धर्म बिना मुक्ति संभव नहीं : भक्तिरत्नजी

हैदराबाद, जीव अकेला आया है अकेला जायेगा। पुण्य-पाप साथ में लेकर आया है, पुण्य-पाप साथ में लेकर जायेगा। जिसने आत्मा की साधना की, सब कुछ किया, मगर आत्मा को केन्द्र में नहीं रखा तो मनुष्य जन्म हार जायेगा। ऐसा जन्म बार-बार नहीं मिलने वाला है। यह उद्गार काचीगुड़ा स्थित श्री अचलगच्छ जैन संघ संचालित श्री जिनेश्वरधाम मंदिर उपाश्रय में विराजित भक्तिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किये। आचार्य भगवंत ने आगे कहा कि जैसे मत्स्य पानी बिना जिंदा न रहे, वैसे हमें धर्म के बिना मुक्ति प्राप्त नहीं होगी।

आज यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में श्री अचलगच्छ जैन संघ हैदराबाद सिटी के प्रचार संयोजक रिद्धीश जागीरदार ने बताया कि आचार्य भगवंत भक्तिरत्न सूरीश्वजी, भाग्यचंद्रविजयजी, श्री भक्तिदर्शन विजयजी आदि ठाणा 3 का पदार्पण हुआ। गुरुदेव ने श्री जिनेश्वरधाम जिनालय के मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान जाप एवं आराधना अवश्य करने का आह्वान किया।

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अवसर पर उपस्थित भक्तों को पूज्य आचार्य भगवंत ने कहा कि श्री शांतिनाथ स्वामी के मंत्र जाप ॐ नमः शांतिकरम शांतिजिनम ह्रीं श्रीं कुरू कुरू स्वाहा, ॐ ह्रीं श्रीं शांतिनाथ बुधाय नमः, ॐ ह्रीं अर्हम श्री शांतिनाथाय नमः, में से किसी भी एक का प्रतिदिन जाप करने से जीवन के अनिष्टों और अमंगलों से मुक्ति मिलती है। भगवान श्री शांतिनाथ स्वामी 16वें तीर्थंकर (परमात्मा) हैं। वे सत्ता, समृद्धि, शांति, सुकुन, स्नेह, संप, स‌द्भाव दाता हैं। अवसर पर काचीगुड़ा जैन संघ के प्रचार प्रसार संयोजक रिद्धीश जागीरदार, चारकमान जैन संघ के सदस्य अमित वेदमुथा, पीयूष, सचिन जैन, काजल जैन, रीटा जैन, पहेल, नमया, राखी, सोनिका, तोरल जागीरदार की उपस्थिति रही।

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