सदा खुश रहता है सकारात्मक विचारों वाला : ललितप्रभजी


हैदराबाद, दुनिया में इतने शास्त्र हैं कि सभी को पढ़ा नहीं जा सकता है, धरती पर इतने मंदिर हैं कि सब जगह जाया नहीं जा सकता है और विश्वभर में इतने संत हैं कि व्यक्ति उन्हें देख नहीं सकता एवं उनके प्रवचनों को सुन नहीं सकता, पर जीवन को खुशियों से भरना है तो व्यक्ति केवल चार मंत्र अपनाए – सोच को सकारात्मक बनाए, स्वभाव को सरल बनाए, जुबान से मीठा बोले और चेहरे पर मुस्कान रखे।
जिसके जीवन में ये चार मंत्र आ जाते हैं, वह दुनिया का सबसे सुखी इंसान बन जाता है। उक्त उद्गार बंजारा हिल्स स्थित अवर पैलेस, बैंक्वेट हॉल में प्रशांत श्रीमाल और सुनील सुराणा परिवार द्वारा आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान स्वभाव को सुंदर बनाने के मंत्र विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित करते हुए राष्ट्र संत श्री ललितप्रभजी महाराज ने दिये। यहां अध्यक्ष प्रदीप सुराणा एवं महामंत्री अशोक नाहर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, संतश्री ने कहा कि सकारात्मक सोच के मालिक बनें। जिंदगी आधा गिलास पानी है। इसे आधा खाली देखेंगे तो दुखी होंगे और आधा भरा देखेंगे तो सुखी होंगे।
स्वभाव को सरल बनाने की सीख देते हुए संतश्री ने कहा कि सरल स्वभाव वाले परायों के दिल में भी जगह बना लेते हैं और टेढ़े स्वभाव वाले घर वालों के दिल में भी जगह नहीं बना पाते हैं। अगर आपका स्वभाव अच्छा है तो पत्नी आपके घर आने पर खुश होगी अन्यथा आपके घर से जाने पर खुश होगी। जुबान का सही इस्तेमाल करने वाले सब जगह सम्मान पाते हैं। संतश्री ने कहा कि क्रोध के वातावरण में भी मुस्कान को तवज्जो दीजिए।
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क्रोध और नकारात्मकता में भी मुस्कुराने की सीख
संत प्रवर ने अपने प्रवचन में कहा कि माफी माँगने का मतलब यह नहीं है कि आप गलत हैं और सामने वाला सही है, वरन इसका मतलब यह है कि आप रिश्ता निभाना जानते हैं। क्षमा के बड़े अनूठे लाभ हैं। इससे मानसिक शांति, रिश्तों में मिठास, कार्य-क्षमता में बढ़ोत्तरी, बेहतर नज़रिया, प्रभावी भाषा और व्यक्तित्व विनम्र बनता है। याद रखिए, अगर हम किसी की एक गलती माफ करेंगे, तो भगवान हमारी सौ गलतियाँ माफ करेंगे। संकल्प करें और स्वभाव बदलें। आखिर क्रोध के कीचड़ में कब तक पड़े रहेंगे। न खुद को जलने दीजिए और न दूसरों को।
अवसर पर डॉ मुनि शांतिप्रिय सागरजी महाराज ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आना और नेगेटिव वातावरण बनना संभव है, लेकिन जीवन की बाजी वही जीतता है, जो विपरीत वातावरण में भी धैर्य और शांति को बरकरार रखते हुए मुस्कुरा देता है। तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है, पर जो तकलीफ में भी मुस्कुरा ले, वो तकलीफ और बाधाओं से पार लग जाता है। इससे पूर्व राष्ट्र संत श्री ललित प्रभजी, राष्ट्र संत श्री चंद्रप्रभजी और डॉ मुनि शांतिप्रिय सागरजी महाराज का श्रद्धालुओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में सुनील सुराणा, रणजीत सुराणा, अनीता सुराणा, आकाश सुराणा, तन्वी सुराणा, यश सुराणा, प्रशांत श्रीमाल, मोतीलाल श्रीमाल, आदित्य श्रीमाल, गुलाब श्रीमाल, गौतम चौरडिया, शील कुमार जैन, प्रकाश चंद पारख और लोक कल्याणकारी चातुर्मास समिति के संरक्षक विमल नाहर, अध्यक्ष मोतीलाल भलगट, अध्यक्ष प्रदीप सुराणा, प्रधान संयोजक नवरतन मल गुंदेचा, महामंत्री अशोक नाहर, कोषाध्यक्ष मानक चंद्र पोकरणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विमलचंद मुथा, उपाध्यक्ष कुशल कांकरिया, योगेश खरगांधी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। राष्ट्र संतों के विशेष प्रवचन और सत्संग समारोह का आयोजन 25 सितंबर को सुबह 9 से 11 बजे तक गांधी ज्ञान मंदिर, कोठी, सुल्तान बाजार, हैदराबाद में होगा।
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