नराकास (कें.स.का.-1), हैदराबाद की 17वीं अर्धवार्षिक बैठक आयोजित


हैदराबाद, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (केंद्र सरकारी कार्यालय-1), हैदराबाद की 17वीं अर्धवार्षिक बैठक राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के सभागार में आयोजित की गई। जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, संस्थान के निदेशक एवं समिति के अध्यक्ष डॉ. यूनिस इफ्तिखार मुंशी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में गृह मंत्रालय, भारत सरकार, राजभाषा विभाग, दक्षिण क्षेत्रीय कार्यालय, बेंगलुरू के उप निदेशक (कार्यान्वयन) अनिर्बन कुमार विश्वास उपस्थित थे।
विशेष अतिथि के रूप में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान, हैदराबाद के उप महानिदेशक डॉ. एल.पी. सिंह ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन समिति के सदस्य सचिव डॉ. मु. काशिफ हुसैन ने किया। समिति के सदस्य सचिव डॉ. मु. काशिफ हुसैन ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने समिति द्वारा राजभाषा हिन्दी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समिति द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
राजभाषा हिन्दी कार्यान्वयन और खनिज संस्थान योगदान
डॉ. यूनिस इफ्तिखार मुंशी ने हिन्दी को सामान्य रूप से अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाने वाली और भावनाओं के सरल रूप से उजागर करने वाली भाषा बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में राजभाषा हिन्दी को दिये गये स्थान के अनुसार उसे उसका समुचित दर्जा देने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों के प्रमुखों को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।
डॉ. यूनिस इफ्तिखार मुंशी ने राजभाषा हिन्दी के समुचित कार्यान्वयन के लिए नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन करने के पीछे निहित भावना को समझकर उसे साकार करने के लिए अपनी ओर से हर संभव योगदान देने की अधिकारियों तथा कर्मचारियों से अपील की। डॉ. एल.पी. सिंह ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान की भूमिका की संक्षेप में जानकारी देते हुए राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. एल.पी. सिंह ने बताया कि संस्थान देश में खनिज संपदा की पहचान और खोज करने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि देश की खनिज संपदा के विकास और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माने जा रहे दुर्लभ खनिजों (क्रिटिकल मिनिरल) की खोज और विकास कार्यों में संस्थान का 90 प्रतिशत योगदान है। यह यह संस्थान क्लीन एनर्जी के लिए आवश्यक बैटरियों के उत्पादन में उपयोग में लाये जा रहे लिथियम के साथ अन्य खनिजों का पता लगाने के लिए नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन के कार्यों में अहम भूमिका निभा रहा है।
यह भी पढ़ें… केबीआर पार्क एचसिटी परियोजना के भूमि अधिग्रहण का निरीक्षण

राजभाषा हिन्दी कार्यान्वयन और कार्यालय समीक्षा
डॉ. सिंह ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी के अमूल्य योगदान को ध्यान में रखकर संविधान तैयार करने के लिए गठित संविधान समिति ने 14 सितंबर, 1949 को राजभाषा के रूप में हिन्दी को स्वीकार किया। समिति में अधिकांश सदस्य हिन्दीतर क्षेत्र से संबंधित थे। हम सभी को उनकी सोच का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार के कर्मचारी के नाते हिन्दी का समुचित प्रचार-प्रसार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान आधुनिक युग में खास तौर पर पिछले पाँच वर्षों में राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वनय में काफी अधिक प्रगति हुई है।
इससे हिन्दी में कार्यालयीन कामकाज काफी आसान हो गया है, जिसका सभी को लाभ उठाना चाहिए। डॉ. मु. काशिफ हुसैन ने समिति के सदस्य कार्यालयों से राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन संबंधी प्राप्त तिमाही प्रगामी प्रगति रिपोर्टों के आँकड़े समीक्षा के लिए प्रस्तुत किये, जिसका मुख्य अतिथि ने अवलोकन कर सभी कार्यालयों को आवश्यक सुझाव दिये।
चर्चा के दौरान सदस्य कार्यालयों के कर्मचारियों द्वारा उठाये गये सवालों का मुख्य अतिथि अनिर्बन कुमार बिस्वास ने निराकरण किया। उन्होंने नराकास के सभी सदस्य कार्यालयों के प्रमुखों को समिति की अर्धवार्षिक बैठकों में अनिवार्य रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कार्यालय प्रमुखों द्वारा नराकास की बैठकों में सहभागिता के मद को संसदीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा गंभीरता से लिया जाता है।
नराकास बैठक में अधिकारी सहभागिता और पुरस्कार नियम
इसी कारण बैठक में सहभागिता करना संभव ना हो, तो कार्यालय प्रमुख को अपने अन्य सक्षम अधिकारी को नामित कर नामांकन संबंधी सूचना नराकास के अध्यक्ष को पत्र द्वारा सूचित करनी चाहिए, तभी उनकी अनुपस्थिति स्वीकार्य होती है। उन्होंने नराकास को कार्यालय प्रमुखों तथा राजभाषा कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए पृथक रजिस्टर रखने का निर्देश देते हुए कार्यालय प्रमुख की अनुपस्थिति की स्थिति में नामित अधिकारी के हस्ताक्षर कार्यालय प्रमुख के नाम के सामने लेने का निर्देश दिया।
अनिर्बन कुमार बिस्वास ने सभी राजभाषा अधिकारियों से समस्याओं के समाधान के लिए कार्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों का प्रभावी रूप से उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य कार्यालयों के राजभाषा अधिकारियों को छोड़कर हिन्दी में उल्लेखनीय कार्य करने वाले अन्य अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को नराकास की बैठक में पुरस्कृत किया जाना चाहिए।
इससे अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों को हिन्दी में अधिक से अधिक कामकाज करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने नराकास की बैठकों में नियमित रूप से भाग लेने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों को नाराकास की ओर से पुरस्कृत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि नराकास की गतिविधियों के समुचित संचालन हेतु सभी सदस्य कार्यालयों द्वारा अंशदान समय पर दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान के हिन्दी अनुवादक डॉ. शिरीष कुलकर्णी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
अब आपके लिए डेली हिंदी मिलाप द्वारा हर दिन ताज़ा समाचार और सूचनाओं की जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल की सेवाएं प्रस्तुत हैं। हमें फॉलो करने के लिए लिए Facebook , Instagram और Twitter पर क्लिक करें।
