अमेरिकी सांसद बोले – ट्रंप प्रशासन एच-1बी फैसले पर ‘पुनर्विचार करें’

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अमेरिका, अमेरिका में एक बार फिर H-1B वीजा को लेकर बहस तेज हो गई है राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया आदेश, जिसमें इस वीजा पर नए प्रतिबंध और 1 लाख डॉलर तक की अतिरिक्त फीस लगाने की बात कही गई है, ने भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी तकनीकी उद्योग में चिंता बढ़ा दी हैI अब अमेरिकी सांसदों का एक समूह खुलकर राष्ट्रपति ट्रंप से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रहा हैI

कैलिफोर्निया के प्रतिनिधि जिमी पनेटा के नेतृत्व में सांसद अमी बेरा, सलूड कार्बाजल और जूली जॉनसन ने ट्रंप को पत्र लिखकर कहा है कि यह नीति भारत-अमेरिका संबंधों पर गहरा असर डाल सकती हैI पत्र में सांसदों ने साफ किया कि H-1B वीजा कार्यक्रम न केवल अमेरिकी कंपनियों के लिए अहम है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों की नींव भी है. सांसदों ने लिखा, “हम हाल ही में भारत यात्रा पर गए थे और हमने देखा कि भारतीय प्रोफेशनल्स अमेरिकी अर्थव्यवस्था, रक्षा और नवाचार प्रणाली में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैंI इस प्रोग्राम को सीमित करना दोनों देशों के लिए नुकसानदायक साबित होगाI

तकनीकी क्षेत्र पर पड़ सकता है असर

19 सितंबर को ट्रंप प्रशासन ने “रिस्ट्रिक्शन ऑन एंट्री ऑफ सर्टेन नॉन-इमिग्रेंट वर्कर्स” नाम से एक आदेश जारी किया था इसमें न केवल नई शर्तें जोड़ी गईं, बल्कि फीस भी बढ़ा दी गई, जिससे अमेरिकी टेक सेक्टर पर सीधा प्रभाव पड़ सकता हैI सांसदों के अनुसार, यह कदम उन कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा जो भारत जैसे देशों से आने वाले प्रतिभाशाली इंजीनियरों और टेक विशेषज्ञों पर निर्भर हैं उन्होंने यह भी कहा कि जब चीन तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश कर रहा है, ऐसे समय में अमेरिका के लिए जरूरी है कि वह प्रतिभा को सीमित करने के बजाय आकर्षित करेI

भारत से आने वाली प्रतिभा बनी अमेरिका की रीढ़

पत्र में बताया गया कि पिछले वर्ष जारी H-1B वीजा में से करीब 71 प्रतिशत भारतीय नागरिकों को मिले थे, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय पेशेवर अमेरिकी नवाचार और तकनीकी विकास के मूल स्तंभ बन चुके हैं सांसदों ने इसे अमेरिका के STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ) क्षेत्रों की “रीढ़” बताया उनके अनुसार, भारतीयों की मौजूदगी से न केवल अमेरिकी कंपनियां वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बनी हुई हैं, बल्कि यह अमेरिका की दीर्घकालिक आर्थिक और सुरक्षा रणनीति को भी मजबूती देती हैI

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अमेरिकी समाज और अर्थव्यवस्था में भारतीयों की भूमिका

सांसदों ने अपने पत्र में यह भी कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय और H-1B वीजा धारक स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में अहम योगदान दे रहे हैं वे सिर्फ कर्मचारी नहीं, बल्कि अमेरिका की सामाजिक संरचना और नवाचार संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका की कई शीर्ष टेक कंपनियां जिनमें Google, Microsoft, और Adobe जैसी दिग्गज शामिल हैं उन लोगों द्वारा चलाई जा रही हैं जिन्होंने कभी H-1B वीजा के तहत यहां कदम रखा थाI

भविष्य की दिशा क्या होगी?

रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिकी तकनीकी कंपनियां भी इस फैसले से चिंतित हैं. उनका मानना है कि नई नीति से नवाचार की रफ्तार धीमी होगी और चीन जैसे प्रतिस्पर्धियों को फायदा मिलेगा. कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर यह फैसला बरकरार रहा तो इससे “ब्रेन ड्रेन” का खतरा बढ़ सकता है और अमेरिकी टेक सेक्टर की ग्लोबल लीडरशिप पर असर पड़ेगा, वहीं, ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह नीति अमेरिकी नागरिकों को रोजगार के अधिक अवसर देने के लिए बनाई गई है लेकिन विपक्षी सांसदों और उद्योग जगत का मानना है कि यह नीति अल्पदृष्टि पर आधारित है और इससे अमेरिका की दीर्घकालिक तकनीकी शक्ति कमजोर होगीI(भाषा) 

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