ये लखनऊ की सरज़मीं…
स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण-2025 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने देशभर में तीसरा स्थान हासिल कर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है। इस वर्ष अहमदाबाद ने प्रथम और भोपाल ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जिसके बाद लखनऊ की यह उपलब्धि और भी गौरवपूर्ण प्रतीत होती है। पिछले वर्ष 41वें स्थान से इस शानदार उछाल ने न केवल लखनऊ की स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सामूहिक इच्छाशक्ति और सुविचारित रणनीति किसी भी शहर को स्वच्छता के शिखर तक ले जा सकती है।
यह उपलब्धि लखनऊ नगर निगम, प्रशासन, सफाईकर्मियों और शहरवासियों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जो स्वच्छता को एक जन-आंदोलन में बदलने में सफल रहे हैं। लखनऊ की इस उपलब्धि का आधार इसकी चरणबद्ध रणनीति और तकनीकी नवाचार हैं। विशेष रूप से शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट इस सफलता में मील का पत्थर साबित हुआ है। जहाँ कभी कचरे के पहाड़ हुआ करते थे, वहाँ आज वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन की मिसाल कायम हो रही है।
लखनऊ मॉडल: रणनीति, नवाचार और जनसहभागिता
गीले कचरे से खाद, निर्माण मलबे से टाइल्स और गमले, तथा अन्य कचरे से रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) का उत्पादन लखनऊ की स्वच्छता यात्रा का प्रतीक बन गया है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि सर्कुलर इकोनॉमी का एक व्यावहारिक उदाहरण भी है। लखनऊ ने 7-स्टार गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) रेटिंग और वाटर प्लस श्रेणी हासिल कर कचरा प्रबंधन और जल निकासी में उत्कृष्टता का परिचय दिया है।
पूछा जा सकता है, यह चमत्कार हुआ कैसे? सो, सयाने बता रहे हैं कि इसके पीछे लखनऊ नगर निगम की रणनीति और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी अहम रही है। घर-घर कचरा पृथक्करण, नियमित वार्ड सफाई, डिजिटल निगरानी और जागरूकता अभियानों ने स्वच्छता को एक सामाजिक संस्कार में बदला है। विशेष रूप से, आरोग्य वाटिका जैसे सामुदायिक कार्यक्रमों ने नागरिकों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित किया।
यह दर्शाता है कि स्वच्छता केवल सरकारी प्रयासों का विषय नहीं, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी है। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व में शुरू किए गए इन अभियानों ने शहरवासियों में स्वच्छता के प्रति नया उत्साह जगाया। कहना न होगा कि लखनऊ की यह सफलता अन्य नगरों-महानगरों के लिए भी प्रेरणा है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2025 में नोएडा, प्रयागराज, गोरखपुर और आगरा जैसे शहरों ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
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राष्ट्रीय स्वच्छता यात्रा: प्रेरणा, संकल्प और दिशा
प्रयागराज को सबसे स्वच्छ गंगा शहर और गोरखपुर को सफाई मित्र सुरक्षित शहर के रूप में सम्मानित किया गया। यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश स्वच्छता और सैनिटेशन के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी यात्रा पर है। बेशक इसका श्रेय राजनैतिक नेतृत्व को भी दिया जाना चाहिए, लेकिन असली हीरो तो आम शहरी को ही मानना होगा! वैसे कहा यह भी जा सकता है कि यह उपलब्धि सिर्फ एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।
अहमदाबाद, भोपाल और लखनऊ जैसे शहरों से प्रेरणा लेते हुए देश के सभी शहरों को स्वच्छता के कीर्तिमान कायम करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए। प्लास्टिक कचरे पर पूर्ण प्रतिबंध, कंपोस्टिंग इकाइयों का विस्तार और अधिक डिजिटल निगरानी प्रणालियों की स्थापना जैसे कदम इस दिशा में अहम साबित हो सकते हैं। साथ ही, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता शिक्षा को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि अगली पीढ़ी इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाए। अस्तु, इस मौके पर शकील बदायूँनी की याद आना स्वाभाविक है-
हर एक शाख़ पर यहाँ, हैं बुलबुलों की चह-चहें।
गली-गली में ज़िंदगी, कदम-कदम पे कह-कहें।।
हर इक नज़ारा है दिलनशीं! ये लखनऊ की सर-ज़मीं!
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