कृष्णा नदी में हिस्सा नहीं छोड़ेंगे : रेवंत
हैदराबाद, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने स्पष्ट कर दिया है कि कृष्णा नदी में तेलंगाना अपने हिस्से के पानी की एक भी बूंद नहीं छोड़ेगा, चाहे वह आवंटित पानी हो, अधिशेष पानी हो या नदी से आने वाला बाढ़ का पानी हो। उन्होंने कानूनी विशेषज्ञों और सिंचाई अधिकारियों को सतर्क किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि तेलंगाना को कृष्णा नदी के जल का उचित हिस्सा मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कृष्णा नदी के जल में हमारे हिस्से का जल प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक सबूत तुरंत तैयार करें और कानूनी विशेषज्ञों को उपलब्ध करवाएँ।
राज्य सरकार आगामी 23, 24 और 25 सितंबर को दिल्ली में कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण की सुनवाई में अपनी अंतिम दलीलें पेश करने जा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में रेवंत रेड्डी ने आज इंटिग्रेटेड कमांड कृष्णा नादा कंट्रोल सेंटर में कृष्णा न्यायाधिकरण के समक्ष राज्य सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले रुख पर समीक्षा बैठक की। इस बैठक में सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यानाथन, केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष के. वोहरा, सिंचाई सलाहकार आदित्यनाथ दास, सिंचाई प्रधान सचिव राहुल बोज्जा, विशेष सचिव प्रशांत पाटिल, ई.एन.सी. अंजाद हुसैन, सीएमओ सचिव माणिक राज और सिंचाई अधिकारी शामिल हुए।
रेवंत ने किसानों और राज्य हितों की रक्षा का भरोसा दिया
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्य के हितों की रक्षा के लिए सरकार की ओर से न्यायाधिकरण के समक्ष मजबूत दलीलें पेश करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी स्वयं दिल्ली जाकर इस सुनवाई में भाग लेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कृष्णा नदी के पानी के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने और राज्य को मिलने वाले पानी की एक-एक बूंद प्राप्त करने के लिए प्रभावी तर्क देने हेतु कानूनी विशेषज्ञों को कई सुझाव दिए। उन्होंने इसके लिए न्यायाधिकरण के समक्ष सभी आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य से लेकर अलग राज्य बनने के बाद अब तक कृष्णा नदी पर बनी परियोजनाओं, प्रस्तावित परियोजनाओं, अधूरी परियोजनाओं और उपेक्षित परियोजनाओं का विवरण न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
इसी प्रकार संयुक्त राज्य में जारी सभी सरकारी आदेश तैयार रखे जाएँ और तबसे लेकर अब तक की सभी परियोजनाओं का विवरण न्यायाधिकरण को उपलब्ध करवाने को कहा। इस अवसर पर पिछली सरकार द्वारा कृष्णा जल में निर्धारित जल का हिस्सा प्राप्त न करने, बल्कि आंध्र प्रदेश को 512 टीएमसी देने और 299 टीएमसी के हिस्से पर सहमत होने के मुद्दे पर चर्चा हुई।
ज्ञातव्य है कि पिछली सरकार के इस कदम के चलते राज्य के साथ अपूरणीय अन्याय हुआ। कानूनी विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को बताया कि आंध्र प्रदेश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा 299 टीएमसी के हिस्से पर सहमत होने का मामला न्यायाधिकरण के समक्ष उठाया है। मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य में कृष्णा जल के उपयोग में तेलंगाना के हितों को ध्यान में नहीं रख गया था। इसके चलते यह नौबत आयी है। उन्होंने कहा कि दस वर्ष सत्ता में रही केसीआर सरकार कृष्णा जल में कानूनी रूप से देय जल कोटा प्राप्त करने में बुरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान पालमुरु से दिंडी तक कृष्णा नदी पर सभी परियोजनाओं को रोक दिया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्याय के सिद्धांतों के अनुसार, निचले राज्यों के अधिकारों के साथ-साथ, नवगठित तेलंगाना राज्य को कृष्णा नदी में 904 टीएमसी पानी का हिस्सा मिलना चाहिए और इसके लिए तर्क तदनुसार तैयार किए जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पिछली सरकार की लापरवाही और उदासीनता के कारण आंध्र प्रदेश सरकार ने कृष्णा नदी के पानी का अवैध रूप से उपयोग किया। इस मामले को न्यायाधिकरण के समक्ष लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीशैलम जलाशय के भरने से पहले ही आंध्र प्रदेश रायलसीमा लिफ्ट सिंचाई योजना व पोतिरेड्डीपाड्डु से प्रतिदिन 10 टीएमसी पानी का ले रहा है और इसे अन्य बेसिनों में भेज रहा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आंध्र प्रदेश द्वारा पट्टीसीमा, पुलीचिंतला और चिंतालपूडी तक पानी के अवैध रूप से उपयोग करने के सभी मुद्दों का साक्ष्य न्यायाधिकरण को बताएँ।
श्रीशैलम, नागार्जुन सागर और पुलीचिंतला में जलविद्युत परियोजनाओं के बंद होने का ख़तरा
आंध्र प्रदेश द्वारा कृष्णा नदी के पानी को अवैध रूप से मोड़ने के कारण श्रीशैलम, नागार्जुन सागर और पुलीचिंतला में जलविद्युत परियोजनाओं के बंद होने का ख़तरा है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि इन सभी मुद्दों को न्यायाधिकरण के समक्ष तर्क के रूप में प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक नवगठित राज्य के रूप में तेलंगाना के पास जल हिस्सेदारी हासिल करने के सभी अधिकार और योग्यताएँ है। उन्होंने न्यायाधिकरण के सामने इस तथ्य पेश करने को कहा कि महबूबनगर, रंगारेड्डी और नलगोंडा जिले, जो सूखाग्रस्त क्षेत्र में है, के पास सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं के लिए कृष्णा जल के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। उन्होंने न्यायाधिकरण के सामने यह तथ्य भी रखने का आग्रह किया कि तेलंगाना क्षेत्र में अब तक नियोजित परियोजनाओं के पूरा न होने के कारण राज्य कृष्णा जल का उपयोग नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना की ओर से तर्क प्रस्तुत करने का यह सही अवसर है। उन्होंने कानूनी विशेषज्ञों को सलाह दी कि वे किसी भी परिस्थिति में इस अवसर को न चूकें, क्योंकि इससे ही राज्य के हितों की रक्षा होगी और कृष्णा नदी के जल का हिस्सा निर्धारित होगा।
अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।





