ट्रंप और पुतिन : दोस्ती, धमकी और ड्रामा

अचरज नहीं कि खुद को आज की दुनिया का इकलौता चौधरी समझने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इन दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बग़ावती तेवरों से ख़ासे नाराज़ नज़र आ रहे हैं। वैसे पुतिन कौन से कम हैं? खूब गोल फिरा रहे हैं चौधरी साहब को! कहना शायद ग़लत न हो कि डोनल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की जोड़ी का विश्व मंच पर ड्रामा किसी बॉलीवुड मसाला फिल्म से कम नहीं!

कभी ये दोनों एक-दूसरे की तारीफों में कसीदे पढ़ते हैं, तो कभी धमकियों का आदान-प्रदान करने लगते हैं। इस रिश्ते के अस्थिर स्वभाव ने वैश्विक कूटनीति को सर्कस की गाड़ी बना छोड़ा है। ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति और पुतिन की रूस की ताकत वाली ज़िद के बीच यह रिश्ता कभी गर्मजोशी भरा लगता है, तो कभी बर्फीला। दर्शकों का दिल सोच-सोच कर कभी उछलता तो कभी बैठ जाता है कि आखिर इस तमाशे का अंजाम क्या होगा!

दोस्ती से टकराव तक: ट्रंप-पुतिन का बदलता रिश्ता

ट्रंप और पुतिन का रिश्ता पुराना है। 2017 में ट्रंप ने पुतिन को तमीज़दार और बातचीत में आसान बताया था। उस वक़्त क्रीमिया संकट के बाद रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों की मार थी, लेकिन ट्रंप ने जी-7 में रूस को वापस लाने की वकालत की। ऐसा लगता था मानो ट्रंप, पुतिन को गले लगाने को बेताब हैं। लेकिन 2025 आते-आते यह दोस्ती तल्खी में बदल गई। ट्रंप ने पुतिन पर तंज कसते हुए कहा, वह बहुत लोगों को मार रहे हैं, मैं उनसे खुश नहीं हूँ।

यह सुनकर पुतिन ने जवाब में यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला कर दिया, जिसमें 741 मिसाइलें और ड्रोन शामिल थे। यह कोई दोस्ती नहीं, बल्कि दो ज़िद्दी नेताओं के अहं का टकराव है। यूक्रेन युद्ध इस रिश्ते का लिटमस टेस्ट है। ट्रंप ने सत्ता में आते ही दावा ठोका कि वे चुटकियों में युद्ध रुकवा सकते हैं। उन्होंने पुतिन से फोन पर लंबी बातचीत की। सऊदी अरब में उनकी टीमें मिलीं। 30 दिन के युद्धविराम का प्रस्ताव भी रखा।

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ट्रंप-पुतिन रिश्ते का वैश्विक ड्रामा और प्रभाव

लेकिन पुतिन ने इसे ठुकरा दिया। उनकी शर्तें साफ थीं- यूक्रेन कुछ क्षेत्र खाली करे, नाटो में शामिल न हो और रूस पर से प्रतिबंध हटें। ट्रंप ने इन शर्तों को नकार दिया। लेकिन यूक्रेन को सैन्य मदद भी बंद कर दी। इससे जेलेंस्की की हालत पतली हो गई। अब फिर अमेरिका ने अपना शस्त्रागार यूक्रेन के लिए खोल दिया है। पुतिन पर दबाव बनाना है न! ट्रंप बुरे फँसे हैं, इसलिए खिसियाकर आँय-बाँय बोल रहे हैं! कोई भी उनकी सुनने को तैयार नहीं!

दुनिया देख रही है कि इस चलायमान रिश्ते का एक कारण ट्रंप का अप्रत्याशित व्यवहार है। कभी वे पुतिन को पागल कहते हैं, तो कभी रूस को जी-7 में लाने की बात करते हैं। पुतिन भी कम नहीं। वे ट्रंप के अहं को सहलाते हुए तारीफों का मक्खन लगाते हैं और फिर यूक्रेन पर हमले तेज कर देते हैं। यह रिश्ता विश्व शांति के लिए कम, ड्रामे के लिए ज्यादा है। ट्रंप की धमकियाँ पुतिन पर बेअसर हैं। पुतिन ने तो साफ कह दिया, टारगेट पूरे होने तक युद्ध जारी रहेगा।

इस तमाशे का वैश्विक असर गंभीर है। अगर ट्रंप और पुतिन करीब आए, तो नाटो कमजोर पड़ सकता है और रूस-चीन की दोस्ती में दरार आ सकती है। लेकिन अगर यह तल्खी बढ़ी, तो रूस पर नए प्रतिबंध लग सकते हैं और यूक्रेन में युद्ध की आग और भड़क सकती है। भारत जैसे देशों के लिए यह संतुलन का खेल है, जो रूस और अमेरिका, दोनों से रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं। अंजाम क्या होगा? शायद ट्रंप और पुतिन का यह ड्रामा एक नई विश्व व्यवस्था की ओर ले जाए, या फिर और अराजकता पैदा करे! फिलहाल तो इतना ही कि यह रिश्ता विश्व मंच पर एक बोर तमाशा बन चुका है!

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