वर्कहोलिज्म और समाज सेवा हमारी विचार प्रक्रिया होनी चाहिए- डॉ. मनसुख मंडाविया

कान्हा शांति वनम में युवा शिखर सम्मेलन राइजिंग विद काइंडनेस का आयोजन

हैदराबाद- हार्टफुलनेस संस्थान की मेजबानी में तीन दिवस युवा शिखर सम्मेलन `राइजिंग विद काइंडनेस’ का दूसरा संस्करण कान्हा शांति वनम में आरंभ हुआ। युवाओं को करुणा, सहानुभूति, प्रेम तथा शांति जैसे मानवीय गुणों के महत्व के प्रति जागरूक करने वाले इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि केंद्रीय युवा मामले और खेल, श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया थे। अवसर पर उन्होंने युवाओं का उत्साही और प्रेरित बनते हुए देश के विकास के लिए प्राप्त ज्ञान को सकारात्मकता के साथ लगाने का आह्वान किया।

डॉ.मनसुख मंडाविया ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा ध्यान हमें स्थिरता देते हुए जीवन की दिशा दिखाता है। उन्होंने कहा सफल होने के लिए केवल दो चीजों की आवश्यकता होती है। जिसमें सफल व्यक्तियों से प्रेरणा लेते हुए अपनी ऊर्जा को अपने लक्ष्यों दिशा में लगाना तथा प्रतिबद्धता व समर्पण के साथ आगे बढ़ना शामिल है। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए सरकार और युवाओं दोनों की जिम्मेदारी है कि वे एक-दूसरे की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करें। उन्होंने कहा हमने पिछले सात महीनों में एक सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म माई भारत बनाया है। जिसने 33 लाख से अधिक भारतीय कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय पंजीकृत कंपनियों तक पहुँच बनाई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा इस वर्ष का बजट 100ज्ञ् प्रतिशत युवा केंद्रित बजट है। भारत सरकार पीएलआई के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बना रही है। देश के सभी युवाओं को उत्साही और प्रेरित बनना चाहिए। देश के विकास के लिए प्राप्त ज्ञान को सकारात्मकता के साथ लगाना चाहिए। वर्कहोलिज्म और समाज सेवा हमारी विचार प्रक्रिया होनी चाहिए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा देश के विकास के लिए अगले 25 वर्षों के विजन के लिए हम भारत को खेल के क्षेत्र में दुनिया में शीर्ष 5 में लाने का लक्ष्य बना रहे हैं। हमने स्कूलों के लिए कीर्ति परियोजना के तहत एक इकोसिस्टम बनाया है। ताकि स्कूलों में छात्रों को अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ खेल अपनाने के लिए सशक्त बनाया जा सके। डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा हम एक जिम्मेदार सरकार के रूप में देश के युवाओं के विचारों का स्वागत करते हैं। हमारा उद्देश्य समग्र रूप से देश और समाज की प्रगति करना है।

हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष दाजी ने अपने संबोधन में कहा जीवन में दयालुता के साथ आगे बहुत महत्वपूर्ण शब्द हैं। उन्होंने उदाहरण देेते हुए कहा अगर हमारी मां और परिवार ने हमें अपने प्यार और दयालुता से लाड़-प्यार न किया होता, तो हमारा जीवन कैसा होता! जीवन का अंतिम उद्देश्य खुश रहना है। खुशी और चेतना हमेशा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। खुश रहने के लिए व्यक्ति को शांति में रहना चाहिए और इसके लिए सामंजस्य की आवश्यकता होती है। जो केवल चिंतनशील बने रहने से ही इस लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। चिंतनशील मन और केंद्रित मन केवल ध्यान से ही आता है। ध्यान हमारे मन को मन से परे जाने में मदद करता है। शिखर सम्मेलन के विषय से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार रखते हुए दाजी ने कहा दया के बिना हम बिखर जाते हैं। दयालुता प्रेम के माध्यम से इस दुनिया को सकारात्मक रूप से बदला जा सकता है। सभी को दया, प्रेम, करुणा तथा शांति जीवन में धारण करके मानवता को सुदृढ़ बनाने में योगदान देना चाहिए।

कॉमनवेल्थ, तेलंगाना सरकार, यूएनसीसीडी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, ट्रॉपिकल एग्रो सहित विभिन्न संगठनों के सहयोग से कान्हा शांति वनम में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में दस हजार से युवा प्रतिभागिता कर रहे हैं। अवसर पर जानकारी देते हुए बताया गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को करुणा, सहानुभूति, प्रेम तथा शांति जैसे मानवीय गुणों के महत्व के प्रति जागरूक करना है। साथ ही सम्मेलन का उद्देश्य दाजी के दृष्टिकोण के तहत उद्देश्य छात्रों और युवाओं को आत्मनिरीक्षण करने और उनकी करुणा की गुणवत्ता को निखारने, एक-दूसरे के साथ सम्मान से पेश आने और बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित करने में सहयोग करना है। शिखर सम्मेलन `राइजिंग विद काइंडनेस’ में हार्टफुलनेस के नेतृत्व वाली कार्यशालाओं, पैनल चर्चाओं तथा प्रेरक व्याख्यानों के माध्यम से करुणा और शांति जैसे भावों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने दाजी की दिव्य उपस्थिति में कान्हा शांति वनम के परिसर में वृक्षारोपण भी किया। कार्यक्रम के दौरान कोरियाई भाषा में चार पुस्तकों सहज मार्ग, द हार्टफुलनेस वे, डिजाइनिंग डेस्टिनी और हार्टफुलनेस डायरी का विमोचन भी किया गया।

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