
हैदराबाद, भारत के निर्माण, संस्कृति के उत्थान के भारत के नवोन्मेष के भाव को हृदय में गहरा बैठाने का सभी संकल्प लें। जो जहां बैठा है वहां वह परमात्मा का प्रतिनिधि बने। हम धर्म का उत्तराधिकारी बने तो धरती अपने आप स्वर्ग बन जाएगी। राष्ट्र के निर्माण में अपनी आहूति देने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
उक्त उद्गार रहीमपुरा स्थित प्ले ग्राउंड में अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं गायत्री परिवार हैदराबाद के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के तहत प्रवचन सभा में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मया पंड्या ने दिये। डॉ.पांडयाजी ने कहा कि मां गायत्री का मंत्र स्तुति की आधारशिला के रूप में विख्यात है।
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि सारे वेदों का सार आकर गायत्री मंत्र में निहित हुआ है। इसका कारण है गायत्री का मंत्र स्मरण करवाता है कि मनुष्य का यह जीवन सौभाग्य के रूप में, एक संभावना के रूप में मिला है। एक ऐसी संभावना के रूप में जहां व्यक्ति का चितन दूषित हो जाए, विचार अपवित्र हो जाए, दृष्टिकोण विकृत हो जाए तो उसी मनुष्य को प्रेत पिशाच, पशु के रूप में देखते हैं। व्यक्ति इतना गिरता है कि उसका शरीर अंदर से पशु तुल्य हो जाता है।
अंतर का दीप जलाएँ – मानवता के जागरण की ओर एक कदम
इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में एक संभावना यह भी है कि जहां चिंतन प्रकाशित हो, उत्कृष्ट हो तो वही संत महात्मा के रूप में जाना जाता है। एक तरफ गिरा तो पशु बनता है दूसरी तरफ उठा तो महात्मा बनता है। डॉ. पांड्या ने कहा कि एक तरफ जीवन में अंगुलिमाल बनने की घटना है तो दूसरी ओर गौतम बुद्ध बनने का चमत्कार घटित होता है।
हमारे जीवन में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण करके उसको साकार करने आत्मसात करने उसको भलीभूत करने का मंत्र गायत्री का मंत्र है। जीवन न जाने कितने बंधनों से बंधा हुआ है। डॉ.पांडेय ने आगे कहा कि अखंड दीपक जो वर्ष 1926 में प्रज्वलित किया गया था उसके जनवरी 2026 में 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। माताजी के धरती के अवतरण का सौ वर्ष एवं पूज्य गुरुदेव की तप साधना के 100 वर्ष भव्यता से मनाने जा रहे हैं।
यह मात्र गायत्री परिवार नहीं बल्कि मानवता के सौभाग्य की एक सूचना को लेकर आया है। गायत्री परिवार ईश्वर की योजना का अंश है। उस संदेश को मना रहे है, जिसमें माताजी अपना जीवन जी कर गई। वह संदेश है राष्ट्र के जागरण का। राष्ट्र को जगाने के लिए दीपक को जलाने की आवश्यकता है। बाहर के दीपक को नहीं बल्कि भीतर के दीपक को जलाना है।
आज का दिन सौभाग्य को लेकर पुकार उत्सव व उत्तरदायित्व को लेकर आया है। गुरुदेव ने हमें वसीयत दी है उसमें सहयोग देने की आवश्यकता है। जिस प्रकार एक बच्चा जीवन भर अपने बड़ों से लेता रहता है, लेकिन यह एक ऐसा अवसर है जब बच्चे बड़ों को कुछ दे सकें। हमारे जीवन में अवसर आया है कि हम अपने गुरु को, माता को अपने भाव अर्पित कर सकते हैं। जिस दिन भारत जागेगा, उसी दिन विश्व जागेगा।
जीवन ही सबसे बड़ा यज्ञ : जीयर स्वामी
मुख्य अतिथि पूज्य त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामीजी ने जीवन में यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वायु, अग्नि वरुण चारों ओर हैं। उनका ख्याल करना है। उनके प्रति श्रद्धा दिखानी है। रक्षा करनी है। वैज्ञानिक व सरकार भी वृक्ष की रक्षा कर रहे हैं। वृक्ष की रक्षा, वायु के प्रदूषण, धरती के प्रदूषण का नारा नया नहीं है। यह हमको वेद कह रहा है, भगवत गीता कह रही है कि उनके प्रति श्रद्धा रखो। वायु प्रदूषण न करो। जल का, भूमि का अपमान न करो।
इनकी रक्षा करोगे तो आपकी रक्षा कर जीवन के मोल को बढ़ा देंगे। पूज्यश्री ने कहा कि जीवन ही एक यज्ञ होता है। आपके एक एक क्षण में होने वाले कर्म यज्ञ में आहुति नहीं देंगे तो यह जीवन व्यर्थ है। इसके द्वारा आराधना करें कि जीवन का फल पा सकेंगे, जीवन की सिद्धि को पा सकेंगे। महाराज की वाणी का तात्पर्य है आप जो भी कार्य करेंगे राष्ट्र के निर्माण के लिए, धर्म की रक्षा व जनता के लक्ष्य के लिए करेंगे तो फिर जीवन में कोई गलत कार्य नहीं होगा।
राष्ट्र जागरण महायज्ञ में भक्ति, उत्साह और जागृति का संगम
यज्ञ में बुरी बातों को नहीं सोचेंगे, उनसे दूर रहेंगे। जीवन में हर क्षण हर एक कार्य यज्ञ के रूप में करें तो बुराई हमसे दूर निकल जाएगी। आज राष्ट्र जागरण 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिवस देवपूजन बडे ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। शांति कुंज से पधारे पूजा पुत्रों द्वारा सर्वतो भद्र एवं तत्ववेदी पर वेद मंत्रों द्वारा देव पूजन संपन्न हुआ। शांति कुंज के युवा निधि दिनेश पटेल ने गायत्री और यज्ञ की महिमा का वर्णन किया। शाम को विराट दीप यज्ञ का भव्य आयोजन देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मया पंड्या के सानिध्य में संपन्न हुआ।
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आज के मुख्य अतिथि त्रिदंडी श्री चिन्ना जीयर स्वामीजी का भव्य स्वागत किया गया। रविवार, 2 नवंबर को सामूहिक जप प्रज्ञा योग सुबह 5.30 से 6.30 बजे तक, 108 गायत्री महायज्ञ पूर्णाहुति एवं विभिन्न संस्कार सुबह 7.30 बजे से, टोली बिदाई कार्यक्रम दोपहर 3 बजे आयोजित होगा। भक्तों से कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया गया। अवसर पर मुख्य संजोयक गोकुल चन्द उपाध्याय, गायत्री परिवार के वरिष्ठ प्रचारक हीर सिंह राजपुरोहित, वाणी बहन जी गायत्री ज्ञान मंदिर बोइनपल्ली, गायत्री प्रज्ञा मंडल के बलदेव सिंह, रतन ओझा व अन्य गणमान्यों ने स्वामी जी का सत्कार एवं सम्मान किया।
