नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कोष की सोमवार को शुरुआत करते हुए घोषणा की कि उनकी सरकार अब उच्च जोखिम एवं उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं का समर्थन कर रही है, क्योंकि भारत का लक्ष्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में उभरना है।
नीति निर्माताओं, नवप्रवर्तकों और वैश्विक दूरदृष्टि वाले लोगों के वार्षिक प्रमुख आयोजन के तहत पहले उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने देश में नवाचार के आधुनिक परिवेशी तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुधार पेश किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व वैश्विक व्यवस्था में एक नये बदलाव का गवाह बन रहा है और परिवर्तन की गति बहुत तीव्र है। मोदी ने वार्षिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन के आयोजन के कारणों को बताते हुए कहा कि 21 वीं सदी के इस समय में, दुनिया 21वीं सदी के इस समय में, दुनिया भर के विशेषज्ञों को उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आने की बहुत आवश्यकता है और उन्हें एक साथ मिलकर दिशा दिखानी चाहिए।
भारतीय शोध को वैश्विक स्तर पर ले जाने की बड़ी सरकारी पहल
भर के विशेषज्ञों को उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आने की बहुत आवश्यकता है और उन्हें एक साथ मिलकर दिशा दिखानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान, विकास और नवाचार कोष की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण निवेश का उद्देश्य जनता को लाभ पहुंचाना और अवसरों के नये रास्ते खोलना है। हमारा लक्ष्य निजी क्षेत्र में भी अनुसंधान और विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.8 प्रतिशत अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करता है, जो वैश्विक औसत से कम है। इस हिस्से में, निजी क्षेत्र का निवेश 36 प्रतिशत है, जो चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों से कम है। इन देशों में, अनुसंधान एवं विकास पर होने वाले सकल व्यय में निजी क्षेत्र का योगदान 75 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पहली बार, पूँजी का आवंटन विशेष रूप से उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है, जिससे अभूतपूर्व प्रयासों के लिए समर्थन सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि सरकार शोध कार्य में सुगमता पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि भारत में नवाचार का एक आधुनिक परिवेशी तंत्र विकसित हो सके।
इस दृष्टि को प्राप्त करने के लिए हमारी सरकार ने वित्तीय विनियमों और खरीद नीतियों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। इसके अतिरिक्त, हमने प्रोटोटाइप को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुँचाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए प्रोत्साहनों और आपूर्ति श्रृंखला ढाँचे को सुव्यवस्थित किया है। कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, नोबेल पुरस्कार विजेता सर आंद्रे गीम और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मोदी ने वैज्ञानिकों से खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर पोषण सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और यह सवाल उठाया कि क्या भारत वैश्विक कुपोषण से निपटने में मदद के लिए अगली पीढ़ी की बायोफोर्टिफाइड फसलें विकसित कर सकता है। उन्होंने कहा कि क्या कम ई लागत वाले मिट्टी स्वास्थ्य संवर्धक और जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक के विकल्प बन सकते हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं…? क्या स्वच्छ ऊर्जा भंडारण, जैसे बैटरियों, में नई और किफायती नवाचार विकसित किए जा सकते हैं?
नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था के लिए फंड, भारत को ‘महाशक्ति’ बनाने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने के महत्व पर बल दिया जहाँ भारत विश्व पर निर्भर है तथा उन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में, भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय दोगुना हो गया है, जो नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पंजीकृत पेटेंट की संख्या में 17 गुना की प्रभावशाली वृद्धि हुई है। स्टार्टअप क्षेत्र में, भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े परिवेशी तंत्र के रूप में उभरा है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और र नवाचार को बढ़ावा देने और विकास एवं उन्नति के नये अवसर पैदा करने के लिए अनुसंधान रिसर्च फाउंडेशन की ह स्थापना की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब नवाचार समावेशी होता है, तो उसके नेतृत्वकर्ता सबसे बड़े लाभार्थी बनकर उभरते हैं और में भारतीय महिलाएँ इसका एक प्रमुख उदाहरण हैं।(भाषा)
