सरकारी आदेश तेलुगु में क्यों नहीं?
हैदराबाद, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि राज्य सरकार द्वारा तेलुगु में आदेश और अध्यादेश क्यों नहीं जारी किये जा रहे हैं? शेरिलिंगमपल्ली के एक वयोवृद्ध याचिकाकर्ता की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जे. श्रीनिवास राव की पीठ ने बुधवार को सुनवाई की। अदालत ने एक ओर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा, तो दूसरी ओर याचिकाकर्ता की याचिका के औचित्य पर भी सवाल उठाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार का तेलुगु में आदेश और अध्यादेश जारी न करना राजभाषा अधिनियम, 1956 और कई अन्य अध्यादेशों उल्लंघन है।
सरकार आदेश अंग्रेज़ी में जारी करती है, जबकि तेलंगाना राज्य में 70 प्रतिशत तेलुगु भाषी हैं और शेष 30 प्रतिशत लोगों को भी पूरी तरह अंग्रेजी नहीं आती। अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अब 1980 के जीओ को चुनौती देने का क्या उद्देश्य है। याचिकाकर्ता की उम्र 72 साल है और इस उम्र में जनहित याचिका दाखिल कर कहीं प्रचार पाने का तो उद्देश्य नहीं है। अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी किया और सुनवाई स्थगित कर दी।
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