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दक्षिण में `डेली हिन्दी मिलाप‘ का आना, अंधकार में मशाल आने जैसा था। महात्मा गांधी की `हिन्दुस्तानी’ के प्रबल समर्थक, तत्कालीन स्वतंत्रता सेनानी श्री युद्धवीर जी इस मशाल को सुदूर लाहौर और जालंधर से लेकर आए। `मिलाप’ की महायात्रा 1929 में शुरू हुई। लाला खुशहाल चंद खुरसंद (बाद में महात्मा आनंद स्वामी) द्वारा प्रज्वालित हिन्दी की इस मशाल ने आज़ादी की लड़ाई भी लड़ी और बाद में आज़ाद भारत का भाषाई श्रृंगार भी किया। तब हिन्दी के नाम पर दक्षिण भारत का यह भूभाग रेगिस्तान था। `मिलाप’ यहाँ नखलिस्तान बन कर आया। हैदराबाद में `दैनिक हिन्दी मिलाप’ का प्रकाशन अक्तूबर, 1950 में शुरू हुआ। अपनी साढ़े सात दशक लम्बी हीरक यात्रा के साथ आज `डेली हिन्दी मिलाप’ दक्षिण में हिन्दी पत्रकारिता का पर्याय बन चुका है।
न केवल हैदराबाद अपितु तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र तक की हिन्दी पट्टी को जोड़ने का काम `मिलाप’ ने किया और कर रहा है। निष्पक्षता, निर्भिकता और सत्यापित तथा घर के हर सदस्य के लायक सामग्री और समाचार देने के लिए `मिलाप’ को सर्वत्र सराहना प्राप्त है। हैदराबाद मुक्ति संग्राम तथा आर्य-वैदिक विचारों के प्रचार का यह कीर्ति स्तम्भ रहा है। `मिलाप’ में प्रशिक्षण के बाद भारत सरकार के अनेक प्रतिष्ठानों में लोगों ने रोजगार प्राप्त किए। कई साहित्यिक संस्थाएं इसी की बदौलत अस्तित्व में आईं। अनेक प्रतिभाएँ यहाँ तराशी गईं।
घर-आंगन और देश-विदेश के प्रायः सभी कोनों को समेटे हुए मिलाप आज बच्चों, बुजुर्गों, नौजवानों तथा सुरुचि सम्पन्न नर-नारियों का पसंदीदा अखबार है। हर किसी के लिए मानसिक और बौद्धिक खुराक परोसना मिलाप की खूबी है।
विविधता की दृष्टि से `मिलाप’ केवल राजनीतिक खबरें देने वाला अखबार नहीं, बल्कि साहित्य की हर विधा और संसार के हरेक विषय को समेट कर चलने वाला दैनिक है। मिलाप के `हमारा शहर’, `फुर्सत का पन्ना’, `नटखट’ और `मज़ा’ का सब को इंतज़ार रहता है। तीज-त्यौहार और पर्वो पर विशेष परिशिष्ट निकलते हैं। होली, दीपावली और हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली लेखन प्रतियोगिता में पूरे भारत के रचनाकार बढ़-चढ़ कर अपनी रचनाएं भेजते हैं। खबर से सबर तक मिलाप में हर किसी के लिए सब कुछ रहता है। `गागर में सागर’ की युक्ति मिलाप पर फिट बैठती है। `सबका प्रिय सबका हितकारी’ होने का लक्ष्य लेकर जन सरोकारिता, हिन्दी की सेवा और निष्पक्ष पत्रकारिता की दौड़ में निरंतर आगे है।
हमारा शहर – ऐतिहासिक धरोहरों, पर्यटन के रमणीय स्थलों, लगातार चलने वाली विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों, सॉफ्टवेयर उद्योग में नामचीन स्थान रखने वाले शहर हैदराबाद को प्रतिदिन `हमारा शहर’ के चश्मे से देखिए। `हिन्दी मिलाप’ के सिटी सप्लीमेंट, आठ बहुरंगीय पृष्ठों से सजे `हमारा शहर’ में हैदराबाद की धड़कनें सुनाई देती हैं।
फैशनेबल परिधानों से लबरेज़ स्टोर्स, पंचतारा होटलों में आयोजित किये जाने वाले एग्ज़िबिशन, फैशन शो, रेस्त्राओं में चलने वाले `फुड फेस्टिवल’ व शहर में घटित विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों आदि का प्रकाशन हमारा शहर में होता है।

विज्ञापनदाताओं को सही रेस्पांस मिलता है, `हमारा शहर’ से। प्रतिदिन `एक ही रास्ता’ एवं `आराम से’ शीर्षक से सजे पृष्ठों में प्रकाशित बच्चों के लिए कथा-कविता, कहानी पहेलियाँ व अन्य ज्ञानवर्धक स्तंभ, साहित्यिक कविता, कहानी, धर्म, महिला, बाल- पोषण, रोजगार, बाजार, स्वास्थ्य से संबंधित व अन्य समसामयिक लेख सभी वर्ग के पाठकों को भरपूर ज्ञानवर्धक और मनोरंजक खुराक देते हैं।

फुर्सत का पन्ना – हर एक की ज़िंदगी में रविवार एक ख़ास ऐसा दिन होता है, जब उसे रोज़मर्रा के कामों से फुर्सत मिलती है। मिलाप के पाठकों के लिए इस फुर्सत वाले दिन के लिए तैयार किया जाता है, फुर्सत का पन्ना। हर रविवार 4 बहुरंगीय पृष्ठ जिनमें अध्यात्म, समसामयिक विस्तृत फीचर लेख, विज्ञान, कला एवं संस्कृति, वर्ग-पहेली, हिन्दी साहित्य आदि से संबंधित रोचक एवं पठनीय सामग्री समाई होती है।

मिलाप मज़ा – मिलाप की रविवारीय पत्रिका, निःशुल्क मिलती है समाचार-पत्र के साथ हर रविवार और `मज़ा’ देती है सातों वार। दक्खिनी कविता,
सामाजिक विषयों, पर्यटन, फिल्म, संगीत, जीवनशैली, फैशन, स्वास्थ्य, पुस्तक समीक्षा, चुटकुलों आदि को समेटे `मिलाप मज़ा’ का मज़ा पूरा परिवार उठाता है। कौन बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम, श्रीशैलम या किसी अन्य धार्मिक व रमणीय स्थल जाकर आया, किसकी फोटो मिलाप मज़ा में छपी, यह जानने की उत्सुकता भी पाठकों में रहती है। युवा वर्ग के लिए बॉलीवुड, टॉलीवुड की चटपटी जानकारी और उनके करियर को नई ऊँचाई तक ले जाने के लिए प्रेरित करने वाली किसी सफल व्यक्ति की दास्ताँ, खाना-ख़ज़ाना, ब्यूटी, पैरेंटिंग, फैशन अदि पर सामयिक लेख आदि से कुछ नया जानने का मज़ा मिलता है।
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