स्वयं पर जिसे विश्वास नहीं, वह कभी नहीं जीतता : विजयलताजी
हैदराबाद, जिसको स्वयं पर विश्वास नहीं, वह किसी से जीत नहीं सकता। वह त्यागी नहीं होता, जिसे प्राप्त नहीं होने पर भी छोड़ने की इच्छा रखता हो। जब प्राप्त ही नहीं, तो छोड़ेंगे किसे। बीमारी में जो वस्तु निषेध है, जिसके खाने से तकलीफ होती है, उसे यदि छोड़ने को कहा जाए, तो वह हितकर हो सकती है, पर त्याग नहीं। त्याग तो स्वाधीन होकर सहज रूप से पूर्व पुण्य प्रबल से चीज प्राप्त हो, यदि उसका ही त्याग करे, तो वह त्यागी कहलाता है। मन की भावना भी है कि ऐसा योग बैठे मन से की वस्तु का त्याग करें।
उक्त उद्गार सिकंदरबाद स्थित मारुति विधि जैन स्थानक में विजयलताजी म.सा. आदि ठाणा-3 ने चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत व्यक्त किये। पूज्यश्री ने कहा कि जो कांत, प्रिय, ईष्ट है, उसका त्याग करना। जो चीज मैं त्याग कर रहा हूँ वह मुझे अच्छी नहीं लग रही है, पर यह किसी और के लिए अच्छी लग सकती है। मेरे द्वारा त्याग की गई वस्तु दूसरे के लिए भोग्या हो सकती है। कोई वस्तु अच्छी है, सुन्दर है और छोड़ते हैं, तो उसको कोई अन्य ग्रहण करता है। हमें लक्ष्मी का उपयोग करने का अधिकार है, जबकि लक्ष्मी का भोग करने का अधिकार भगवान नारायण के पास है। जिसका पता नहीं जानते, उसके लिए दौड़ भाग क्यों करते हैं। जीवों को अभयदान दो, लेकिन हम जीव को छोड़कर वस्तु के पीछे पड़े हैं।
म.सा. ने कहा कि चतुर्दशी और अमावस्या महावीर की कल्याण तिथि है। तपस्या का अवसर आया है। तपस्या करने वाले को अच्छे भाव से पर्युषण में एक बेला भगवान के नाम का करें। महावीर के अनुयायी है, उनके अनुशासन में हैं, तो वीर के गुण होने चाहिए, पर आप कायर हैं। शरीर के साधन के सुख में रहने वाला कभी वीर नहीं हो सकता। वीर बनें और आने वाली चौदस और अमावस्या पर बेला करने का भाव रखें। संसार के सारे पदार्थ एक साथ एक व्यक्ति को नहीं मिलते। तीर्थंकर जैसे महापुरुष को संसार के समस्त सुख एक ही समय नहीं मिले, तो फिर हमारी क्या बिसात। सारे संसार के सुख एक साथ किसी को नहीं मिल सकते हैं।
म.सा. ने कहा कि इसकी चिंता न करें कि होगा या नहीं, बस प्रारंभ करें। आप प्रारंभ करो जो कार्य अधूरा है, निश्चय नहीं कर पाये, तो उस कार्य की पूर्णाहुति के लिए पुन मनुष्य जन्म मिलेगा। यदि हम नवकार मंत्र को 9 लाख बार रटें, तो इससे व्यक्ति के 66 लाख योनि कट जाती है। भगवान महावीर ने बड़े- बड़े तप किये हैं। हम भी चाहें तो कर सकते हैं।
मंत्री गजेन्द्र तातेड़ ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि आज आनपूर्वी जाप नमो विहार यात्रा संघ की ओर से रहा। छवि कमल कोठारी ने आज आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए, आपके आगे के भाव हैं। श्री संघ की और से उनका स्वागत किया गया। आठ या उससे अधिक तपस्या करने वालों का बहुमान चाँदी के सिक्के से चंपालाल कन्हैयलाल पूनमचंद गांधी परिवार द्वारा किया गया। अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने रविवार, 1 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहे पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व पर आठ दिवसीय कार्पाम की सम्पूर्ण जानकारी दी। साथही आह्वान किया कि सभी परिवार के साथ धर्म आराधना, तप, विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताओं और सायंकाल प्रपामण में भाग लें।