यशोदा हॉस्पिटल्स ने मनाया वर्ल्ड स्ट्रोक डे

हैदराबाद, यशोदा हॉस्पिटल्स, सिकंदराबाद ने वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर ब्रेन स्ट्रोक रोगियों में नए उपचार और तकनीक के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन पुलिस महानिरीक्षक रमेश मस्तीपुरम, आईपीएस ने किया।

आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पुलिस महानिरीक्षक रमेश मस्तीपुरम ने कहा कि पक्षाघात (लकवा) एक गंभीर रोग है, जो स्वस्थ व्यक्ति को विकलांग बना सकता है। इससे व्यक्ति की मफत्यु भी हो जाती है। लकवा पुरुषों में अधिक होता है। यह बुरी आदतों और पुरानी बीमारियों के कारण होता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे की समस्या के कारण लकवा होने की संभावना अधिक होती है। अधिकांश लोगों को 50 वर्ष की आयु के बाद स्ट्रोक होने की संभावना रहती है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ नियमित रूप से चिकित्सा जाँच करवाना अच्छा है।

यशोदा अस्पताल समूह के निदेशक डॉ. पवन गोरुकंती ने कहा कि नई उपचार तकनीक मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से कई रोगियों को विकलांगता और मफत्यु से बचाया है। स्ट्रोक तब होता है, जब आपके मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को अस्थायी या स्थायी नुकसान होता है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया रक्त वाहिकाओं में थक्कों को साफ करने और मस्तिष्क में रक्त संचार को फिर से स्थापित करने में सहायता करती है। यशोदा अस्पताल यह उपचार प्रदान करने में अग्रणी है। यशोदा अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आर.एन. कोमल कुमार ने कहा कि उन रक्त वाहिकाओं को फिर से खोलने के लिए दो उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। सबसे पहले थ्रोम्बोलिसिस इंजेक्शन है, जिससे पक्षाघात की शुरुआत के 4-5 घंटे बाद तक दिया जा सकता है। दूसरा थ्रोम्बेक्टोमी से स्टेंट द्वारा रक्त वाहिका की रुकावट को हटाने की एक विधि है, जो पक्षाघात की शुरुआत के 24 घंटे बाद तक की जा सकती है।

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