सिनेमा में एकरसता को तोड़ने का करें प्रयास : नीलकांता रेड्डी
हैदराबाद, गीतम डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी हैदराबाद के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज द्वारा आज शूटिंग नीलकांता विषयक परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। अवसर पर प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जी. नीलकांता ने छात्रों के साथ अनुभव साझा करते हुए सिनेमा में एकरसता को तोड़ने के महत्व पर विशेष रूप से बल दिया।
जी. नीलकांता ने कहा कि फिल्म निर्माण में प्रयोग करते रहना चाहिए। प्रयोग दिमाग को जीवंत तथा सक्रिय बनाए रखते हैं। उन्होंने अलग-अलग तरह की फिल्में बनायीं, जिनमें से प्रत्येक तीन या चार शैलियों का मिश्रण थीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप हमेशा कुछ नया उत्पन्न कर रहे हैं, विभिन्न विषयों पर नए विचारों के साथ चिंतन-मनन करते रहना चाहिए। विषय से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म स्कूल फिल्म निर्माण की तकनीकी बातें सिखाते हैं, लेकिन सच्ची रचनात्मकता हमारे स्वयं के भीतर से आती है, जिसे सिखाया नहीं जा सकता। उन्हें इस क्षेत्र में ज्ञान और प्रेरणा फिल्मों को देखने, उनकी बारीकियों की सराहना करने और उन पाठों को आत्मसात करने से आई। उन्होंने पटकथा लेखन में आकस्मिक प्रवेश से जुड़ी बातें करते हुए युवा रचनाकारों को अवसर आने पर उनका लाभ उठाने की सलाह दी।
नीलकांता ने अभिनेताओं और निर्देशकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए दोनों के बीच आपसी समझ के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि निर्देशक को अभिनेता को चरित्र को सही मायने में समझने और उसे मूर्त रूप देने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए। फिल्म निर्माण में विजुअलाइज़ेशन के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सही स्थान एक निर्देशक के दृष्टिकोण को पूरी तरह से प्रकट कर सकता है। उन्होंने बदलते फिल्म परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री की विविधता की सराहना की, जो अंतरराष्ट्रीय फिल्मों तक व्यापक पहुँच की अनुमति देती है। उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि फिल्मों को अक्सर दर्शकों के प्रकार जैसे ए, बी और सी श्रेणियों के आधार पर वर्गीवफढत किया जाता है। दर्शकों को इस तरह से बॉक्स में नहीं रखा जाना चाहिए। फिल्मों में पफष्ठभूमि संगीत के संदर्भ में नीलकांता ने कहा कि इसे दृश्यों पर हावी होने के बजाय पूरक होना चाहिए। अच्छा पफष्ठभूमि संगीत फिल्म के भावनात्मक प्रभाव को बढ़ाता है। वेंकट सुब्बू पेटेटी ने सत्र का संचालन करते हुए कहा कि दो राष्ट्रीय पुरस्कारों और पाँच नंदी पुरस्कारों के विजेता नीलकांता को अभूतपूर्व फिल्म निर्माता के रूप में वर्णित किया जा सकता है। उनकी फिल्में मजबूत चरित्र, सार्थक कहानियाँ बनाने और मनोरंजन व आत्मनिरीक्षण के बीच संतुलन बनाने की उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित करने वाली हैं।