आजकल सोशल मीडिया पर साइबर तस्करी, साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी, डीपफेक आदि में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के मामलों में 1.90 लाख रुपये का उस वक्त नुकसान हुआ, जब उसने अपने व्हाट्सएप में आये शादी के एक निमंत्रण पत्र को खोला, जिसमें एक नकली ऐप छिपा हुआ था और उसमें स्पाइवेयर इंस्टॉल था, जिससे साइबर अपराधी द्वारा उसके वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) नेट बैंकिंग लॉग इन को आसानी से पढ़ा जा सकता था। इस तरह की धोखाधड़ी अब आम हो गई है।
हाल के दिनों में लोगों को व्हाट्सएप पर नकली ई-चालान मिलना, नकली बिजली, पानी, गैस, केबल के बिल मिलने जैसी चीजें आम हो गई हैं, जिनमें व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा जाता है और उसमें यह वॉर्निंग की जाती है कि यदि समय पर बिल का भुगतान नहीं किया गया, तो उनका कनेक्शन काट दिया जायेगा। हड़बड़ी में लोग अकसर व्हाट्सऐप में आये उस बिल पर क्लिक कर देते हैं और कुछ समय बाद उन्हें पता चलता है कि उनके खाते से काफी पैसे निकाल लिये जाते हैं।
साइबर क्राइम से बढ़ता खतरा: ठगी और धोखाधड़ी के नए तरीके
यहां तक कि फेसबुक पर भी बहुत रोचक कहानियां बनाकर उन्हें डाल दिया जाता है और जब लोग उन्हें पढ़कर आगे की कहानी जानने के लिए दिये गये लिंक पर क्लिक करते हैं, तो उस लिंक पर कई बार एडल्ट साइट्स से उनका सामना होता है या गलत लिंक पर क्लिक करने के कारण वे साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं यानी साइबर क्राइम अब एक ऐसे हाइड्रा के रूप में सामने आ रहा है, जो हमारे पैसे और मन की शांति दोनों को खत्म कर रहा है।
साइबर अपराध पर 254वीं संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि साइबर ठगी के जरिये 31,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इस साल साइबर अपराधी एक साथ कई मोर्चों पर सक्रिय हैं। संसदीय रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है कि साइबर अपराधी एक साथ सबकुछ आजमा रहे हैं। लोग यह समझते हैं कि यह अत्याधिक कुशल हेकर्स का काम है, लेकिन इससे आम लोगों को यह समझना होगा कि उनको नेविगेट करने की क्षमता हम सबमें होनी जरूरी है।
साल 2025 जुलाई माह में गुरुग्राम पुलिस द्वारा एक ऐसे कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया, जहां जालसाज वीओआईपी लाइनों और पुलिस स्टेशन की पृष्ठभूमि का एआई द्वारा उपयोग करके वीडियो कॉल पर कानून अधिकारी के रूप में पेश आते थे, जो लोगों को उनके नाम पर एक पैकेट में अवैध वस्तुएं होने का हवाला देकर उन्हें गिरफ्तार कर लेने के लिए डराते थे और उन्हें यह धमकी देते थे कि यदि वह तुरंत अपनी जमानत या वैरीफिकेशन के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान नहीं करते, तो उन्हें कानूनी कार्यवाई का सामना करना पड़ सकता है।
साइबर ठगी से बचाव: जीरो ट्रस्ट नीति अपनाएं, सुरक्षा सुनिश्चित करें
पुलिस द्वारा छापे में पीन पिप्ट और जाली आईडी मिली, इसके बाद कई गिरफ्तारियां हुईं, जिनका लिंक दक्षिण-पूर्व एशियाई नेटवर्क से था, जो सीधे भारतीयों को अपना निशाना बना रहे थे। लेकिन यहां सवाल यह पैदा होता है कि जो लोग इनके नेटवर्क में फंसकर लाखों रुपया गंवा बैठते हैं, उनका क्या? वे जागरूकता का अभाव होने के कारण वे सहजता से इसका शिकार हो जाते हैं। बहरहाल इन जटिल साइबर अपराधों के खिलाफ सुरक्षा के समाधान या तरीके इतने कठिन नहीं है, जितने हम समझते हैं।
हमें हर चीज पर सवाल उठाना सीखना होगा और जीरो ट्रस्ट नीति अपनानी होगी। एक बार जब हम हर मामले में जीरो ट्रस्ट नीति अपनाने लगते हैं तो साइबर सुरक्षा आसान हो जाती है। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचे, विचार करें। वेडिंग इंविटेशन या ई-चालान की पीडीएफ/जेपीईजी फाइल होनी चाहिए, न कि एपीकेएस। एपीकेएस पर क्लिक करने का ही मतलब है आप हैकर को क्लिक कर रहे हैं। यदि आपको कोई मैसेज आता है तो आप उसकी ऑफिशियल ऐप या साइट पर खोलकर देखें, भेजे गये लिंक पर तुरंत क्लिक न करें।
किसी को भी अपना ओटीपी या यूपीआई पिन या पीन शेयर न करें। क्योंकि कानून आपको इन्हें साझा करने के लिए नहीं कह सकता। भेजने वाले की ईमेल आईडी ऑड यूआरएलएस, नये हैंडल्स, मिस मैच्ड लोगो, भ्रम पैदा करने वाली ईमेल आईडी इन पर क्लिक न करें। अगर आपके खाते से पैसों की ठगी हो जाती है तो 1930 नंबर पर तुरंत कॉल करें या अपनी कंप्लेंट साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर दर्ज कराएं और अपने बैंक को तुरंत फोन करके इसके बारे में सूचित करें। कुल मिलाकर ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए किसी पर भी विश्वास न करें। सिवाय उनके जो आपके अपने हैं।
-संध्या सिंह
