कैंसर के विकास को रोकने में प्रतिरक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका : प्रो. रघु कल्लूरी
हैदराबाद, हैदराबाद विश्वविद्यालय में कैंसर की रोकथाम और स्वस्थ वृद्धावस्था पर आधारित व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के कैंसर बायोलॉजी विभाग अध्यक्ष प्रो. रघु कल्लूरी ने हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस पहल के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैंसर से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
प्रो. रघु कल्लूरी ने स्वस्थ जीवन और उम्र बढ़ने की अवधारणा को कैंसर जैसी घातक बीमारी को रोकने की रणनीतियों के साथ जोड़ना शीर्षक पर व्याख्यान देते हुए कैंसर, प्रतिरक्षा और उम्र बढ़ने की व्यापक समझ प्रदान करने के लिए चिकित्सक-वैज्ञानिक के रूप में 37 वर्षों के अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कोशिकाएँ लगातार क्षति के संपर्क में रहती हैं, जिसे कोशिका क्षति कहा जाता है। मानव शरीर इस क्षति की मरम्मत के लिए निरंतर कार्य करता रहता है। हालाँकि जो उत्परिवर्तन मरम्मत से बच जाते हैं, वह धीरे-धीरे जमा होकर कैंसर का कारण बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक स्वस्थ या सामान्य दिखने वाली कोशिका को कैंसर में बदलने में 15 से 20 साल लगते हैं। अक्सर इसके शुरुआती नैदानिकलक्षण दिखाई नहीं देते।
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एंटी एजिंग रणनीतियों को कैंसर निवारक रणनीतियों के रूप में माना जाए
प्रो. कल्लूरी ने कहा कि कैंसर मूल रूप से एक आनुवंशिक रोग है। लेकिन शरीर अक्सर इसे नियंत्रित करने में सक्षम होता है। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के शोध का हवाला देते हुए उन्होंने उत्परिवर्तनों को प्रबंधित करने और उन्हें नैदानिक बीमारी में तब्दील होने से रोकने की शरीर की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखना कैंसर की रोकथाम के लिए केंद्रीय महत्व रखता है, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली लगातार असामान्य कोशिकीय व्यवहार की निगरानी कर उसे दबाती है। उन्होंने स्तन और थायरॉइड कैंसर जैसे उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे घाव कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के छिपे रह सकते हैं। साथ ही विभिन्न अंगों में पाई जाने वाली एक सामान्य कोशिकीय असामान्यता, एन्यूप्लोइडी पर भी चर्चा की, जो हमेशा कैंसर का कारण नहीं बनती।
प्रो. कल्लूरी ने कहा कि एंटी एजिंग रणनीतियों को कैंसर निवारक रणनीतियों के रूप में माना जाना चाहिए, ताकि बीमारी के उपचार से ध्यान हटाकर दीर्घकालिक कोशिकीय और प्रतिरक्षा स्वास्थ्य पर केंद्रित किया जा सके। उन्होंने बढ़ती उम्र और कैंसर के बीच संबंध पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मरम्मत तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता में गिरावट कैंसर के जोखिम को बढ़ाती है। हालाँकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वस्थ बुढ़ापा और बुढ़ापा रोधी तंत्रजैसे डीएनए मरम्मत, नियंत्रित सूजन और चयापचय संतुलनकैंसर को नियंत्रित कर सकते हैं,यहाँ तकरोकभी सकते हैं।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.जे. राव ने अध्यक्षीय भाषण में इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की भूमिका पर प्रकाश डाला। अवसर पर स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के डीन प्रो. आनंद के. कोंडापी, संकाय सदस्य, शोधकर्ता, छात्र, कर्मचारी तथा अन्य उपस्थित थे।
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