सामायिक स्वर्ग का सिंहासन : डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा

हैदराबाद, सामायिक स्वर्ग का सिंहासन है। सामायिक क्षमा का बरसता बादल है, क्रोध कषाय की आग बुझ जाती है, बारिश से पानी बरसने के दौरान धरती की गर्मी है, आत्मा का सामायिक का बादल बर्षा से कषाय की अग्नि को सामायिक शांत कर देते ही। उक्त उद्गार सिकंदराबाद स्थित मारुति विधि जैन स्थानक में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के तत्वावधान में साध्वी डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा. ने व्यक्त किये।

पूज्यश्री ने कहा कि पर्युषण जैनियों का ऐसा महापर्व है, जिसमें न आमोद है, न प्रमोद, न रंग है, न बिरंगी है और न ही कोई किसी प्रकार से होटल या पार्टी मनाने का अवसर। पर्युषण के आठ दिन जो अब तक 8 माह में नहीं किया, ऐसी धर्म आराधना, साधना, तप, त्याग, उपवास आयंबिल, एकासन, पौषध, प्रतिक्रमण करना है। आज से प्रारंभ करेंगे, तो वर्ष भर न करने वाला फल आठ दिवस में मिल जाएगा। इस अष्ट दिवस की साधाना को विशेष और विशिष्ठ बनाना है।

सामायिक साधना: जीवन की उलझनों का समाधान

व्यक्ति शरीर से बीमार होता है, तो गोली लेकर ठीक होता है, इसी तरह पर्युषण पर्व के दौरान कोई भी व्यक्ति ऐसे वैसे मूर्ख के पास नहीं बैठता, बल्कि विशिष्ठ साधक बनकर साधना के राज मार्ग पर बढ़ता है। जीवन में गलत वृत्ति न आये, दुर्गति में न जाएँ, इसके लिए सत्संग करें। म.सा. ने कहा कि सामायिक ऐसा कोर्ट है, जिसमें जीवन की समस्त उलझनों को सुलझाया जा सकता है।

मन, वचन, काया को सरल बनाया जा सकता है। जिनत्व साधना में समर्पणता है, जो सामायिक के दौरान मिलती है। यह सामायिक का आंतरिक रूप है, समभाव में जीना है, समभाव रहकर जीवन को आगे बढ़ाना है। सामायिक सावर्त का त्याग करना अध्यात्म की साधना आराधना से जुड़ी छोटी सी साधना है, जो जीवन में ग्रहण कर लेता है, उसके जीवन का बेड़ा पार हो जाता है। म.सा. ने कहा कि जानने की कोशिश करें कि सामायिक क्यों की जाती है।

रोग के निवारण के लिए दवा लेते हैं, बच्चे स्कूल में ज्ञान अर्जन करने जाते हैं इसी तरह सामायिक पूर्ण आत्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करने की दवा है। आत्मा के रोगों को मिटाने की अच्छी दवा है। म.सा.ने कहा कि हम आत्मिक शांति के लिए स्थानक और मंदिर में जाते हैं। सामायिक के लिए कहा गया कि यह एक लक्ष्य भेद है। जीवन में सामायिक लक्ष्य भेद की साधना के दौरान एक दो तीन नहीं बल्कि 18 पापों को लक्ष्य भेदा जा सकता है। समूल 18 पापों को छेदन भेदन कर मिटा सकते हैं।

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पर्युषण पर्व: नवकार जाप, उपवास और एकासना आयोजन

सभा का संचालन करते हुए श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के कार्याध्यक्ष शांतिलाल बोहरा ने बताया की 27 अगस्त तक पर्वाधिराज महापर्व के आठ दिन नवकार जाप अखंड जाप किया जाएगा। महासतीजी डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा. के लोच की श्री संघ की ओर से सुख साता पूछी गई। आज के जाप की प्रभावना लाभार्थी प्रेमचंद, राजेश कुमार, विशाल, आशीष कटारिया परिवार की ओर से दी गयी।

आज प्रथम दिन को उपवास दिवस के रूप में मनाया गया। श्री गुरु अंबेश मेवाड़ महिला मंडल के सहयोग से मैं श्रावक बनूँ विषय पर प्रतियोगिता आयोजित की गयी। सभा में पदमा बाई अशोक पोकरणा ने 5 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। चेन्नई से दिलीप कुमार सुराणा, ज्योतिराज सुराणा, भागलपुर से ललिताबाई चोरड़िया का श्री संघ की ओर से अभिनंदन किया गया।
अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने सभी से पर्युषण पर्व में श्रावक-श्राविकाओं से धर्म, तप, आराधना में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आग्रह किया।

स्थानक में एकासना, बियासना करने वालों की व्यवस्था संघ द्वारा की जाएगी। प्रतिदिन प्रात 8.15 बजे से पैसठिया छंद जाप, अन्तकृत दशांग सूत्र वाचन एवं प्रवचन, मध्यान्ह 2 बजे से 3 बजे तक कल्पसूत्र वाचन और सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात प्रतिक्रमण रहेगा। धार्मिक प्रश्न के उत्तर देने वालों को श्री प्रतिभा बहू मंडल की ओर से पुरस्कृत किया गया। इसी प्रकार प्रवचन में समय के पूर्व पधारने के लिए दो-दो पुरस्कार श्रावक-श्राविकाओं को श्री गुरु अंबेश मेवाड़ संघ की ओर से दिए गए। प्रतिभा बहू मंडल द्वारा प्रस्तुति दी गई। महामंत्री सुरेन्द्र कटारिया ने बताया कि सिद्धि तप के आज आठवें चरण चरण के प्रथम दिवस लगभग 110 एकासना हुए।

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