तुलसी विवाहोत्सव देवी तुलसी और भगवान शालिग्रमा के दिव्य मिलन का प्रतीक पर्व

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तिथि मुहूर्त

विक्रम पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी तिथि 1 नवंबर, शनिवार की सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरु हो रही है, जो 2 नवंबर, रविवार की रात को 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 2 नवंबर, रविवार को रखा जाएगा। शास्त्रां के अनुसार, दशमी युक्त एकादशी को विद्धा कहा जाता है। मान्यता है कि विद्धा एकादशी में व्रत करने से जीवन में की गई संपूर्ण एकादशियों का फल नष्ट हो जाता है। इसलिए इस वर्ष तुलसी विवाह कार्य द्वादशी तिथि से किए जाएंगे।

देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु चार माह के बाद योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इसलिए इसे देउठनी एकादशी कहते हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को योगनिद्रा से जागृत होते हैं। चार माह की लंबी निद्रा के बाद जब श्रीहरि के जागने से मांगलिक कार्य जैसे- शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि किए जा सकते हैं।

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पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें। पूजा-स्थल की सफाई करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं। पीला चंदन, पीले फूल और पंचामृत का भोग लगाएं। इसके बाद दीपक प्रज्वलित करके व्रत-कथा सुनें और आरती करके पूजा संपन्न करें।

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