जीव को होना चाहिए अहंकार शून्य : कमलेशजी महाराज

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हैदराबाद, जब तक जीव अहंकार का त्याग नहीं करता, तब तक परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती, भक्ति की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए जीव को अहंकार शून्य होना चाहिए। उक्त उद्गार कोलसावाड़ी स्थित पारीक भवन में श्री रामायण मानस सत्संग प्रेमी द्वारा आयोजित श्रीरामचरितमानस का संगीतमय नवाह्न पारायण में कमलेशजी महाराज ने व्यक्त किये।

महाराज ने कहा कि भगवान विप्र, धेनु, सुर और संतों के लिए पदार्थ हैं, इसलिए भक्त वही है, जो इन चारों की सेवा करता है। पुष्प वाटिका का प्रसंग भी रामायण में आया है, जिसमें सीताजी ने अम्बे माता की स्तुति की। महाराज ने सीता स्वयंवर के प्रसंग में धनुष तोड़ने की कथा के संबंध में कहा कि यह धनुष अहंकार का प्रतीक है। जब तक जीव अहंकार का त्याग नहीं करता, तब तक परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती, भक्ति की प्राप्ति नहीं होती, इसलिए जीव को अहंकार शून्य होना चाहिए।

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पारायण के अंतर्गत धूमधाम से श्री सीतारामजी का विवाह संपन्न हुआ। अवसर पर कैलाश नारायण भांगड़िया, मुकंदलाल डालिया, राजाराम काबरा, धनराज सोनी, रमेश लखोटिया, श्रीराम काबरा, सुरेश बियानी, सत्यनारायण पुरोहित, गोपाल पारीक, सुरेश शर्मा, नितिन शर्मा, निवेश त्रिवेदी, बालाप्रसाद लड्डा, सुरेश लखोटिया, शोभा डागा, ललिता मालानी, शोभा बल्दवा, माया शर्मा, सपना शर्मा व अन्य उपस्थित थे।

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