व्यापार वार्ताओं पर सहयोग की बात – मोदी-ट्रंप फोन वार्ता
नई दिल्ली, भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में किसी बड़ी अड़चन को दूर करने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बातचीत की है? अचानक से अभी फोन पर बातचीत के मायने क्या हैं? दरअसल, भारत-अमेरिका में जारी व्यापार वार्ता के बीच गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की फोन पर बातचीत हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत को लेकर जानकारी दी और कहा कि बहुत गर्मजोशी भरी और सार्थक बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की और व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा तथा अहम प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बहुत गर्मजोशी भरी और सार्थक बातचीत हुई। हमने हमारे द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।’
यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब नई दिल्ली में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर दो दिवसीय वार्ता शुरू हुई है। अमेरिकी उप-व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल भारत के वरिष्ठ व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल तथा संयुक्त सचिव दर्पण जैन के साथ बैठकों में जुटा है। दोनों पक्ष इस साल के अंत तक पहले चरण के व्यापार ढांचा समझौते को अंतिम रूप देने के लिए उत्सुक हैं।
व्यापार वार्ताओं में क्या चुनौतियां?
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं लंबे समय से कृषि उत्पादों, मांस-डेयरी आयात तथा बाजार पहुंच के मुद्दों पर अटकी हुई हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत मकई, सोयाबीन जैसे फसलों तथा अमेरिकी मांस-डेयरी उत्पादों के आयात को खोल दे, ताकि चीन पर निर्भरता कम हो। लेकिन भारत अपने छोटे किसानों की रक्षा के लिए इन पर अड़ गया है, जिससे अगस्त में वार्ताएं टूट गई थीं।
वाशिंगटन में बुधवार को सीनेट संसदीय समिति के समक्ष गवाही देते हुए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि भारत के साथ सौदा करना आसान नहीं है, लेकिन साथ ही भारत सरकार की ताज़ा बाजार पहुंच प्रस्ताव को अब तक का सबसे बेहतरीन करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘भारत में कुछ फसलें, मांस और अन्य उत्पादों को लेकर प्रतिरोध है। वे बहुत कठिन हैं, मैं 100 प्रतिशत सहमत हूं। लेकिन वे काफी आगे बढ़ रहे हैं। उनके द्वारा दिए गए प्रस्ताव अब तक के सबसे अच्छे हैं।’
ग्रीर ने यह भी कहा कि वर्तमान में नई दिल्ली में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल शेष विवाद के मुद्दों, खासकर कृषि उत्पादों, मांस और डेयरी पर भारत के प्रतिरोध को सुलझाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने भारत को व्यापार चैनलों को विविध करने के लिए एक व्यवहार्य वैकल्पिक बाजार के रूप में देखा।
चावल पर ट्रंप की चेतावनी
इस हफ्ते की शुरुआत में ही ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक किसान प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक में भारत, चीन और थाईलैंड पर चावल की ‘डंपिंग’ का आरोप लगाते हुए नए टैरिफ की धमकी दी थी। लुइसियाना के एक किसान प्रतिनिधि ने शिकायत की कि इन देशों के सस्ते चावल से अमेरिकी किसान प्रभावित हो रहे हैं। ट्रंप ने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा, ‘भारत को ऐसा करने की अनुमति क्यों है? उन्हें टैरिफ देना चाहिए। क्या चावल पर छूट है?’
बातचीत में रणनीतिक साझेदारी पर फोकस
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की स्थिति पर चर्चा की। दोनों ने सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की मजबूती पर संतोष जताया। उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक विकासों पर विचार साझा किए तथा सामान्य चुनौतियों का सामना करने और पारस्परिक हितों की सेवा के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
विशेष रूप से, उन्होंने 21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका COMPACT के कार्यान्वयन के केंद्र में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां, ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने उच्च-स्तरीय संपर्क बनाए रखने और साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।
यह बातचीत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा के एक सप्ताह बाद हुई, जिसमें आर्थिक सहयोग पर समझौते हुए थे। विश्लेषकों का मानना है कि यह कॉल व्यापार तनावों के बीच संबंधों को रीसेट करने का प्रयास है।
जल्द समझौता संभव
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रंप प्रशासन के भारत के प्रस्ताव पर सकारात्मक टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि अगर वाशिंगटन संतुष्ट है तो मुक्त व्यापार समझौते यानी एफटीए पर जल्द हस्ताक्षर होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका को अब देरी नहीं करनी चाहिए। हमारा प्रस्ताव मजबूत है और द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।’
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कॉल व्यापार युद्ध के बीच सकारात्मक संकेत है। भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 190 अरब डॉलर से अधिक पहुंच चुका है, लेकिन टैरिफ और बाजार पहुंच के मुद्दे इसे प्रभावित कर रहे हैं। आने वाले दिनों में वार्ताओं पर नजरें टिकी हैं, जहां दोनों पक्ष पहले चरण के समझौते को अंतिम रूप दे सकते हैं। यह न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा। (भाषा)
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