परिवर्तनकारी शैक्षणिक संगोष्ठी का समापन
हैदराबाद, प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परंपरा के आधुनिक शिक्षा में समावेशन के उद्देश्य से गठित भारत सरकार द्वारा स्थापित एवं पतंजलि योगपीठ द्वारा प्रायोजित नवीन राष्ट्रीय विद्यालय बोर्ड, भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी) द्वारा हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में परिवर्तनकारी दो दिवसीय शैक्षणिक संगोष्ठी, विद्यालयी शिक्षा में परिवर्तन : नवीन भारत निर्माण हेतु भारतीय मूल्यों का समावेशन का समापन हुआ।
आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम में सांस्वफढतिक अंतर्दृष्टि को सुसंगत बनाने और पाठ्यक्रम में आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों के समावेशन हेतु अभिनव तरीकों पर संवाद करने हेतु अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
संगोष्ठी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल, ईशा योग फाउंडेशन, रामवफढष्ण मिशन शैक्षिक और शोध संस्थान, अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन, चिन्ना जीयर स्वामी संगठन, स्वामीनारायण गुरुकुल संस्थान, विवेकानंद पेंद्र, श्री अरबिंदो सोसाइटी, भिक्खु संघ सेना, जैन एजुकेशन ट्रस्ट, देव संस्वफढति विश्वविद्यालय, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा भविष्योन्मुखी शैक्षणिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी समग्र शिक्षा, अनुभवात्मक शिक्षा और पारंपरिक भारतीय ज्ञान को समकालीन शैक्षणिक तकनीकों में एकीवफढत करने हेतु विचारों के आदान-प्रदान का मंच था।
संगोष्ठी का उद्घाटन स्वामी रामदेव ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को युवा पीढ़ी में भारतीय मूल्यों और दृष्टिकोणों के समावेशन के साथ वैश्विक नेतफत्व में बदलने हेतु स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के नवीन आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभागियों ने संगोष्ठी के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए नवीन भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्मित समकालीन शिक्षा में बदलाव की महत्ता को स्वीकार किया। उन्होंने रोचक और विचारशील प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी में संवाद के मुख्य तत्व थे भारतीय शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को भारतीय संवेदनाओं और मूल्यों के साथ पुननिर्मित करना, ताकि व्यावहारिक विज्ञान और कला शिक्षा के माध्यम से जिज्ञासा को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा नवीन, अनुभवात्मक शिक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना, समग्र विकास, गहन शिक्षक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से जमीनी स्तर पर शिक्षकों के साथ जुड़ाव, प्रौद्योगिकी और कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना, छात्रों और शिक्षकों के सामाजिक और भावनात्मक विकास को मजबूत करना और बच्चों की शैक्षणिक यात्रा में माता-पिता एवं समाज की भागीदारी को बढ़ाना शामिल था। आचार्य बालवफढष्ण ने प्रतिभागियों को उनके विद्यालय प्रणाली में सांस्वफढतिक लोकाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने भाग लेने वाले संगठनों को बीएसबी के युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्वफढतिक और आध्यात्मिक संवेदनाओं में निहित करने के लक्ष्य में सहयात्री बनने के लिए आमंत्रित किया।
भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह ने कहा कि संगोष्ठी हमारे पारंपरिक ज्ञान और मानव मन के विकास की वैज्ञानिक समझ के साथ समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने की यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए समर्पित हैं, जो न केवल शैक्षणिक उत्वफढष्टता, बल्कि समग्र मानव विकास का पोषण करता है। भविष्य की ओर देखते हुए, बीएसबी नवीन शैक्षणिक पद्धतियों को आगे बढ़ाने, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार करने और शिक्षा के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध हैं, जो सांस्वफढतिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक, दोनों का सम्मान करता है। कार्यक्रम को भारतीय मूल्यों, रचनात्मकता और समग्र विकास पर ध्यान पेंद्रित करते हुए शिक्षा के भविष्य को नया आकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।