आँवले के पेड़ की करें परिक्रमा

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तिथि मुहूर्त

विक्रम पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 अक्तूबर, गुरुवार की सुबह 10 बजकर 6 मिनट से शुरु हो रही है, जो 31 अक्तूबर, शुक्रवार की सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर 31 अक्तूबर, शुक्रवार को अक्षय नवमी मनाई जाएगी।

पूजा मुहूर्त

31 अक्तूबर, शुक्रवार की सुबह 6 बजकर 38 मिनट से सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। यह त्योहार देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले पड़ता है। माना जाता है कि अक्षय नवमी को सतयुग शुरु हुआ था। मान्यता है कि इस दिन किए पुण्य कार्य का फल अक्षय होता है।

अक्षय नवमी का संबंध आंवले से भी है। इस दिन आंवले का सेवन करना और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी को मथुरा और वृंदावन में परिक्रमा लगाई जाती है।

पूजा विधि

आंवले को भगवान विष्णु का प्रिय फल माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर या मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पीले पुष्प, तुलसी दल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।

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ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष की पूजा करें। परिक्रमा करते समय कच्चा सूत वृक्ष के तने पर लपेटें और अंत में जल, हल्दी, रोली, फूल एवं फल अर्पित करके दीपक प्रज्वलित करके पूजा करें। गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें।

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