतिदिन 51.33 रुपये), इंटर से पीजी तक के छात्रों के लिए 2,100 रुपये (प्रतिदिन 70 रुपये) दिए जा रहे हैं। क्या हम एक छात्र को 44.33 रुपये में तीन समय का पौष्टिक आहार दे सकते हैं और यदि दिया भी जा रहा है, तो उस भोजन की गुणवत्ता क्या होगी। उन्होंने कहा कि भारास सरकार द्वारा पिछले 10 वर्ष के दौरान शिक्षा विभाग की पूर्णत उपेक्षा की गई। लेकिन कांग्रेस सरकार से वे उम्मीद करते हैं कि कम से कम यह सरकार इस दिशा में सुधार लाएगी। उन्होंने कहा कि अध्यापकों की भर्ती में उर्दू के साथ अन्याय किया जा रहा है। इसी प्रकार पुराने शहर के सरकारी स्कूलों में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

चर्चा में भाकपा के विधायक के. साम्बशिव राव, भाजपा के डॉ. पालवाई हरीश बाबू, कांग्रेस के रामचंदर नायक, के. अनिल रेड्डी, के. राजेश रेड्डी, आर. भूपति रेड्डी, सचेतक लक्ष्मण ने भी भाग लिया। चर्चा का समापन करते हुए हरीश राव ने कहा कि कांग्रेस सरकार को चाहिए कि आरोप लगाने से पहले वह पहले मुड़कर देखा, क्योंकि 56 वर्ष संयुक्त आंध्र-प्रदेश व तेलंगाना में कांग्रेस का शासन रहा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के गठन से पूर्व तेलंगाना में पाँच सरकारी मेडिकल कॉलेज थे और भारास के सत्ता में आने के बाद वर्तमान समय में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज कार्यरत है। उन्होंने कहा कि सरकारी छात्रावास में एक छात्रा को 15 बार चूहे ने काटा, वहीं तेलंगाना के पहले गुरुकुल पाठशाला सर्वल में आज ही एक छात्र का गरम रागी जावा गिरने से पैर झुलस गए। उन्होंने कहा कि कोरुट्ला व पेद्दापूर में हाल ही में पाँच छात्रों की साँप काटने से मौत हो गई। इन घटनाओं से स्पष्ट हो रहा है कि मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने में सरकार विफल हो गई। उन्होंने कहा कि भारास सरकार के दौरान स्कूली विद्यार्तियों के लिए ब्रेकफास्ट योजना प्रारंभ की गई, लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही इस योजना को ब्रेक लग गया। उन्होंने इस योजना को पुन अमल में लाने के अलावा सरकारी जूनियर कॉलेजों में मिड डे मील योजना को आरंभ करने का आग्रह किया।

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