राष्ट्रपति पुतिन का दिल्ली एयरपोर्ट पर पीएम ने किया स्वागत

नई दिल्ली , रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम को दो दिन के दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। इस यात्रा का उद्देश्य लगभग आठ दशक पुरानी भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत करना है, एक ऐसी साझेदारी जो जटिल भू-राजनीतिक माहौल के बावजूद स्थिर बनी हुई है। हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति का स्वागत किया। इस दौरान दोनों के मुलाकात की जो तस्वीर आई, उसने पूरी दुनिया को भारत-रूस संबंधों को लेकर खास संदेश दिया। यह तस्वीर खास तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो इन दोनों देशों की दोस्ती को तोड़ने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर भारी टैरिफ लगाया हुआ है।

पुतिन के सम्मान में मोदी का डिनर

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को होने वाली 23वीं भारत-रूस शिखर वार्ता को लेकर बेहतर माहौल बनाने के उद्देश्य से आज शाम पुतिन के लिए एक निजी रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। दोनों नेताओं के बीच बैठक से पहले शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में पुतिन का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। बैठक हैदराबाद हाउस में होगी, जहां मोदी राष्ट्रपति पुतिन और उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए भोज का आयोजन करेंगे और इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा भी होगी। मामले से परिचित लोगों के अनुसार, पुतिन सुबह राजघाट भी जाएंगे। बैठक के बाद पुतिन रूसी सरकारी प्रसारक का नया ‘इंडिया चैनल’ भी शुरू करेंगे, जिसके बाद वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके सम्मान में दिए जाने वाले राजकीय भोज में शामिल होंगे।

पुतिन का भारत दौरा अहम क्यों

दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता का मुख्य विषय रक्षा संबंधों को मजबूत करना, भारत-रूस व्यापार को बाहरी दबाव से सुरक्षित रखना और छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों में सहयोग की संभावनाओं की तलाश जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगा। इस बैठक पर पश्चिमी देशों द्वारा करीबी नजर रखे जाने की संभावना है। रूसी नेता का नई दिल्ली का लगभग 27 घंटे का दौरा इसलिए और भी अहम हो गया है क्योंकि यह भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आ रही गिरावट की पृष्ठभूमि में हो रहा है। बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच व्यापार के क्षेत्रों सहित कई समझौते होने की उम्मीद है।

रूस से कौन से हथियार खरीद सकता है भारत

रूस के सुखोई-400 की नई खेप को लेकर दोनों नेताओं के बीच वार्ता हो सकती है। बता दें, एस400 को लेकर भारत और रूस के बीच 2018 में 5 अरब डॉलर की डील हुई थी। इसके तहत एस-400 के 5 यूनिट भारत को मिलने वाले थे, जिनमें से 3 डिलीवर हो चुके हैं। ऐसे में नई खेप को लेकर भी चर्चा हो सकती है। इसके अलावा भारत नई तकनीकों से लैस एस-500 खरीदने पर विचार कर रहा है। ऐसे में एस-500 को लेकर दोनों नेताओं की बातचीत संभव है। सुखोई-57 की अगर बात करें, तो रूस पहले से ही इसकी 70 फीसदी तकनीक भारत को देने को तैयार है। ऐसे में संभव है कि इस पर भी चर्चा हो। अगर बात बन जाती है, तो आने वाले समय में भारत एस-57 अपने ही देश में बना सकेगा। वहीं एस-30 के आधुनिकीकरण पर भी बात हो सकती है।

भारत-रूस व्यापार के लिए नए लक्ष्य

रूस भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के इरादे से आगे बढ़ रहा है। इसकी एक वजह अमेरिका भी है। रूस भारत के साथ व्यापार 5 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। वहीं डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत और रूस अपनी करेंसी में व्यापार करने के बारे में भी सोच रहे हैं। भारतीय वस्तुओं का रूस में निर्यात बढ़ाने और भारत से फूड, समुद्री उत्पाद, दवा और डिजिटल सेवाओं आदि पर भी फोकस रहेगा। इसके अलावा मोबिलिटी समझौते के साथ-साथ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और शिक्षा से जुड़े क्षेत्रों पर नए समझौते या फिर पुराने को अपडेट करना शामिल हो सकता है।

भारत-रूस संबंधों से चिढ़े हुए हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से ही रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत पर हमलावर हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल की शुरूआत से ही भारत के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं। पहले उन्होंने भारत के साथ कथित व्यापार घाटे और टैक्स का हवाला देकर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया। इसके बाद रूस तेल खरीद के कारण भारत पर टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। वह लगातार भारत पर अमेरिकी हथियारों को खरीदने का दबाव डाल रहे हैं। इतना ही नहीं, वह भारत को रूस से अलग करने के लिए हर तरह के हथकंडे भी अपना रहे हैं, जिनमें यूरोपीय देशों को नई दिल्ली के खिलाफ भड़काना और पाकिस्तान का खुला समर्थन करना शामिल है।(भाषा)

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