समय का सदुपयोग ही पर्व की आराधना : जयश्री

हैदराबाद, समय का सदुपयोग करना ही पर्युषण पर्व की सही अर्थों में आराधना मानी जा सकती है। पर्व का समय ही हमें जीवन में तप-आराधना, तपस्या व साधना का अवसर प्रदान करता है। जो अवसर का सदुपयोग कर लेता है, वही इस पर्व को सही अर्थों में मना सकता है।

उक्त उद्गार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद के तत्वावधान में काचीगुड़ा स्थित श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में चातुर्मासिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी जयश्री म.सा. आदि ठाणा-3 ने व्यक्त किये। संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोकचंद तातेड़ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, साध्वीश्री ने पर्युषण पर्व के प्रथम दिन सम्यक ज्ञान की परिभाषा बताते हुए कहा कि सम्यक ज्ञान धर्म की पहली सीढ़ी है। अनित्य संसार से मुक्त होने के लिए सम्यक ज्ञान एक औषधि रूप है। हमारी आत्मा भगवान बने, सिद्ध अवस्था को प्राप्त करे, कर्मों से मुक्त हो, इन सबके लिए सम्यक ज्ञान का होना बहुत आवश्यक है। सम्यक ज्ञान भीतर से जागृत होता है। सम्यक ज्ञान के द्वारा जीवन में तप और आराधना आती है। तीर्थंकरों की वाणी सुनने का सौभाग्य प्राप्त होना कोई साधारण बात नहीं है। परमात्मा की वाणी आत्मा को परमात्मा का स्वरूप देती है।

समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता

साध्वी राजश्री म.सा. ने कहा कि समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता है और गुजरा हुआ समय कभी नहीं लौटता है। जो समय का सदुपयोग कर लेता है, वह ज्ञानी और जो अनमोल समय की कीमत को नहीं समझता वह अज्ञानी है। जीवन के प्रत्येक क्षण को दुर्लभ समझते हुए धर्म में लगाकर सुप्रयास करने वाला ही जीवन को सफल बना सकता है। साध्वी समीक्षाजी म.सा ने अंतकृतदशांग सूत्र का वाचन करते हुए 90 आत्माओं के संयमी जीवन पर प्रकाश डाला।

धर्म सभा का संचालन करते हुए संघ के महामंत्री पवन कटारिया ने बताया कि आज की प्रभावना के लाभार्थी चंद्रकला स्वरूपचंद कोठारी परिवार हैं। तेले की कड़ी में आज मानी बाई मुणोत का तेला है। सपना गुगुलिया का आज तेला प्रारम्भ हुआ। आयंबिल की कड़ी में उज्ज्वला धारीवाल का है। 27 अगस्त तक रात्रिकालीन नवकार महामंत्र जाप रात 8 से 9 बजे तक संघ की ओर से रहेगा। कई श्रावक-श्राविकाओं ने आज अट्ठाई तप की आराधना का शुभारम्भ किया। धर्म सभा में उपस्थित विजयनगर श्री संघ के महावीर बंब मीठूलाल नाहर का संघ की ओर से बहुमान किया गया। विजयनगर संघ की अंजना पोकरणा ने भजन प्रस्तुत किया। मंजूदेवी बरमेचा ने सात उपवास के पच्चखान लिये। पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन प्रात 8.30 बजे से अंतकृतदशांग सूत्र वाचन रहेगा।

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पर्युषण पर्व में प्रवचन और विविध धार्मिक आयोजन

इसके पश्चात 9.15 से 10.45 बजे तक विशेष विषय पर प्रवचन रहेगा। प्रतिक्रमण सायं 6.45 बजे से रहेगा। 21 अगस्त को कृष्ण देवकी प्रसंग (पॉजिटिव थिंकिंग), 22 अगस्त को गजसुकुमाल की क्षमा (संस्कारों का शंखनाद), 23 अगस्त को जीव से शीव नशा जीवन की बिगाड़े दशा (जम्बुकुमार नाटिका प्रस्तुति), 24 अगस्त को महावीर जन्म कल्याणक, माँ की ममता का मंदिर है (पलने में झूले महावीर), 25 अगस्त को अर्जुन अणगार की संयम यात्रा (क्रोध का अंत तुरंत), 26 अगस्त को एवंता कुमार मोक्ष की नाव पर सवार (आई लव फैमली) और 27 अगस्त को कैसे मनाएँ संवत्सरी पर्व-पर्व का महत्व (आलोचना प्रवचन पश्चात) विषयों पर प्रवचन रहेगा।

28 अगस्त को संवत्सरी सामूहिक पारने के लाभार्थी कपूरचंद गौतमचंद पवन कुमार चानोदिया परिवार, दिलसुख नगर हैं। पर्युषण पर्व के तहत गुरुवार, 21 अगस्त को दोपहर 3 बजे से महावीर जीवन झाँकी (प्रश्न मंच), 22 अगस्त को दोपहर 3 बजे से प्रश्न मंच (गेम की तरह), 23 अगस्त को दोपहर 2.3 बजे से सिंग लगाओ स्टाइल मारो (गेम), 24 अगस्त को फैंसी ड्रेस का आयोजन रहेगा। इसमें केवल एक ही सदस्य हिस्सा ले सकते हैं। भाग लेने वाले को 1 से 2 मिनट की प्रस्तुति देनी होगी। 25 अगस्त को दोपहर 2 बजे से तपस्वियों की सामूहिक मेहंदी रहेगी। 26 अगस्त को दोपहर 2 से 3 बजे तक तपस्वियों की अनुमोदना के भावों के गीत रहेंगे। 27 अगस्त को पौषध संवर सामूहिक आराधना रहेगी।

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